अपनी महत्वाकांक्षा और उतावलेपन से कहीं के न रहे सिद्धू
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद से महज दो महीने के कार्यकाल के बाद ही नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा दे देना पार्टी में किसी को हजम नहीं हो रहा. पार्टी नेताओं के बीच उनके इस कदम की लगातार किरकिरी हो रही है.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बाद अगर सबसे ज्यादा पद और इस्तीफे को लेकर कोई विवादों में रहने वाला नेता है तो शायद वह हैं सिद्धू. चुनाव से ठीक पहले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद से सिद्धू का इस्तीफा एक बार फिर उन्हें विश्वासघाती बना रहा है.
दिल्ली से पत्रकार सुषमाश्री
यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि विवादों से नवजोत सिंह सिद्धू का पुराना नाता है. जहां सिद्धू वहां विवाद. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बाद अगर सबसे ज्यादा पद और इस्तीफे को लेकर कोई विवादों में रहने वाला नेता है तो शायद वह हैं सिद्धू. लेकिन इस बार ऐसा लगता है जैसे अपनी महत्वाकांक्षा और उतावलेपन के कारण कहीं के नहीं रह गए हैं सिद्धू.
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस आलाकमान की टेंशन बढ़ाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू अब अकेले होते दिख रहे हैं. कांग्रेस के भीतर ही कोई उन्हें विश्वासघाती बता रहा है तो कोई कह रहा है कि आलाकमान द्वारा नियुक्त नया अध्यक्ष उन्हें स्वीकार होगा. पार्टी में ज्यादातर लोगों का मानना है कि सिद्धू ने आलाकमान की परवाह किए बगैर ऐसी घोषणा कर दी, जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता.
कुछ समय पहले तक उनके इस्तीफे के फौरन बाद एक-एक कर उनके कई अन्य करीबियों ने भी आलाकमान को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. इससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि एक बार फिर सिद्धू अपने इस कदम से खुद को साबित करने में सफल होंगे, लेकिन बहुत जल्दी तस्वीर बदलती दिख रही है और माहौल उनके खिलाफ नजर आने लगा है.
कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह काका कंबोज ने कहा कि सिद्धू ने विश्वासघात किया है और पंजाब कांग्रेस के चीफ के पद पर सिद्धू के नहीं रहने से भी चुनाव में कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सिद्धू ने जो किया है, वह किसी विश्वासघात से कम नहीं है. बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
27 जुलाई को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद पर विराजमान हुए नवजोत सिंह सिद्धू के दो महीने बाद ही इस्तीफा देने के बाद अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएम ने बताया कि उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू से बातचीत की थी और उनसे यह भी अपील की थी कि वो बैठ कर बात करें और मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करें.
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, ‘पार्टी का अध्यक्ष चाहे कोई भी हो, वो परिवार का मुखिया होता है. मैंने उन्हें (नवजोत सिंह सिद्धू को) फोन किया था और कहा था कि पार्टी सुप्रीम है. मैंने उनसे फोन पर बातचीत की. यह भी कहा था कि बैठ कर बातचीत करते हैं और मुद्दों को सुलझाते हैं.’
दूसरी ओर, अपने इस्तीफे के बाद सिद्धू ने ट्वीटर पर अपनी बात रखी थी, जिसके बाद सीएम ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मुझे किसी भी मुद्दे पर बातचीत करने में कोई इगो नहीं है… मैं नेताओं के साथ बैठ कर बातचीत करना चाहता हूं.’ इस्तीफे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट कर कहा कि हक़-सच की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई पंजाब के मुद्दों और राज्य के एजेंडे को लेकर है.
कौन हैं नवजोत सिंह सिद्धू
पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की महज दो महीने पुराने पद से इस्तीफा देकर चर्चा में आए नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म 20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला जिले में हुआ. साल 1983 से 1999 तक वे भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेले. खेल से संन्यास लेने के बाद उन्होंने दूरदर्शन पर क्रिकेट के लिये कमेंट्री करना आरंभ किया. उसके बाद राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे. पंजाब सरकार में वह कला, पर्यटन और संस्कृति मंत्री भी रह चुके हैं. राजनीति के अलावा उन्होंने छोटे पर्दे पर भी अपनी पहचान बनायी.
राजनीतिक जीवन
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया और वे अमृतसर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2004 का लोकसभा चुनाव जीत गए. उन्होंने राजनीति में खुलकर हाथ आजमाया और भाजपा के टिकट पर 2004 में अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गये.
इसके बाद सिद्धू पर एक व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या का आरोप लगा और उन पर मुकदमा चला. अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुनायी, जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से तत्काल त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.
उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत की सजा पर रोक लगा दी. इसके बाद उन्होंने दुबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा और सीधे मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी व पंजाब के वित्त मंत्री सुरिन्दर सिंगला को 77,626 वोटों के भारी अंतर से हराया.
