अब रामसेतु की होगी वैज्ञानिक पुष्टि, सेतु की आयु का भी होना भान
रामसेतु का वैज्ञानिक सच
लंबे समय से इस बात की चर्चा होती रही है कि क्या वाकई में राम, रामायण और रामसेतु का कोई अस्तित्व है या यह सब बस किंवदंतियां हैं? विज्ञान और अध्यात्म का बैर अब तक भले ही जगजाहिर रहा हो, लेकिन इस बार अध्यात्म की कहानियों की सच्चाई पर विज्ञान अपनी मुहर लगाने की तैयारी में जुटा है.
दरअसल, रामेश्वरम में जिस सेतु से होकर भगवान श्रीराम और उनकी वानर सेना ने लंका जाकर रावण का मान-मर्दन किया था, उसकी सिस्मिक व जियोकेमिस्ट्री सर्वे की तैयारी की जा रही है. इसकी वैज्ञानिकता को लेकर गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआइओ) लंबे समय से अध्ययन में जुटा है.
रामेश्वरम में जिस सेतु से होकर श्रीराम व उनकी वानरी सेना ने लंका जाकर रावण का मान-मर्दन किया था, उसकी सिस्मिक व जियोकेमिस्ट्री सर्वे की तैयारी हो रही है.
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी वैज्ञानिकता को लेकर गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआइओ) लंबे समय से अध्ययन में जुटा है. बीएचयू के पूर्व छात्र और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान के निदेशक प्रो. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि इस ऐतिहासिक व पौराणिक धरोहर के अध्ययन संग परीक्षणों से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम जारी है.
रामसेतु की लंबाई 48 किमी व चौड़ाई तीन किमी है. संस्थान के वैज्ञानिक सेतु तक पहुंच कर अध्ययन के क्रम में कई तरह के नमूने एकत्र कर चुके हैं. अब सिस्मिक व जियोकेमिस्ट्री सर्वे होगा. फिर इस सेतु की आयु का वैज्ञानिक पता लगाएंगे.
कहां है रामसेतु
तमिलनाडु में स्थित रामसेतु रामेश्वरम को श्रीलंका के जाफना द्वीप से जोड़ता था. यह मन्नार की खाड़ी में स्थित है.
दैनिक जागरण की एक खबर के मुताबिक अमेरिकी संस्था नासा ने उपग्रह से सेतु का वर्ष 2007 में चित्र खींचा था. अध्ययन के बाद दावा किया था कि ये मानवनिर्मित विश्व की सबसे प्राचीन सेतु संरचना है.
वाल्मीकि रामायण से स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण, रामकियेन व रामचरितमानस में सेतु के निर्माण और इससे होकर लंका जाने के विवरण हैं.
इन ग्रंथों के अनुसार, राम और उनके खोजी दल ने रामेश्वरम से मन्नार तक वह मार्ग खोजा, जो अपेक्षाकृत सुगम व रामेश्वरम के निकट था. प्रमुख 65 रामायण के अनुसार यहीं से राम व वानर सेना ने लंका कूच किया था.
समुद्री खजाने की होगी खुदाई
एनआईओ के निदेशक प्रो. सिंह बताते हैं कि समुद्र के भीतर तमाम तरह के खनिज रूप में अथाह खजाना है, जो 75,000 वर्ग किमी में फैला है. इसमें पॉलीमेटैलिक नेड्यूल्स हैं. मध्य हिंद महासागर में तीन किमी में आयरन, कॉपर, कोबाल्ट, निकिल, सल्फेट के अलावा लगभग 75,000 वर्ग किमी के दायरे में रेयर अर्थ एलीमेंट और प्लेटिनम ग्रुप के भंडार हैं. इनकी मात्रा लगभग 100 मिलियन टन आंकी गई है. इनके उत्खनन और उपयोग के लिए प्रधानमंत्री ने डीप ओशन मिशन की शुरुआत की है.