नामस्मरण चित्त शुद्धि का आधार : सुश्री गंगा बहन
नाम स्मरण से चित्त शुद्धि होती है. ब्रह्मविद्या मंदिर की अंतेवासी सुश्री गंगा बहन ने यह विचार विनोबाजी की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में ग्यारह दिवसीय विनोबा विचार प्रवाह संगीति का शुभारंभ में प्रकट किए.
उन्होंने कहा कि नाम स्मरण चित्त शुद्धि का आधार है। हमारे संतों, ऋषि-मुनियों ने नाम स्मरण की महिमा को गाया है। सुश्री गंगा बहन ने कहा कि नाम स्मरण सबसे आसान है। इसके साथ स्थान, काल का बंधन नहीं है।
जीवन के उद्धार के लिए परमेश्वर का कोई भी नाम लिया जा सकता है। इसमें सातत्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतःकरण से नाम स्मरण जुड़ जाने पर ईश्वर की कृपा मिलती है।
नाम स्मरण का आसान तरीका यही है कि हरेक कर्म को ईश्वर के साथ जोड़ दें। रात को जब तक नींद न आ जाए तब तक नाम स्मरण चलता रहे। इससे श्रद्धा और भक्ति को बल मिलता है।
संगीति के उद्घाटन सत्र के द्वितीय वक्ता वरिष्ठ सर्वोदय सेवक श्री एस.एन.सुब्बाराव ने कहा कि विनोबाजी ने भूदान का इतिहास बनाया। उन्होंने अस्सी हजार किलोमीटर की पदयात्रा की। इस दौरान उन्होंने जयजगत का मंत्र दिया। आज दुनिया को इसकी बहुत जरूरत है।
संगीति के संयोजक विनोबा सेवा आश्रम के संयोजक श्री रमेश भैया ने बताया कि संगीति का समापन 11 सितंबर को विनोबाजी के जन्मदिन पर होगा।
इस दौरान ब्रह्मविद्या मंदिर की बहनें प्रवचन देंगी। संगीति का संचालन श्री संजय राय ने किया। कल प्रोफेसर पुष्पेंद्र दुबे जी का विचार रखा जायेगा।
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