प्रयागराज माघ मेला में हिंदू राष्ट्र का संविधान बनाने की घोषणा कितनी उचित – एक चर्चा
प्रयागराज माघ मेला में कुछ साधुओं ने पिछले हफ़्ते एक तथाकथित धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र का संविधान बनाने की घोषणा की है। इनका कहना है हिंदू राष्ट्र का अपना संविधान होगा, जिसे ‘हिंदू राष्ट्र संविधान नाम दिया जाएगा। इनके अंतर्गत कानून के जानकार, शास्त्र मर्मज्ञ व सुरक्षा विशेषज्ञों की तीन समितियां बनेंगी।.2023 के माघ मेला में संतों व श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत होगा संविधान।
हर समिति में कम से कम 25 लोग शामिल होंगे। इसमें सिख, बौद्ध, जैन सहित 127 पंथों के प्रतिनिधि सम्मलित होंगे। श्रावण मास तक ‘हिंदू राष्ट्र संविधान का प्रारूप तैयार करने का लक्ष्य है, जबकि 2023 के माघ मेला में धर्म संसद संचालन समिति संत सम्मेलन का आयोजन कर उसमें नए संविधान को संतों व श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
माघ मेला क्षेत्र के ब्रह्मर्षि आश्रम शिविर में 29 जनवरी को धर्म संसद संचालन समिति ने संत सम्मेलन का आयोजित किया था। सम्मेलन में भारत को हिंदू राष्ट्र लिखने व बोलने का प्रस्ताव पारित हुआ था।.
धर्म संसद संचालन समिति के संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने पटरकारों को बताया कि हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में काम आरंभ है। देश के 543 संसदीय क्षेत्रों में सांसद की जगह ‘धर्म सांसद का निर्वाचन होगा। हिंदू राष्ट्र के संविधान में विधिवतधर्म सांसदों के निर्वाचन की उम्र 25 वर्ष और मतदाताओं की आयु 16 वर्ष होगी। संसद भवन की तर्ज पर काशी में ‘धर्म संसद का भवन बनेगा। संसद भवन बनने के बाद हिंदू राष्ट्र की राजधानी काशी बनाई जाएगी।
इनके प्रस्तावित ‘हिंदू राष्ट्र संविधान में गीता, श्रीरामचरितमानस, मनु स्मृति सहित समस्त वेद, पुराणों के अंश शामिल होंगे। मातृकुल (गुरुकुल) शिक्षा अनिवार्य होगी। इसमें तीन से आठ वर्ष के बालक, बालिकाओं को अनिवार्य रूप से गुरुकुल शिक्षा ग्रहण होनी होगी। तभी उन्हें अन्य विद्यालयों में जाने की अनुमति मिलेगी।
स्वामी आनंद स्वरूप ने पत्रकारों को बताया कि हिंदू राष्ट्र का मंत्रिमंडल चंद्रगुप्त मौर्य की तरह तैयार किया जाएगा। इसमें सुरक्षा, शिक्षा, राजकीय, चिकित्सा आदि नई व्यवस्था होगी। मुस्लिमों को पूरा सम्मान व सुरक्षा मिलेगी, लेकिन मतदान का अधिकार नहीं होगा।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की यह घोषणा कितनी उचित है। इसी विषय पर
चर्चा में शामिल हैं वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी, कुरबान अली, आनंद वर्धन सिंह, वीरेंद्र पाठक प्रयागराज और जाने माने लेखक, आलोचक वीरेंद्र यादव
संयोजन कुमार भवेश चंद्र पूर्व संपादक अमर उजाला.