मई दिवस –पर एक अनुभूति
डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी (प्रयागराज) मुंबई से
मजूर दिवस है
आज हुजूर
आइये
मजूर को
नमन करें
न करें
याद तो
कर ही ले उन्हें
जो न घर के रहे
न घाट के
भीड़ भाड़ से
जो बस हाड
ही रह गए
भीड़ जो
बच रहे उन्हें वोट की
तिजोरी में भरे रहें
भाड़ को
युग की आग में झोंक कर
राजनीति की
रोटियां सेंक लें
हाड का कोई
अमोघ अस्त्र सोच लें
आइये हुजूर
नम आँख कर
मजूर को
याद तो कर ही लें