निर्मल खत्री ने ग़ुलाम नबी आजाद को यू पी में पार्टी की दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया

यशोदा श्रीवास्तव

लखनऊ. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष निर्मल खत्री ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद को बग़ावती पत्र लिखने के लिए आड़े हाथों लिया और उन्हें प्रदेश में पार्टी की दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.  फैजाबाद से सांसद रहे निर्मल खत्री आजाद के मीडिया  इंटरव्यू से खासा विचलित हुए.उन्होंने स्थानीय मीडिया से बातकर आजाद के एक- एक सवाल जवाब दिया.

उनका कहना है कि जब C.W.C की मीटिंग में यह तय हुआ था कि कोई भी कांग्रेस पार्टी का नेता कांग्रेस पार्टी के अन्दुरुनी मसलों के सम्बंध में अपनी राय भविष्य में सार्वजनिक रूप से व्यक्त नही करेगा.आजाद जी का यह इंटरव्यू उचित नही,बल्कि मीटिंग में पारित प्रस्ताव की भावना का उल्लंघन है.निर्मल खत्री ने कहा कि वर्ष 1977 में आजाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा का पहला चुनाव लड़े.इन्हें मात्र 320 वोट मिला जबकि मुझे भी 1977 में अयोध्या विधानसभा क्षेत्र (उ.प्र) से प्रथम चुनाव लड़ने का मौका मिला और मैं 428 वोट से हारा.

आजाद जी अपने इंटरव्यू में  संजय गांधी जी के साथ काम करने का जिक्र किया.मुझे भी इस बात का फक्र है कि संजय गांधी के संघर्ष के दिनों में उनके साथ रहा और मुझे याद है कि उनके ऊपर चलने वाले देहरादून के एक मुकदमे में पहुँच कर मैं उनके साथ 21 मई 1977 में गिरफ्तार हुआ और 21 मई  से 25 मई तक बरेली सेंट्रल जेल में पुनः 25 की सायं से लेकर 26 मई तक देहरादून जेल में बंद रहा व 26 मई को देहरादून जेल से रिहाई हुई.मुझे याद है कि इस दौर में कांग्रेस के नेता कमलनाथ जी बरेली जेल में उसंजय गांधी  मिलने भी आये थे. मुझे याद है कि 1977 और 1980 के मध्य जब इन्दिरा जी पर तमाम झूठे मुकदमे चल रहे थे उस समय की संघर्ष यात्रा में 4 अक्टूबर 1977 को इन्दिरा जी की गिरफ्तारी के विरोध में मैने फैजाबाद में साथियों के साथ गिरफ्तारी दी व 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक जेल में बन्द रहा.

पुनः 19 दिसंबर 1978 को इन्दिरा जी की गिरफ्तारी व लोकसभा की सदस्यता समाप्त किये जाने के विरोध मे मैं फैजाबाद में गिरफ्तार हुआ और 22 दिसबंर तक जेल में बन्द रहा.

वर्ष 1977 व 1980 के मध्य के प्रारंभिक वर्षो में इन्दिरा जी और संजय जी के साथ आजाद सक्रिय भूमिका में नही दिखे लेकिन जब आपको लगा कि कांग्रेस पुनः लौट सकती है तब वर्ष 1979 में दिल्ली में हुए एक प्रदर्शन में गिरफ्तार होकर तिहाड़ जेल में बंद हुए.जबकि 1977 से ही देश में लाखो कांग्रेसी इन्दिरा जी के ऊपर होने वाले जुल्म के विरोध में जेल भरो आंदोलन कर रहे थे.

आजाद के कथित संघर्ष की तुलना में लाखों कांग्रेसियों ने इस दौर में नेहरू-गांधी परिवार के साथ संघर्ष किया.अपने इंटरव्यू में आजाद ने कुछ राज्यों का जिक्र किया जिसमें यह दावा किया कि इन्हीं के दम पर उन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी.लेकिन वे अपने इंटरव्यू में उत्तर प्रदेश को भूल गये जहां पर जब-जब प्रभारी बन कर आये कांग्रेस का सत्यानाश किया.

वर्ष 1996 में आजाद ने ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीएसपी से समझौता किया,नतीजा कोई खास नही. यात्रा का कार्यक्रम यूपी में भी इन्होंने चलाया था,लेकिन सफलता का करिश्मा न कर सके. वर्ष 2017 में आजाद ने ही सपा से समझौता किया. सीट पहले से निम्नतम स्तर 7 पर आ गयी. यानी यह जब जब उ.प्र. के प्रभारी के रूप में आये उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बंटाधार ही होता गया.संगठन के चुनाव की दुहाई देने वाले आजाद साहब का हाल यह रहा कि 2018 के एआईसीसी के महाधिवेशन के एक दिन पहले तक उत्तर प्रदेश के प्रभारी के तौर पर जनाब A.I.CC और PCC सदस्यों की सूची जारी कर रहे थे.यह भी देखने की कोशिश इन्होंने नही की कि जिनको A.I.CC या PCC सदस्य बना रहे हैं वे कांग्रेस के सदस्य बने भी है या नही.

