RSS और BJP की गुप्त बैठकें: मोदी के बाद भाजपा और भारत की राजनीति का भविष्य
2029 का चुनाव भाजपा के लिए केवल सत्ता का नहीं, बल्कि पहचान का सवाल बन सकता है।
मीडिया स्वराज डेस्क
“75 की उम्र के बाद व्यक्ति को मार्गदर्शन की भूमिका में आना चाहिए।”
— मोहन भागवत (RSS प्रमुख)
“धन का केंद्रीकरण कुछ अमीरों में हो रहा है और गरीबों की संख्या चिंताजनक है।”
— नितिन गडकरी (केंद्रीय मंत्री)
इन बयानों ने भारतीय राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। क्या ये सिर्फ व्यक्तिगत विचार हैं, या भाजपा और RSS में मोदी के बाद के युग की तैयारी के संकेत?
साथ ही अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की हालिया राजनीतिक सक्रियता ने इस सवाल को और गहरा कर दिया है।
“क्या भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की जमीन तैयार हो रही है?”
गडकरी, शाह, योगी: तीन दावेदार, तीन रास्ते
नेता ताकत चुनौतियां
नितिन गडकरी समावेशी विकास का एजेंडा, RSS की निकटता संगठन में सीमित पकड़
अमित शाह संगठन पर मजबूत पकड़, रणनीतिक कौशल करिश्माई जनाधार की कमी
योगी आदित्यनाथ जबरदस्त जनाधार, हिंदुत्व का चेहरा कट्टर छवि, दक्षिण भारत में सीमाएं
RSS का दीर्घकालिक विज़न: कैसी BJP चाहिए?
RSS नेतृत्व लगातार इस बात पर बल देता रहा है कि
“व्यक्ति के बजाय संगठन सर्वोपरि होना चाहिए।”
प्राथमिकताएं:
Collective Leadership – मोदी जैसे सुपर-सेंट्रल लीडरशिप से अलग।
Inclusive Growth मॉडल – अंत्योदय और स्वदेशी पर जोर।
मृदु हिंदुत्व – कठोरता कम, सामाजिक समरसता अधिक।
मोदी के बाद BJP के 3 संभावित मॉडल
मोदी जैसा मजबूत नेता केंद्रीयकृत नेतृत्व, करिश्माई चेहरा योगी आदित्यनाथ
कलेक्टिव लीडरशिप कई नेता मिलकर पार्टी चलाते हैं अमित शाह (संगठन), गडकरी (नीति)
राज्यों के मजबूत नेता मॉडल राज्यों के लोकप्रिय CMs का नेटवर्क, राष्ट्रीय चेहरा गौण योगी, हिमंता बिस्वा, बुमई
मोदी के बाद भारत की राजनीति
क्षेत्र संभावित बदलाव
भाजपा आंतरिक गुटबाजी और नेतृत्व संघर्ष
विपक्ष INDIA Bloc को राजनीतिक स्पेस
नीति रोजगार और असमानता पर फोकस
अंतरराष्ट्रीय छवि टीम आधारित कूटनीति की वापसी
गुप्त RSS-BJP बैठकें: रणनीति का हिस्सा?
नागपुर और दिल्ली में हुई रिपोर्टेड बैठकों में चर्चा:
• मोदी के बाद का नेतृत्व
• संगठनात्मक पुनर्गठन
• राज्यों में नए चेहरों को प्रमोट करना
सूत्रों के अनुसार, RSS चाहता है कि भाजपा का अगला दौर “टीम वर्क” और आर्थिक-सामाजिक समरसता पर केंद्रित हो।
निष्कर्ष: कौन बनेगा भाजपा का अगला चेहरा?
RSS की प्राथमिकता “संगठन सर्वोपरि, नेता नहीं” है।
लेकिन गडकरी, शाह और योगी के बीच संघर्ष भाजपा की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है। विपक्ष के लिए भी यह एक ऐतिहासिक अवसर होगा।