नीतीश कुमार के लिए असमंजस का समय
अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे
ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है. भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में नीतीश कुमार की पार्टी के छह विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. य़ह गठबंधन धर्म के साथ घात है. इसका संदेश स्पष्ट है. अब हमें नीतीश कुमार का कतई परवाह नहीं है. नीतीश कुमार इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं.
उधर नीतीश सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्री दिल्ली में प्रधानमंत्री जी से मिले हैं. प्रधानमंत्री जी ने उनको कहा है कि बिहार की जनता ने भाजपा पर भरोसा जताकर बहुमत दिया है. इसका ध्यान रखना है. यानी बहुमत नीतीश कुमार को नहीं भाजपा को मिला है.
इधर पटना के एक अखबार में खबर छपी है कि हिंदू जागरण मंच के मंच से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक पदाधिकारी ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही बिहार में भी लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया जाए. यह आवाज धीरे-धीरे तेज होने वाली है.
विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार नीतीश जी का इलाज करने के लिए चिराग पासवान का इस्तेमाल किया उस का मकसद क्या था, यह धीरे-धीरे खुलने लगा है. अब देखना है कि नीतीश कुमार कब तक और कितना अपमान सहते है. अगर वे साहस दिखा कर कोई फैसला लेते हैं तो हम उसका स्वागत करेंगे.
शिवानन्द 25 दिसंबर, पटना