बेटा-बेटी विरासत आगे ले जाएंगे, घोषणा करती BoB Biswas
'ब्लू' से शुरू हुई फ़िल्म पूरी तरह से बॉब बने अभिषेक के इर्दगिर्द ही घूमती है. फ़िल्म के लिए उन्होंने अपना वज़न बढ़ाया और अपनी इस मेहनत से लुक में बदलाव ला अभिषेक ने दर्शकों का दिल जीतने में सफलता पाई है, जिसमें फ़िल्म की मेकअप टीम ने भी उनका बराबर साथ दिया है.
अभिनय के मामले में भी अभिषेक ने वह कर दिखाया है जिसके बाद वह भी कह सकते हैं “मैं अभिषेक बच्चन बोल रहा हूं”. चित्रांगदा सिंह भी खूबसूरत लगी हैं साथ ही उन्होंने बॉब की खूबसूरत पत्नी का किरदार भी बखूबी निभाया है, इन दोनों के अलावा फ़िल्म में सभी कलाकारों के पास जितना भी अभिनय करने के लिए था सबने बेहतर ही निभाया.
-हिमांशु जोशी
BoB Biswas फिल्म समीक्षा : साल 2017 में ‘Neighborhood ties’ नाम की शॉर्ट फ़िल्म आई और कांस फ़िल्म फेस्टिवल के लिए चुन ली गई थी, इस शॉर्ट फ़िल्म की निर्देशक का नाम था दीया अन्नपूर्णा घोष.
दीया का एक और परिचय यह है कि वह ‘झंकार बीट्स’, ‘बदला’ के निर्देशक सुजॉय घोष की बेटी हैं.
दीया ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए अभिषेक बच्चन पर भरोसा जताया और उन्हें लेकर बॉब बिस्वास बनाई.
यह फिल्म ‘कहानी’ के बॉब बिस्वास नामक काल्पनिक चरित्र पर आधारित है.
‘ब्लू’ से शुरू हुई फ़िल्म पूरी तरह से बॉब बने अभिषेक के इर्दगिर्द ही घूमती है. फ़िल्म के लिए उन्होंने अपना वज़न बढ़ाया और अपनी इस मेहनत से लुक में बदलाव ला अभिषेक ने दर्शकों का दिल जीतने में सफलता पाई है, जिसमें फ़िल्म की मेकअप टीम ने भी उनका बराबर साथ दिया है.
अभिनय के मामले में भी अभिषेक ने वह कर दिखाया है जिसके बाद वह भी कह सकते हैं “मैं अभिषेक बच्चन बोल रहा हूं”.
चित्रांगदा सिंह भी खूबसूरत लगी हैं साथ ही उन्होंने बॉब की खूबसूरत पत्नी का किरदार भी बखूबी निभाया है, इन दोनों के अलावा फ़िल्म में सभी कलाकारों के पास जितना भी अभिनय करने के लिए था सबने बेहतर ही निभाया.
फ़िल्म शुरू होने के दस मिनट बाद ही आपको इसे देखने में मज़ा आने लगेगा और फ़िल्म का बेहतरीन छायांकन आपके इसे मज़े को दोगुना कर देगा.
फ़िल्म का कलर उसके विषय से ही जुड़ा हुआ लगता है, कोलकाता की गलियों को चाउमीन के ज़रिए बिना हावड़ा ब्रिज दिखाए ही मंत्रमुग्ध करने वाला दिखा दिया गया है.
फ़िल्म आगे बढ़ते इसका रहस्य-रोमांच बढ़ता जाता है और फिल्मकार दर्शकों को एक बढ़िया बॉलीवुड फिल्म देखने का अवसर भी देते हैं. इतना तो है आप इसे देखते क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है, सोचने पर मजबूर होते रहेंगे.
अगर आप हॉलीवुड फिल्मों के शौकीन हैं तो कभी-कभी यह ‘जेसन बॉर्न’ की याद भी दिलाती है.
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फ़िल्म की कहानी के अनुसार ही उसका संगीत भी बजता है ,जो फ़िल्म के रोमांच को बनाए रखने में अभिषेक के बराबर ही काम करता है.
फ़िल्म के गाने तो ऐसे नही हैं जो याद रखे जाएं पर वह फ़िल्म देखते आपको कहानी से जोड़े रखते हैं.
दीया अन्नपूर्णा घोष और अभिषेक बच्चन का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ है और हमें उम्मीद है कि इनसे भविष्य में इससे भी अच्छा देखने को मिलेगा.
तब तक आप अपने-अपने पिताओं की विरासत को आगे ले जाते निर्देशक और अभिनेता की इस फ़िल्म का मज़ा तो ले ही सकते हैं.
निर्देशक- दीया अन्नपूर्णा घोष
निर्माता- गौरी खान, सुजॉय घोष, गौरव वर्मा
लेखक- सुजॉय घोष
मेकअप- सीमोन बेयलेवेल्ड
स्टंट- एलिस्टर और परमजीत
सिनमोटोग्राफी- गैरिक सरकार
संगीत- विशाल-शेखर, अनुपम रॉय, क्लिंटन सेरेजो, बियांका गोम्स
ओटीटी प्लेटफॉर्म- ZEE5
समीक्षक- हिमांशु जोशी @Himanshu28may
रेटिंग- 3.5/5
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