इसके बाद 2007 में हुए उप-चुनाव में उन्होंने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के पंजाब राज्य के पूर्व वित्त मंत्री सुरिन्दर सिंगला को भारी अंतर से हराकर अमृतसर की यह सीट पुनः हथिया ली. 2009 के आम चुनाव में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को 6,858 वोटों से हराकर अमृतसर की सीट पर तीसरी बार विजय हासिल की. तब से लेकर आज तक वे अमृतसर की लोकसभा सीट से जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
कमेंट्रेटर और टीवी कलाकार
जब भारतीय क्रिकेट टीम 2001 में श्रीलंका के दौरे पर गयी तो सिद्धू ने बतौर कमेण्ट्रेटर निम्बूज स्पोर्टज़ के लिये काम किया. बाद में उन्हें ई.पी.एन.एस. स्टार स्पोर्ट्स ने अपने चैनल पर अनुबन्धित कर लिया और वे “वन लाइनर कॉमेडी” करने लगे. उन्हें इस कार्य से अपार लोकप्रियता भी हासिल हुई. टीवी सीरियल बिग बॉस के कारण भी वे चर्चित रहे।
ई.एस.पी.एन. से अलग होने के बाद वे टेन स्पोर्ट्स से जुड़ गये और क्रिकेट समीक्षक के नये रोल में टी.वी. स्क्रीन पर दिखायी देने लगे.
टेलीविजन के चर्चित कॉमेडी शो ‘द कपिल शर्मा शो’ के जज के तौर पर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई. हालांकि इससे पहले भी उन्होंने कॉमेडी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ में जज की भूमिका निभायी थी. ‘पंजाबी चक दे’ सीरियल में भी उन्हें काम मिला था.
क्रिकेट जीवन
नवजोत सिंह सिद्धू ने 1983 से लेकर 1999 तक पूरे सत्रह साल क्रिकेट खेला. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने पहला मैच वेस्ट इंडीज़ की टीम के विरुद्ध 1983 के दौरान अहमदाबाद में खेला जिसमें वे सिर्फ़ 19 ही रन बना पाये. इसके बाद उन्हें 1987 के विश्व कप क्रिकेट की भारतीय टीम में शामिल किया गया. उन्होंने कुल पांच में से चार मैच खेले और प्रत्येक मैच में अर्धशतक ठोका. पाकिस्तान के खिलाफ़ शारजाह में खेलते हुए 1989 में उन्होंने पहला शतक लगाया. ग्वालियर के मैदान पर 1993 में उन्होंने इंग्लैंड के विरुद्ध नॉट आउट रहते हुए 134 रन बनाये, जो उनका एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मुक़ाबला मैच में सर्वश्रेष्ठ स्कोर था.
1999 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद मीडिया को दिये गये एक इंटरव्यू में सिद्धू ने कहा था कि एक क्रिकेट समीक्षक की टिप्पणी से आहत होकर वे क्रिकेट को अलविदा कह रहे हैं, अन्यथा उनका खेल इतना बुरा नहीं था. 1987 के विश्व कप में उनकी शानदार भागीदारी को इतनी जल्दी भुला दिया जायेगा इसकी उन्होंने स्वप्न में भी कल्पना न की थी.
सिद्धू ने तीन बार 1993, 1994 और 1997 के दौरान प्रति वर्ष 500-500 से अधिक टेस्ट रन बनाये. प्रथम श्रेणी मैच में मात्र 104 गेंदें खेलकर बनाये गये 286 रन उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है. 1994 में वेस्ट इंडीज़ दौरे के दौरान उन्होंने एकदिवसीय मैचों में 884 रन बनाये और पांच शतक ठोकने वाले पहले भारतीय होने का गौरव भी प्राप्त किया.
सिद्धू के जीवन के बेहतरीन क्षण तब आये जब 1996-97 में वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़़ टेस्ट क्रिकेट में 11 घंटे लंबी पारी खेलकर उन्होंने 201 रन बनाये. 1993-94 में श्रीलंका के ख़िलाफ आठ छक्कों की मदद से 124 रनों की धुआंधार पारी और 1997-98 में आस्ट्रेलिया की टीम के विरुद्ध चार-चार अर्द्धशतक उनके यादगार कारनामे हैं, जो उन्होंने क्रिकेट के मैदान में खेलते हुए कर दिखाये.
परिवार
सिद्धू पंजाबी सिख होते हुए भी पूर्णतया शाकाहारी हैं. संयोग से उनकी पत्नी का नाम भी नवजोत है. पत्नी नवजोत कौर पेशे से चिकित्सक हैं और पटियाला में जहां सिद्धू का स्थायी निवास है, वहीं रहती हैं.
व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम: नवजोत सिंह सिद्धू
उपनाम: सिक्सर सिद्धू, शेरी, शेरी पाजी
क्रिकेट: दायें हाथ के बल्लेबाज
मध्यम गति के गेंदबाज
भारतीय क्रिकेट टीम
टेस्ट में पदार्पण (कैप 166): 12 नवम्बर 1983 बनाम वेस्ट इंडीज़
अंतिम टेस्ट: 6 जनवरी 1999 बनाम न्यूज़ीलैंड
वनडे पदार्पण (कैप 61): 9 अक्टूबर 1987 बनाम ऑस्ट्रेलिया
अंतिम एकदिवसीय : 20 सितम्बर 1998 बनाम पाकिस्तान
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Sushma Kumari (Sushmashree)
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