कृषि विधेयकों का एनडीए में ही विरोध
कृषि संबंधित तीन विधेयकों पर एनडीए में ही विरोध होना शुरू हो गया है।
इन विधेयकों पर पंजाब के किसानों में असंतोष बढ़ रहा है।
यह देख एनडीए सरकार में सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर इन विधेयकों के खिलाफ वोट करने को कहा है।
पंजाब के किसान इन विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि पंजाब का जो भी सांसद संसद में इन विधेयकों का समर्थन करेगा, उसे गांवों ने घुसने नहीं दिया जाएगा।
इन विधेयकों के खिलाफ पूरे पंजाब में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और रास्ता जाम कर रहे हैं।
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भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को ‘कोरोना वायरस से भी बदतर’ बताया है।
उन्होंने कहा कि यदि इन्हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे।
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया।
सुखबीर बादल ने किया नड्डा से आग्रह
शिअद नेता सुखबीर सिंह बादल ने इस पर चर्चा में कहा था कि इस कानून को लेकर पंजाब के किसानों, आढ़तियों और व्यापारियों के बीच बहुत शंकाएं हैं।
सरकार को इस विधेयक और अध्यादेश को वापस लेना चाहिए।
शिअद नेताओं ने मंगलवार को बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात कर आग्रह किया था कि केंद्र सरकार को कृषि से संबंधित इन तीन विधेयकों पर किसानों की चिंताओं का निराकरण करना चाहिए।
पार्टी ने इन विधेयकों को संसदीय समिति में भेजने की मांग की थी।
बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि किसानों से संबंधित जिन तीन विधेयकों को केंद्र सरकार संसद में लेकर आई है, वे बहुत ही क्रांतिकारी हैं, जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने वाले हैं और किसानों की तस्वीर बदलने वाले हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी कहा है कि संसद में पेश किए गए कृषि क्षेत्र से संबंधित विधेयकों से इस सीमावर्ती राज्य में ‘‘अशांति और असंतोष” फैल सकता है जो कि पहले ही पाकिस्तान द्वारा अशांति फैलाने की हरकतों से लगातार जूझ रहा है।