नेपाल सृजित करेगा रेल मंत्रालय
अभी तिरपाल में ढका है भारत द्वारा उपलब्ध कराया डीएमयू सवारी गाड़ी
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काठमांडू। नेपाल सरकार संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में रेल मंत्रालय के सृजन पर गंभीरता से विचार कर रही है।
नेपाल में चीन और भारत के सहयोग से शुरू रेल परियोजनाओं के बीच नेपाल में रेल विभाग का गठन तो हुआ लेकिन इसके मंत्रालय का सृजन बाकी है।
इस बीच संभावित रेल मंत्री कौन होगा इस पर भी मंथन शुरू हो गया है।
आने वाले दिनों में नेपाल में कई रूटो पर रेल संचलन संभावित है।
ऐसे में नेपाल रेल मंत्रालय सहित अन्य जरूरी आवश्यकताओं के विस्तार को लेकर गंभीर है।
बता दें कि नेपाल में अलग अलग रूटों पर रेल लाइन विस्तार पर भारत और चीन दोनों देशों की परियोजनाएं काम कर रही है।
नेपाल का भारत से पहला रेल समझौता 2019 में कोंकण रेलवे कारपोरेशन महाराष्ट्र से हुआ था।
इसके तहत कोकण रेल कारपोरेशन 84 करोड़ 65 लाख रूपये में चार बोगी और इंजन समेत दो अदद डीएमयू सवारी गाड़ी नेपाल को उपलब्ध करा दिया है।
भारतीय रेल चालकों द्वारा 25 सितंबर को बिहार के पश्चिमी चंपारण के जयनगर रेलवे स्टेशन से नेपाल के जनकपुर धाम तक पंहुचाई गई ट्रेन अब तिरपाल से ढक दी गई है।
नेपाल में इस रूट पर सर्वप्रथम रेल संचलन के पीछे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के राम की अयोध्या और माता सीता के जनकपुर धाम तक जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना रामायण सर्किट का सपना साकार करना था।
इस रेलगाड़ी को मकर संक्रांति के अवसर पर 30 जनवरी को ही जनकपुर पहुंचना था लेकिन लाकडाउन और सीमा सील होने के कारण इसे हाजीपुर रेलवे स्टेशन पर खड़ी कर देना पड़ा था।
नेपाली रेलवे स्टेशन जनकपुर तक रेलगाड़ी भले ही पहुंच गई लेकिन इसके संचलन के लिए नेपाल के पास कोई इंतजाम नहीं है।
उसे भारत से रेलकर्मी उपलब्ध कराने का इंतजार है।
अभी फिलहाल जयनगर से जनकपुर कुल 25 किमी तक डीएमयू सवारी गाड़ी चलेगी।
इसके लिए बड़ी रेल लाइन दो साल पहले तैयार हो गया था।
मात्र 25 किमी तक ही रेल संचलन के लिए फौरी तौर पर उसे 26 अदद रेलकर्मी की जरूरत है जिसे भारत उपलब्ध कराएगा लेकिन इन रेलकर्मियों का वेतन आदि नेपाल सरकार को वहन करना होगा।
नेपाल सरकार की ओर से अभी इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका है।
रेल विभाग के महानिदेशक बलराम मिश्र ने बताया कि कोरोना के कारण भारत नेपाल की सीमा सील है, इस नाते रेलगाड़ी लाने में बिलंब हुआ।
इसके संचालन के लिए भारत से ही रेलकर्मियों को आना है।दोनों देशों के बीच रेलकर्मियों की सेवा शर्तों पर बात चल रही है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि नेपाल के इस पहली रेल सेवा का संचलन शीघ्र प्रारंभ होगा। नेपाल के लोगों को इसे लेकर काफी उत्सुकता है।