मुंशीगंज गोलीकांड – जब किसान आंदोलन का सच लिखने के लिए जेल हुई

मुंशीगंज गोलीकांड रायबरेली पर गौरव अवस्थी का लेख.

मुंशीगंज गोलीकांड रायबरेली का यह शताब्दी वर्ष है, जिसमें प्रखर पत्रकारिता के नायक गणेश शंकर विद्यार्थी एवं शिवनारायण को छह छह माह की सजा हुई थी.

100 बरस पहले अपने 3 नेताओं – बाबा जानकी दास पंडित अमोल शर्मा ठाकुर बद्री सिंह की गिरफ्तारी और फुरसतगंज रायबरेली में गोली वर्षा से नाराज किसानों ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया था.

अंग्रेज अफसर को वापस भेजने के लिए हजारों किसान रायबरेली शहर से सटे मुंशीगंज में सई  नदी के उस पार आ डटे थे. वहीं  यह मुंशीगंज गोली कांड हुआ और सैकड़ों निहत्थे किसान मारे गए..

प्रखर पत्रकारिता के नायक गणेश शंकर विद्यार्थी एवं शिवनारायण को छह छह माह की सजा हुई थी.

अवध का किसान आंदोलन शुरू तो हुआ था प्रतापगढ़ से लेकिन विद्रोह की सबसे ज्यादा चिंगारी रायबरेली के किसानों में ही फैली. किसानों के विद्रोह से डर कर ही ब्रितानी हुकूमत की सेना और सिपाहियों ने  सई नदी के किनारे मुंशीगंज में एकत्र हुए निहत्थे किसानों पर 7 जनवरी 1921 को गोलियां बरसाई थी.

मिनी जलियांवाला बाग कांड

इस ऐतिहासिक गोलीकांड में सैकड़ों निहत्थे किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. किसान आंदोलन और स्वाधीनता के इतिहास में इस गोलीकांड को मुंशीगंज गोलीकांड के रूप में जाना जाता है. इतिहासकारों ने इसे मिनी जलियांवाला बाग कांड भी कहा.

श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने 13 जनवरी 1921 को कानपुर से प्रकाशित दैनिक प्रताप में रायबरेली के नृशंस अत्याचारों एवं मुंशीगंज गोलीकांड पर अग्रलेख लिखा ,जिसका शीर्षक था डायरशाही और ओडायरशाही । उन्होंने लिखा-मरने वालों  के लिए मुंशीगंज की गोलियां वैसे ही कातिल थी जैसे कि जलियांवाला  बाग की गोलियां। क्रूरता की  क्रिया उतना ही जघन्य रूप धारण किए थी, जितना कि वह अमृतसर में धारण किए थी। 19 जनवरी 1921 को दैनिक प्रताप में विस्तृत समाचार लिखा शीर्षक था-रायबरेली की डायरशाही – पुलिस और वीरपाल सिंह की कीर्तिकथा -भयंकर दृश्य।

नेहरू का दौरा

14 जनवरी को पंजाब मेल से जवाहर लाल नेहरू, पं. मदनमोहन मालवीय, पं. वेंकटेश नारायण तिवारी रायबरेली आए और मुंशीगंज पुल पर पहुंच कर पुन जांच पड़ताल की। इसका पूरा विवरण दैनिक प्रताप ने प्रकाशित किया। 

प्रताप की आग उगलती रिपोर्ट व अग्रलेख पर सरदार वीरपाल सिंह, जिन पर पहली गोली चलाए जाने का आरोप था, ने गणेश शंकर विद्यार्थी व प्रकाशक शिव नारायण पर ताजीरात हिंद की दफा 499/500 के अंतर्गत न्यायालय में मुकदमा दायर किया। प्रताप की ओर से जनपद के विभिन्न ग्रामों से 65 लोगो ने गवाहियां दी।

 पं. जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, मदनमोहन मालवीय आदि ने प्रताप के अग्रलेख का समर्थन कर गवाही दी। गणेश शंकर विद्यार्थी की ओर से सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं ऐतिहासिक उपन्यासकार वृंदावनलाल वर्मा ने मुकदमे की पैरवी की। उनके सहायक वकीलों में गौरीशंकर व अमृत राय थे। 22 मार्च 1921 को उन्होंने बहस की। 

मजिस्ट्रेट ने विद्यार्थी  तथा शिवनारायण को 6-6 माह की सजा था एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा दी। विद्यार्थी ने मुकदमे की अपील सेशंस  जज लखनऊ के यहां की। पर सेशंस  जज ने अपील खारिज कर दी तथा  सजाएं बहाल रखी।

रिपोर्टिंग के लिए सजा क़ुबूल की

सब जानते ही हैं की गणेश शंकर विद्यार्थी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सहयोग के लिए सरस्वती में सहायक संपादक भी रहे. सिद्धांतों के प्रति गीता का पाठ उन्होंने आचार्य द्विवेदी से ही पढ़ा था. इसीलिए वह ब्रितानी हुकूमत के आगे नहीं झुके और मुंशीगंज गोलीकांड की निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए 6 माह कैद और जुर्माने की सजा कुबूल की.

गौरव अवस्थी

पत्रकार रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

91-9415-034-340

गौरव अवस्थी
गौरव अवस्थी

 (पिछले तीन दशक से दैनिक अखबार की पत्रकारिता करते हुए संपादक आचार्य आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की स्मृतियों को सहेजने का महत्वपूर्ण काम भी 2 दशक से अधिक समय से कर रहे हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published.

three × one =

Related Articles

Back to top button