नेपाल : ओली और प्रचंड के संघर्ष का असर राज्यों पर
नेपाल में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष पर सत्ता संघर्ष वरिष्ठ पत्रकार यशोदा श्रीवास्तव की रिपोर्ट
यशोदा श्रीवास्तव
काठमांडू। केंद्रीय संसद भंग होने के बाद अब सभी सात प्रदेश सरकारों पर भी ओली की तलवार लटकी है। इसके पीछे ओली की मंशा केंद्र और प्रदेश की सरकारों का चुनाव साथ साथ कराने की है।
लेकिन भंग लोकसभा के नेपाली कांग्रेस सांसद अभिषेक प्रताप शाह का कहना है कि दरअसल सात में से चार प्रदेशों में ओली गुट और प्रचंड गुट के विधायकों की संख्या या तो बराबर है या कुछ कम आगे पीछे है।
इन चार प्रदेशों में जहां प्रचंड गुट के विधायक भले ज्यादा हों,मुख्यमंत्री ओली गुट के ही हैं। शाह कहते हैं कि ओली से अलग होने के बाद जाहिर है प्रचंड अन्य दलों के साथ जोड़ तोड़ कर अपनी सरकार बनाना चाहें। ओली को यह कैसे गंवारा हो सकता है?
ओली के संसद भंग करने की सिफारिश के बाद प्रचंड अपनी पार्टी नेकपा माओवादी के सदस्यों को लेकर अलग हो गए और केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में प्रचंड को पार्टी का अध्यक्ष भी चुन लिया गया। अभी कुछ महीने पहले प्रचंड ने अपनी पार्टी नेकपा माओवादी का विलय एमाले में कर लिया था जिसका की पूर्ण कालिक अध्यक्ष स्वयं ओली थे जबकि कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड थे।
इन प्रदेशों में प्रचंड गुट के विधायकों का है दबदबा
..प्रदेश संख्या एक.सदस्य संख्या 93.सरकार के लिए बहुमत 47. प्रचंड गुट के विधायक 32.अन्य दलों के विधायकों से मिलकर प्रचंड गुट की सरकार बनने का विकल्प मौजूद।
..बागमती राज्य. कुल विधायक 110.बहुमत के लिए जरूरी संख्या 56.प्रचंड गुट के विधायक 46.यहां भी अन्य दलों के साथ मिलकर प्रचंड गुट की सरकार बनने का विकल्प मौजूद।
..गंडकी राज्य. कुल विधायकों की संख्या 60.सरकार के लिए बहुमत 31.प्रचंड गुट के विधायक 13,ओली गुट के 27.यहां ओली गुट के विधायकों की संख्या भले ही 27 है और उन्हे बहुमत के चार विधायकों का ही जुगाड़ करना पड़े लेकिन यह ओली गुट के लिए मुश्किल है जबकि नेपाली कांग्रेस के 25 और पांच अन्य दो पार्टी के विधायकों का समर्थन प्रचंड गुट को आसानी से मिल सकता है।
..लुंबिनी राज्य. कुल सदस्य 87.सरकार के लिए बहुमत 44.ओली गुट के विधायक 26 और प्रचंड गुट के 25.शेष अन्य दलों के हैं।यहां भी ओली गुट न सरकार बचा सकता है और न ही बना सकता है जबकि प्रचंड गुट को अन्य दलों के विधायकों का समर्थन आसानी से मिल सकता है।
ओली अच्छी तरह जानते हैं कि अलग हो जाने से प्रचंड इन प्रदेशों में अपनी सरकार के लिए जोड़ तोड़ करेंगे।ऐसी स्थिति में क्यों न प्रदेश सरकारों को भी भंग कर दिया जाय?
प्रदेश संख्या-एक के मुख्यमंत्री शेरधन राई, बागमती के डोरमनी पौडेल, गंडकी के प्रमुख सुवा गुरु और लुंबिनी के शंकर पोखरेल प्रधानमंत्री केपी ओली गुट के हैं।पीएम ओली यदि इन राज्य सरकारों को भंग करना चाहें तो इन मुख्यमंत्रियों को इसकी संस्तुति करने में जरा भी देर नहीं लगेगी।