500 वर्षों बाद ज्योतिर्मठ शंकराचार्य की ऐतिहासिक उपस्थिति: रम्माण उत्सव में दिया श्रीराम के धर्म का संदेश

वैशाख शुक्ल तृतीया | 30 अप्रैल 2025 | ज्योतिर्मठ, बदरिकाश्रम, हिमालय

ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी महाराज ने कहा कि वेदों में प्रतिपादित धर्म को भगवान श्रीराम ने जीवन में उतारा। उन्हीं के उदात्त चरित्र कोलोक जीवन में प्रवेश कराने वाला यह ‘रम्माण’ उत्सव अत्यंत प्रेरणादायी है।

500 वर्षों के बाद शंकराचार्य की ऐतिहासिक उपस्थिति

उत्तराखंड के चमोली जिले के सलूड-डुंगरा गांव में आयोजित रम्माण महोत्सव, जो यूनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित है, में पहली बार सैकड़ों वर्षों के बाद ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य की उपस्थिति हुई। ग्रामवासियों और भक्तों ने उन्हें ससम्मान आमंत्रित किया।

आयोजकों के अनुसार ज्ञात इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य इस उत्सव में सम्मिलित हुए हैं। क्षेत्रवासियों ने इस दिव्य उपस्थिति को अपने लिए “कृतार्थता का क्षण” बताया।

शंकराचार्य जी महाराज का संदेश

स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा:

“मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन आज भी उतना ही प्रासंगिक है। धर्म की व्यावहारिकव्याख्या उन्हीं के जीवन से होती है। रम्माण जैसे उत्सवों के माध्यम से जो परंपरा आदिशंकराचार्य जी ने आरंभ कीउसे जीवंत बनाए रखने में स्थानीय जनों का योगदान सराहनीय है।”

उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि ज्योतिर्मठ पीठ भविष्य में भी इस परंपरा को संरक्षित करने में अपना दायित्व निभाता रहेगा।

पुस्तक ‘रम्माण’ का विमोचन

सभा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ द्वारा लिखित पुस्तक ‘रम्माण’ का विमोचन शंकराचार्य जी महाराज के करकमलों से सम्पन्न हुआ।

विशिष्ट उपस्थिति

इस अवसर पर श्री शारदानन्द ब्रह्मचारी, श्री निधिरव्ययानन्द सागर जीबदरीनाथ विधायक श्री लखपत सिंह बुटोला, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती देवेश्वरी शाह, श्री महिमानन्द उनियाल, श्री शिवानन्द उनियाल, श्री महादीप जी, श्री गोविन्द सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

सभा का संचालन श्री कुशल सिंह ने किया . 

500 वर्षों बाद ज्योतिर्मठ शंकराचार्य की ऐतिहासिक उपस्थिति: रम्माण उत्सव में दिया श्रीराम के धर्म का संदेश.

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