आजाद साहब ने अपने इंटरव्यू में कहा कि मेरे काम ,योगदान को आजकल के बच्चे क्या जानें? ‘बच्चे’ का तात्पर्य सब समझते हैं. आजाद साहब वह ‘बच्चे’ आपकी असलियत जानने के बाद भी आपको सरमाथे पर बैठाये रहे. यही उनका व उनके परिवार का बड़प्पन था.शिद्दत से कहना चाहूँगा कि वह बच्चे आपसे ज्यादा हुनरमन्द व होशियार हैं.यहां मैं यह भी कहना चाहूंगा की आप का राजनीति में राष्ट्रीय स्तर पर अभ्युदय इसी परिवार के नेता संजय गांधी की ही बदौलत हुआ था जिन लोगों को आप ‘बच्चे’ बता रहे हैं.देश की राजनीति में इतिहास जब लिखा जायेगा तब आप का कहीं जिक्र भी नही होगा लेकिन उन बच्चों का होगा.यह आप जितनी जल्दी समझ सके वह अच्छा होगा. क्योंकि वे लोग कांग्रेस के लिए कांग्रेसी हैं और आप अपने लिए कांग्रेसी हैं.यहा. एक उदाहरण देना चाहूँगा कि सनातन धर्म मे दो अवतार राम व कृष्ण की कथा हम सबने सुनी है.राम के प्रिय हनुमान व कृष्ण के प्रिय अर्जुन थे. क्या कारण है कि राम के भक्त हनुमान का मंदिर जगह जगह है लेकिन कृष्ण के भक्त अर्जुन का मंदिर कहीं नही है.ऐसा इसलिए है क्योंकि हनुमान राम के लिए लड़े व अर्जुन अपने लिये लड़े.यहां हर कांग्रेसी हनुमान है सोनिया जी – राहुल जी के लिए ,उनके लिए लड़ता है और आप अपनी तरक्की के लिए ही लगे रहे.

आजाद जी ने अपने इंटरव्यू में  कहा कि 23 साल से कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव नही हुआ. सवाल उठता है कि इन 23 वर्षों में जब आप भी उस मनोनीत C.W.C के सदस्य थे तब अआपने यह सवाल क्यों नही उठाया,आपकी अंतरात्मा की आवाज इस समय ही क्यों उठी?मेरी भी राय में हर स्तर पर चुनाव होना चाहिए लेकिन आप जैसे नेताओं ने ही मनोनयन के रास्ते को बेहतर समझा व उसका आनन्द लिया.ज्ञातव्य हो की राहुल गांधी की ही सोच रही है कि मूल संगठन व फ्रन्टल संगठनों मे हर स्तर पर चुनाव हो और उन्होंने  Youth Congress व NSUI में संघठनात्मक चुनाव कराकर दिखा भी दिया कि उनकी सोच क्या है.इंटरव्यू में आजाद साहब कहते हैं कि  अगर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनना है तो उनकी बात सुननी होगी.आजाद साहब का यह

उत्तर प्रदेश में हार की ज़िम्मेदारी 

उल्टा सवाल है. उ.प्र. में वर्ष 2017 के विधानसभा के चुनाव के समय आजाद साहब ही उ.प्र. के प्रभारी थे. उ.प्र. के सभी कार्यकर्ता समझौते के खिलाफ थे,राहुल गांधी भी समझौते के खिलाफ थे लेकिन संभवतःआजाद जैसे वरिष्ठ नेता और प्रभारी की जिद्द के चलते वो चुप रह गये और अंततः उनके समझौता परस्त राजनीति की सोच के चलते ही सपा से गठबंधन हुआ और कांग्रेस का बुरा हाल हुआ.दरअसल आजाद साहब ने राजनीतिशास्त्र का जो सिद्धान्त समझा उसमे समझौते की राजनीति ही मुख्य केंद्र बिन्दु में रही. इनकी सोच में देश नही जम्मू व कश्मीर की राजनीति रही और वे यह जानते थे वहाँ  बिना समझौते के इनका न अस्तित्व रहेगा न ही   कुछ मिल पायेगा.

आजाद साहब ने कहा कि लेटर लीक होने से कौन सी देश की अखंडता पर खतरा आ गया.मेरा इस पर यह कहना है कि देश की अखंडता पर खतरा तो नही लेकिन कांग्रेस की अखंडता पर खतरा जरूर हुआ. और यदि कांग्रेस की अखंडता खतरे में पड़ी तो यकीनन यह देश की अखंडता को भी प्रभावित करेगी.

उन्हें यह नही भूलना चाहिए कि वह गांधी परिवार के दम पर ही C.W.C मे सदस्य बनते रहे और जिन C.W.C के 2 चुनाव में निर्वाचित होने का दावा इन्होंने किया वह गांधी परिवार की सहानभूति के कारण ही इनको नसीब हुआ.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल शास्त्री ने भी असंतुष्टों के लिखे पत्र पर एतराज जताते हुए कहा कि यह किसी समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने हाईकमान को भी कुछ लचीला होने की जरूरत बताते हुए साफ कहा कि देश को राहुल,सोनिया या प्रियंका के इतर कोई नेतृत्व स्वीकार नहीं होगा.चिट्ठी लिखने वालों में एक गुलाम नवी आजाद ने एक टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वयं को कांग्रेस को बचाए रखने का बड़ा किरदार साबित करने की कोशिश की.कहा कि उनके योगदान को “बच्चे”क्या समझे.और भी बहुत कुछ कहा.आजाद के इंटरव्यू को साफ साफ बागी तेवर अख्तियार करने की दृष्टि से देखा जा रहा है.

कहना न होगा कि आज की कांग्रेस दो धड़ों में बंटी हुई दिख रही है. कुछ लोग इसे राहुल और सोनिया के बीच कह सकते हैं जो सच नही है. कांग्रेस के बीच जो लकीर है वह ओल्ड और यूथ को लेकर है. इसमें बहुत सारे पुराने कांग्रेसी राहुल के साथ भी फिट बैठते हैं तो बहुत सारे अपेक्षाकृत युवा नेताओं को सोनिया का भी स्नेह और आर्शीवाद प्राप्त है. इस सबके बीच आजाद के इंटरव्यू से कई सारे नए पुराने कांग्रेसियों को एतराज है.

 

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