मंत्रिमंडल विस्तार से प्रचंड व माधव नेपाल नाराज
ओली के खिलाफ बन सकता है नया मोर्चा
काठमांडू। ओली के मंत्रिमंडल विस्तार से प्रचंड और माधव नेपाल खुश नहीं हैं। गुरुवार को तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसमें एक भी प्रचंड व माधव नेपाल खेमे के नहीं हैं।
गुरुवार को शीतल निवास में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा नए मंत्रियों को दिलाए गए शपथग्रहण में प्रचंड और माधव नेपाल नहीं शामिल हुए।
हालांकि इसे कोरोना के कारण नहीं आमंत्रित किया जाना बताया गया।
नेपाल राजनीति के विश्लेषक इसे एक बार फिर ओली और प्रचंड के बीच सत्ता की टकराहट की दृष्टि से देख रहे हैं।
मालूम हो कि पिछले तीन महीने से पीएम ओली और प्रचंड के बीच सत्ता को लेकर खींचतान चल रही थी।
भारत के खिलाफ उनके बयान और कृत्य से खुद उनके अपने भी नाराज हो गए थे,इसमें पूर्व पीएम माधव कुमार नेपाल, बामदेव गौतम,नारायण काजी श्रेष्ठ सरीखे ढेरो नाम शामिल है।
ओली किसी तरह एक माह पहले अपनों की नाराजगी दूर कर पाए थे।
काठमांडू राजनितिक गलियारों में चर्चा है कि इसके पीछे मंत्रिमंडल विस्तार कर माधव नेपाल व प्रचंड खेमे के मंत्रियों को शामिल करना भी एक शर्त थी।
बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार में तीनों मंत्री ओली खेमे के हैं।
इसमें खास बात यह है कि भारत सीमा के करीब नेपाल के बुटवल के सांसद व सत्ता रूढ़ दल के महासचिव बिष्णु पौडेल को मत्रिमंडल में शामिल कर नया वित्त मंत्री बनाया गया है।
बुटवल अपेक्षाकृत नेपाल के तराई का भूभाग है।
ओली का यहां के सांसद को मंत्रिमंडल में जगह देने के पीछे तराई के मतदाताओं को अपनी ओर आकृष्ट करना है।
इसके पहले तराई के ही सांसद हृदयेश त्रिपाठी के भी मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे भी ओली की यही मंशा थी।
निवर्तमान वित्त मंत्री युवराज खतिवाड़ को मंत्रालय का काम न कर पाने के तोहमत पर हटाया गया।
जिन दो अन्य मंत्रियों को ओली कैविनेट में जगह मिली है उसमें कृष्ण गोपाल श्रेष्ठ को शहरी विकास मंत्री तथा लीलनाथ श्रेष्ठ को महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया है।
चर्चा है कि ओली ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर असंतुष्ट चल रहे अपने सहयोगियों से चर्चा नहीं की।
इधर प्रचंड और माधव नेपाल खेमें में असंतोष को देखते हुए ओली के करीबियों ने शीघ्र ही दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार में प्रचंड और माधव नेपाल के करीबियों को जगह देने की बात कहनी शुरू कर दी है लेकिन प्रचंड खेमे का कहना है कि यह विश्वास करने योग्य नहीं है।
खबर मिल रही है ओली सरकार के खिलाफ प्रचंड और माधव नेपाल जल्द ही कोई नया मोर्चा बना सकते हैं।