ऑपरेशन सिंदूर: संसद में बहस के बाद भी युद्ध विराम और आतंकवाद पर अनुत्तरित सवाल

मीडिया स्वराज डेस्क

ऑपरेशन सिंदूर: संसद में लंबी बहस के बावजूद कई सवालों के जवाब नहीं मिले .22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया। 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के जवाब में भारत ने ऑपरेशनसिंदूर शुरू किया, जिसके तहत 6-7 मई 2025 को पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। संसद के मॉनसून सत्र में इस मुद्दे पर 16 घंटे की तीखी बहस हुई, लेकिन युद्ध विराम के कारण, युद्धक विमानों के नुकसान और आतंकियों की घुसपैठ जैसे सवाल अनुत्तरित रहे। विपक्ष ने तीखे सवाल उठाए, जबकि सरकार ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया।

विपक्ष के सवाल

युद्ध विराम क्यों हुआ?
विपक्ष ने सबसे बड़ा सवाल उठाया कि जब ऑपरेशन सिंदूर में भारत को निर्णायक बढ़त मिल चुकी थी, तो युद्ध विराम क्यों किया गया? कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने संसद में कहा, “हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। फिर भी, हमारे सैनिकों को युद्ध विराम की खबर अपने प्रधानमंत्री के बजाय एक विदेशी नेता से पता चली। क्या यह सरकार की कूटनीतिक विफलता नहीं है?”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने जोड़ा, “जब पाकिस्तान घुटने टेक चुका था, तो ऑपरेशन को अचानक क्यों रोका गया? क्या अमेरिकी दबाव ने हमें पीछे हटने पर मजबूर किया?”

  1. कितने युद्धक विमान नष्ट हुए?
    युद्धक विमानों के नुकसान पर विपक्ष ने सरकार को घेरा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूछा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के कितने लड़ाकू विमान गिराए गए? सरकार इस पर चुप क्यों है?”
    पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि उनके वायुसेना ने 2-5 भारतीय विमानों को मार गिराया, लेकिन भारत ने इसकी पुष्टि या खंडन नहीं किया। जवाब में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “विपक्ष को यह पूछना चाहिए कि हमारी सेना ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए। ऑपरेशन की सफलता पर ध्यान दें, न कि छोटी-मोटी बातों पर।”
  2. आतंकवादी पहलगाम कैसे पहुंचे?
    पहलगाम हमले में आतंकियों की घुसपैठ पर विपक्ष ने सुरक्षा चूक का आरोप लगाया। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गृह मंत्रालय पर निशाना साधते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर में साढ़े सात लाख सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, फिर चार आतंकी पहलगाम कैसे पहुंचे और 26 लोगों की जान ले गए?”
    कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने गृह मंत्री से सवाल किया, “आतंकी कहां गायब हो गए? उनके फर्जी स्केच क्यों बनवाए गए? क्या यह खुफिया विफलता नहीं है?”

मोदी सरकार के जवाब और नेताओं के उद्धरण

सरकार ने ऑपरेशनसिंदूर को अपनी आतंकवाद विरोधी नीति की सफलता बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेना ने 22 मिनट में आतंकी ठिकानों को शत-प्रतिशत नष्ट किया। मुरिदके और बहावलपुर में 100 से ज्यादा आतंकियों और उनके आकाओं को जमींदोज किया गया। हर माथे का सिंदूर मिटने न देंगे, मिटाया तो उसका जवाब देकर रहेंगे।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं। लेकिन जब पाकिस्तान ने आतंक को अपनी नीति बनाया, तो हमने मुरिदके और बहावलपुर के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। हमारी सेना ने 12 पाकिस्तानी वायुसेना ठिकानों को भी नष्ट किया।”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कूटनीतिक समर्थन पर जोर देते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से केवल तीन ने पाकिस्तान का साथ दिया। यह भारत की वैश्विक ताकत और कूटनीतिक जीत है।”

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, “1948 में नेहरू की गलतियों के कारण PoK भारत से अलग हुआ। हमारी सरकार ऐसी गलतियां नहीं दोहराएगी। ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ हमारा संकल्प है।”

शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार और विपक्ष दोनों को आड़े हाथों लिया और कहा, “जय जवान, जय हिंद! लेकिन पहलगाम जैसे हमले रोकने के लिए ठोस रणनीति चाहिए, न कि केवल बयानबाजी।”

अनुत्तरित सवाल और भविष्य की चुनौतियां

ऑपरेशनसिंदूर ने भारत की सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को प्रदर्शित किया, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित रहे। युद्ध विराम के पीछे क्या कारण थे? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता दावे का इसमें कोई रोल था? विदेश मंत्री जयशंकर ने इस पर कहा, “22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई सीधा संवाद नहीं हुआ।” फिर भी, युद्ध विराम का कारण अस्पष्ट रहा।

पाकिस्तानी दावों के अनुसार भारतीय विमानों का नुकसान हुआ, लेकिन सरकार ने इस पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। पहलगाम हमले के आतंकियों की पहचान और उनकी घुसपैठ का रास्ता भी रहस्य बना रहा। मायावती (बसपा) ने सुझाव दिया, “ऑपरेशन सिंदूर पर सत्ता और विपक्ष को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ठोस रणनीति बनानी चाहिए।”

निष्कर्ष

ऑपरेशनसिंदूर ने भारत की ताकत और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प को दिखाया, लेकिन संसद में 16 घंटे की बहस के बाद भी कई सवालों के जवाब नहीं मिले। युद्ध विराम, विमानों का नुकसान और आतंकियों की घुसपैठ जैसे मुद्दों पर सरकार की चुप्पी ने जनता और विपक्ष में संदेह पैदा किया। क्या भविष्य में सरकार इन सवालों का स्पष्ट जवाब देगी, या यह एक और अनुत्तरित अध्याय बनकर रह जाएगा?

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