वायु के स्वच्छ कणों से भुवन भास्कर के किरणों का विवर्तन है इंद्रधनुषी छटा
दिल्ली के आसमान में इंद्रधनुष
डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज
भारत की राजधानी दिल्ली ,31 मई की शाम ,आसमान में अदभुत मनोहारी सतरंगी इंद्रधनुषी छटा। अर्धवृत्ताकार में बाहरी वर्ण बैगनी ,भीतरी वर्ण लाल के मध्य सुशोभित पंचवर्ण नारंगी ,पीला ,हरा ,आसमानी और नीला। ऐसा इंद्रधनुष कभी कभी ही निर्मल आसमान में दिखता है ,जो तीन अथवा चार परावर्तन से संभव हो पाता है। इस अदभुत इंद्रधनुष से वे मानवीय मन आन्ददित हो उठे जा झूठा सच का अवगाहन करते हुए सच के अनुभूति से अपरिचित होते जा रहे थे।
विडियो देखें : https://www.youtube.com/watch?v=IwAxcP1TRa8
31 मई ,लाकडाउन चार का अवसान ,लाकडाउन पांच के नए नामकरण अनलॉक का अवतरण ऐसे में इंद्रधनुषी छटा ,पता नहीं दिल्लीवासियों का दर्द घटा की नहीं घटा। दिल्ली के आसपास कुञ्ज निकुंज में मयूर हैं भी की नहीं। जिन दिल्लीवासियों के मन अभी भी मनमयूर होंगे वे अवश्य ही नाच उठे होंगे।
लकडाउन एक से लकडाउन चार तक के काल में दिल्ली न तो लॉक में रहा न तो डाउन ही रहा। श्रमिकों ने वेरोजगार नौवजवानों ने सारे लॉक चाहे वे जीवन के हों या मृत्यु के हों तोड़कर सडकों पर आगये ,भूख के लॉक नहीं टूट पाए ,वे चल पड़े अपने अपने देश। कौन से देश के वासी हैं ये ?क्या उस देश के जिस देश में गंगा बहती है ?दिल्ली में तो वे माइग्रेंट हैं प्रवासी हैं ,कौन बताएगा की इनका देश भारत ,इण्डिया में है या नहीं है ?कदाचित इंद्रधनुषी छटा यह देखने आया हो।
मन है फटा फटा सा जो निहार रहा है इंद्रधनुषी छटा। प्रकृति को सब पता है क्या क्या घटा। भूतो न भविष्यति ,अविस्मरणीय ,महीनो रेल नहीं चले ,औद्योगिक इकाइयां बंद रही ,वातावरण में गन्दी हवाओं की आमद काम रही पर्यावरण आहात नहीं हुआ ,यह अनलॉक के पूर्व की प्रकृति की खिलखिलाहट है ,इंद्रधनुषी छटा। वायु के स्वच्छ कणों से भुवन भास्कर के किरणों का विवर्तन है इंद्रधनुषी छटा।
इंद्रधनुष का मयूर से गहरा तादात्म्य है ,मयूर ब्रह्मचारी होता है। इंद्रधनुष से जिन रसों की निष्पत्ति होती है उसका आस्वादन कर वह नाचने लगता है ,नर्तन बहुत कुछ छिपाये है अपने में ,नर्तन में भावविभोर हो मयूर के नयनो से अविरल अश्रुपात होता है मयूरी इन अश्रुजलों को पीकर आनंदित हो गर्भवती हो जाती है।
इंद्रधनुषी छटा में आनंदित मयूर के नृत्य से झरे मोरपंख पवित्र होते हैं जिसे योगिराज कृष्ण ने सर पर धारण किया ,बस इति।
कृपया यह अद्भुत दृश्य भी देखें : https://youtu.be/Fenqi2v7Qho