RSS किसान संगठन आंदोलन में क्यों उतरा?
आज से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का किसान संगठन भी किसान आंदोलन में शामिल हो रहा है ! क्यों ? दस महीने बाद यह दैवीय ज्ञान क्यों आया कि क़ानून ग़लत है जबकि क़ानूनों में कोई संशोधन भी नहीं हुआ है ।
कुछ इसके पहले भी इन सात बरसों में जाकर समझिये !
भारत के मज़दूर आंदोलन ने एक सौ साल में धीरे धीरे संघर्ष व आंदोलन के ज़रिये कुछ अधिकार प्राप्त किये थे अंग्रेज के समय से। ये सब ख़त्म कर मात्र चार लेबर कोड में बदल दिये गये जिसमें काम के घंटे बारह करने से लेकर मनमाने ढंग से नौकरी से हटाना आदि शामिल हुये। भारतीय मज़दूर संघ भी आरएसएस का आनुषंगिक संगठन है और सबसे बड़ा मज़दूर संगठन पर प्रैस वक्तव्य देने से आगे नहीं बढ़ा । कभी भी सड़क पर सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन का समर्थन नहीं किया ! चुप्प !
संघ ने एक और संगठन बनाया था स्वदेशी जागरंण मंच जो कि विदेशी निवेश पर सीमाओं की बात करता था और भारत की आंतरिक शक्ति से ही विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने और देसी वस्तुओं के खपत को बढ़ाने के लिये लगातार मैदान में रहता था। इन सात बरसों में नीतिगत वह सब कुछ हुआ जो स्वदेशी जागरंण मंच नहीं चाहता था पर चुप्प! भयानक चुप्पी ।
एक एक कर सभी मुद्दों पर संघ की राय के विपरीत कहॉं कहॉं क्या क्या हुआ यह जान लेना कितना आसान है और आज संघ भाजपा की सरकार के कदम किस दिशा में है ?
तो अब किसान आंदोलन में संघ क्यों आ रहा है ? यह समझना भी कुछ मुश्किल नहीं है । गाँवों में उनके स्वयंसेवक जा सकने की हालत में रहे इसलिये सिर्फ़ सांकेतिक रूप से यह फ़ैसला है। सड़क पर कृषि क़ानूनों के पिताश्री के विरुद्ध एक शब्द नहीं बोला जायेगा , हॉं क़ानूनों के ख़िलाफ़ कुछ हॉं कुछ ना जैसा रणनीतिक बयान देते रहेंगें।
मैंनें कई बार कहा है कि 2024 तक ये कानून वापिस होंगें और मोदी जी ही वापिस लेंगें
तो श्रेय भी अपने ही संगठन को देंगें संयुक्त किसान मोर्चा को तो नहीं !
सावधान यह इतना भी सिंपल नहीं है। आंदोलन की कमेटियों में घुसकर उसे पंचर भी कर सकते है! दस माह तक आंदोलन कर चुका किसान अब इन बातों से अनुभवी हो चुका है , देखते रहिये कि यह ताज़ा पैंतरा भी असफल होगा!
रमाशंकर सिंह के फ़ेसबुक पेज से साभार