ओ री सखी फागुन आयो री–
ओ री सखी फागुन आयो. फागुन का महीना यानी उमंग, उल्लास, हर्ष और प्रेम का महीना. ऐसे समय में प्रेमी के विरह की वेदना. दीपक गौतम की कविता .
ओ री सखी फागुन आयो री————————–
माघ पटा गओ री…ओ री सखी अब फागुन आयो री।
मन उल्लास भरो, तन मोरा हर्षायो री।
रंग-चितरंग उड़न अब लागो, उमड़ – घुमड़ जियरा बौरानो,
पिय के हिय में जी लिपटायो री।
अमियन की बगिया में अब झूलन को मौसम आयो री।
…ओ री सखी फागुन आयो री।
कासे कहूँ अब पीर जिया की।
तन – मन खोयो सुध में पिया की।
गए बहुत दिन बीत बिरह में, उनके लौटब को सन्देशा ऋतुराज बसन्त है लायो री।
ज्यों-ज्यों फूलत हैं अमुअन के बिरबा, त्यों-त्यों मोहिं फगनहटा अंग लगायो री।
…ओ री सखी फागुन आयो री।
जी के रंग में घुल रही भंगिया।
कट रहीं फसलैं, चल रहे हंसिया।
फूल रहीं महुअन की बगियां।
खिल गए दिन, मिलहें चैन की रतियाँ।
होरन संग हो रईं सजन से बतियाँ।
बिरहन को मिल गये सजन फगुनिया।मन में महक रई मोरे नई- नई धनिया।
करेजवा में बिध रई बैहर फगुनिया।
अब मोहे जी का कष्ट बिसरायो री।
…ओ री सखी फागुन आयो री।
चौराहन में फिर फागन का राग सुनायो री।
होली में पिय संग रंगहैं जियरा ललचायो री।
बैरंग चिठियन को फगनहटा जवाब लायो री
अबहिं से घुल रओ अमुअन को रस, बिरबन में जो फूलत करहौं जी खों और लुभायो री।.
..ओ री सखी फागुन आयो री।
सखी पूष गयो जाड़न खों तापे, मोरो साजन परदेस कमायो री।
देखत – देखत उनकी रस्ता उनकीअब तो सुदिन है आयो री।
जो तकबे से प्राण ऊब गए,लग्यो सजन बिसरायो री।
बिरह बीत गई जे सन्देशा फिर बसंत लै आयो री।
अब सब अंग रंगू संग श्याम पिया के,
हाँ मोरा जियरा चैन है पायो री।…
ओ री सखी फागुन आयो री।
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27 फरवरी 2021
© दीपक गौतमस्वतंत्र पत्रकार, सतना, मध्यप्रदेशसंपर्क : 992380013
deepakgautam.mj@gmail.com
परिचय : मध्यप्रदेश के सतना जिले के छोटे से गांव जसो में जन्म. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से 2007-09 में ‘मास्टर ऑफ जर्नलिज्म’ (एमजे) में स्नातकोत्तर. मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में लगभग डेढ़ दशक तक राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, राज एक्सप्रेस और लोकमत जैसे संस्थानों में मुख्यधारा की पत्रकारिता. लगभग डेढ़ साल मध्यप्रदेश माध्यम के लिए क्रिएटिव राइटिंग। इन दिनों स्वतंत्र लेखन में संलग्न. बीते 15 सालों से शहर दर शहर भटकने के बाद फिलवक्त गांव को जी रहा हूं. बस अपनी अनुभितियों को शब्दों के सहारे उकेरता रहता हूं. ये ब्लॉग उसी का एक हिस्सा है.
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