संजय उवाच : जनता सरकार नहीं ईश्वर के भरोसे जिंदा है संजय
—दीपक गौतम
प्रश्न: भारत वर्ष में कोविड-19 के संक्रमण की क्या खबर है संजय ?
उत्तर: महाराज, मैं देख रहा हूं कि भारत वर्ष के नागरिक सरकारी प्रयासों से ज्यादा अपने ईश्वर पर भरोसा कर कोरोना से लड़ रहे हैं. लोगों ने सिर पर कफन बांध लिया है और चेहरे से मास्क हटा दिया है. जनता ने अनलाॅक-1 शुरू होने के बाद से ही आत्मनिर्भर का पाठ याद कर कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन धीरे-धीरे कम कर दिया है. जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ा है, लोगों ने डर पर काबू पा लिया है भगवन. अब भारतीय निश्चिंत होकर विचरण कर रहे हैं. गली-मोहल्लों, चौक-चौराहों और हाट-बाजारों का माहौल देखकर तो यही प्रतीत हो रहा है प्रभु.
प्रश्न: तुम क्या जनसेवा और सरकारी प्रयासों पर व्यंग्य कर रहे हो संजय ?
उत्तरः महाराज, भला मैं जनसेवक और उनकी जनसेवा पर व्यंग्य कैसे खडे़ कर सकता हूं. वे तो युगपुरुष हैं. मुझे तो इस देश की प्रजा के स्वविवेक पर संदेह हो रहा है प्रभु. दो माह से अधिक समय तक लाॅकडाउन कर संयम और संतुलन का पाठ पढ़ाया गया था. लेकिन प्रजाजन अब इसे भूलकर कोरोना काल को विस्तार दे रहे हैं. यह मार्च-2020 वाला भारत है ही नहीं राजन. क्योंकि तब लगभग 1000 कोरोना संक्रमितों से पूरा देश हिला हुआ था. अब संक्रमितों का आंकड़ा 11 लाख के करीब है, फिर भी भारतीय जनमानस जीवन को संगीत बनाकर गा रहा है. इस समय जब कोरोना वायरस पूरी दुनिया में मृत्यु का उत्सव मना रहा है. भारतीय सतर्कता और सहज ज्ञान को ताक पर रखकर कार्य कर रहे हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय अपनी आत्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के बल पर लाॅकडाउन में बनाए गए अचार, बड़ी और पापड़ आदि पदार्थों का सेवन कर रहे हैं.
प्रश्न: क्या सरकार महामारी का संक्रमण रोकने में विफल रही है संजय ?
उत्तर: महाराज, दुनियाभर में आज कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या लगभग डेढ़ करोड़ के करीब पहुंच गई है और साढे़ पांच लाख से अधिक लोग काल के गाल में समा गए हैं. इससे आप पूरे विश्व की सरकारों के प्रयासों का अंदाजा लगा सकते हैं प्रभु. भारत में भी आंकडे़ लगातार चौंका रहे हैं. संक्रमितों का आंकड़ा 11 लाख के पार पहुंच रहा है. भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है-‘यदि यही स्थिति जारी रही, तो मार्च 2021 तक भविष्य 6 करोड़ लोग संक्रमित होने की आशंका है.’ मुझे क्षमा करें महाराज, लेकिन इस स्थिति में सफलता तो कहीं दिखाई नहीं दे रही है. कोरोना के लिए अस्थायी तौर पर दी जा रही दवा रेमडिसवीर की कालाबाजारी से लेकर फर्जी वेंटिलेटर तक ढेरों कहानियां हैं, जो इस वक्त का सच उजागर करती हैं. इतना ही नहीं प्रभु कोरोना के आंकड़ों को लेकर हो रही बाजीगरी भी आमजन की समझ से परे है. इसीलिए कहता हूं कि भारतीय अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता के इतर आत्मिक बल और आध्यात्मिक ऊर्जा से बचे हुए हैं. यह किसी दैवीय शक्ति का चमत्कार नहीं तो और क्या है प्रभु.
प्रश्न: मुझे तनिक विस्तार से कहो कि अब आगे क्या होगा संजय ?
उत्तर: महाराज, दुनिया भर की तमाम सरकारें ही नहीं मानव जाति भी त्राहि-त्राहि कर रही है. लाॅक-अनलाॅक की प्रक्रिया आवश्यकतानुसार दुनियाभर में समय-समय पर किया जा रहा है. वैक्सीन को लेकर होड़ मची हुई है. इससे बचने के दिशा-निर्देश लगातार बदल रहे हैं. इस बीच मौसम ने भी करवट ले ली है. देश ही क्या दुनियाभर की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है प्रभु. संयुक्त राष्ट्र ने दुनियाभर में कोरोना वायरस से 13 करोड़ लोगों के भुखमरी का शिकार होने की आशंका जताई है. इससे भी ज्यादा संख्या में लोग बेरोज़गारी की मार झेल रहे हैं. ऐसे में जब तक कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन नहीं मिल जाती स्थितियां और भयावह हो सकती हैं. क्योंकि लोगों के अंदर इस महामारी को लेकर केवल डर खत्म हो जाने से कोविड-19 के विषाणु नहीं मरेंगे भगवन. वास्तव में भारतीयों को इस महामारी से लड़ने की जो ताकत मिल रही है. वो सरकार या उसकी स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं बल्कि उनकी खान-पान की संस्कृति और उनके अपने ईश्वर का भरोसा है. यहां के लिए सच ही कहा गया है भगवन कि भारत में सब राम भरोसे चलता है.
(Note : संजयउवाच महाभारत के दो प्रमुख पात्रों के सहारे विभिन्न विषयों पर व्यंग्य लिखने की एक कोशिश है. इसका महाभारत से कोई संबन्ध नहीं है. )