कोई इसका मुंह नोचे
सुन पण्डा के बैन, भगवान रहा मुस्काय
‘जनम पाप धुल जांयगे, गंगा लेउ नहाय;
गंगा लेउ नहाय, जीवन भर पाप कमाओ
डुबकी एक लगाय के, तुम मोक्ष पा जाओ।‘
पापकर्म में हर्ज़ क्या, मुझको कोई बताय
’सण्डे कन्फ़ेशन’ से, अगर पाप धुल जाय;
अगर पाप धुल जाय, तो सातों दिन कीजे
चोरी, छिनारी, हत्या से, सांस क्यों लीजे?
तालिबान को प्यार से, मुल्ला पाठ पढ़ाय
निर्दोषों को मारे जो, सीधे जन्नत जाय;
सीधे जन्नत जाय, सुन ऊपर वाला सोचे
यह पागल हो गया, कोई इसका मुंह नोचे।
महेश चंद्र द्विवेदी, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश