राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलौत ने साबरमती आश्रम परियोजना का ज़ोरदार विरोध किया
साबरमती आश्रम बचाने के लिए अहमदाबाद गुजरात विद्यापीठ में जनसभा
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साबरमती सत्याग्रह आश्रम को एक बड़े पर्यटन स्थल में बदलने की लेकर केंद्र सरकार की योजना का ज़ोरदार विरोध किया है। इस योजना के लिए केंद्र सरकार 1200 करोड़ रुपयों से अधिक की धनराशि दे रही है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने साबरमती आश्रम बचाओ अभियान का समर्थन करते हुए अपने ट्वीट में कहा कि ‘महात्मा गांधी जी का साबरमती आश्रम दुनिया के लिए सादगी और आस्था का प्रतीक रहा है। मोदी सरकार ने आधुनिकीकरण के नाम पर इसे पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।’
ट्विटर पर चल रहे हैशटैग #गांधी_की_आवाज_सुनो के साथ गहलौत ने यह भी लिखा कि ‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को देशभर के गांधीवादियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसके वर्तमान स्वरूप को कायम रखना चाहिए। सभी देशवासियों को इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए। #गांधी_की_आवाज_सुनो #Sabarmarti’
महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ़्रीका से भारत आने के बाद 1917 साबरमती आश्रम में बनवाया था। गांधीजी का 1930 तक का समय इसी आश्रम में बीता, जिस दौरान स्वतंत्रता आंदोलन के अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम यहाँ से संचालित हुए। मशहूर नमक सत्याग्रह के लिए डांडी मार्च यहीं से शुरू हुआ।
साबरमती आश्रम बचाओ यात्रा अहमदाबाद पहुँची
अहमदाबाद – आज सुबह नाश्ता करके यात्रा दल बड़ोदरा से रवाना हुआ और नाडियाद पहुंचा। सभा का संचालन करते हुए उत्तम भाई पटेल ने कहा कि साबरमती आश्रम को सरकार नया स्वरूप देना चाह रही हैं । जिस तरह जलियांवाला बाग और वर्धा सेवाग्राम आश्रम के साथ सरकार ने स्वरूप बदलने का प्रयास किया है वही प्रयास साबरमती के साथ करने जा रही है।यह गांधी की विरासत है गांधी सादगी और शांति के प्रतीक है इस आश्रम में किसी भी तरह से बदलाव गांधी जनों को मंजूर नहीं है।
आश्रम में बदलाव रोकने के लिए हम अहिंसक रास्ते को अपनाते हुए सरकार को सचेत कर रहे हैं सरकार किसी भी तरह से साबरमती आश्रम के साथ छेड़खानी का प्रयास करेगी तो हम सत्याग्रह करेंगे।
सवाई सिंह जी ने भी साबरमती आश्रम के प्रति हो रहे भेदभाव पूर्ण प्रयास का पूरे जोर से विरोध करने की बात कही और उन्होंने कहा कि गांधी विचार के मूल्यों के साथ सरकार का किसी भी तरह के प्रयास हमें स्वीकार नहीं। हम गांधी के मूल्यों को मानने वाले लोग गांधी के साबरमती आश्रम के साथ सरकार का किसी भी तरह के हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे। यात्रा संयोजक संजय सिंह ने बताया कि यात्रा को हम लेकर निकले है और अगर गोली मारे तो सीने में खाएंगे पीठ नही दिखाएंगे लेकिन वापस नही होंगे। आशा बोथरा जी मे कहा कि गांधीजी के ऊपर अपना इतिहास बनाने वालों के सपने साकार नही होने देंगे, यह पटेल को गांधी से, भगत को गांधी से, अम्बेडकर को गांधी से, सब को विवादों में डाल कर अपना काम करते रहते है।
साबरमती आश्रम बचाने के लिए अहमदाबाद गुजरात विद्यापीठ में जनसभा आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रकाश शाह जी ने कहा कि साबरमती गांधी की भूमि है उसको आप गांधी विहीन बनाना चाहोगे तो नही होने देंगे, 17 को जब यात्रा निकली, आश्रम ने अपनी बात विज्ञप्ति से कही तो सरकार भी उस दिन अपना मद कहीं, हम कहते है यह तो होगा वह ट्रांसपेरेंट होगी, ये केवल आश्रम ट्रस्टी और सरकार के बीच का मामला नही है इसमें सिविल सोसाइटी भी जुड़ेंगी। आश्रम के ट्रस्टियों की भूमिका हमारे लिए सार्थक है, सरकार ने जो वीडियो निकाली उसमे सब अच्छी -2 बात पहले की, लेकिन आगे कहाँ की एक नया सरकारी ट्रस्ट बनेगा उसको मुख्यमंत्री देखेंगे। मतलब यह नया ट्रस्ट भी बनाएंगे और यह आश्रम के ट्रस्ट को बदलना चाहते है, यह नया ट्रस्ट जो आ रहा है उसके ऊपर हम भरोसा नही कर सकते है। सेवाग्राम से साबरमती आना यह शुरुआत है आगे गांधीजी सुझाएंगे कि हम क्या करें।आगे बढ़ेंगे लड़ेंगे और जीतेंगे।
यात्रा में अशोक भारत, अरविंद कुशवाहा, बिस्वजीत रॉय, संजय सिंह, भूपेश भूषण, के एल सैंडिल्य, अजमत उल्ला खान, ने अपनी अपनी बात रखी। यात्रा 24 तारीख को साबरमती आश्रम में सरकार की सदबुद्धि के लिए प्रार्थना कर यात्रा का समापन होगा।