Mahatma Gandhi: पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने के बाद भी नहीं रुका था बापू का उपवास
Mahatma Gandhi: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के अंतिम उपवास का 15 जनवरी 1948 को तीसरा दिन था।
Mahatma Gandhi: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के अंतिम उपवास का 15 जनवरी 1948 को तीसरा दिन था। डॉक्टरों ने उनकी किडनीया खराब होने की जानकारी दी लेकिन गांधीजी तो दिल्ली में शांति के लिए आत्म शुद्धि उपवास कर रहे थे।
79 वर्ष के बापू का पाना सम्भव नहीं था इसलिए उनके खांट के पास माईक लाया गया। उन्होंने कहा यह सच है कि मुसलमानों पर यहां जो अत्याचार हो रहे हैं मैं उसके विरोध में उपवास पर हूं यह जितना सच है उतना ही सच यह है कि मेरा उपवास पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में भी है।
उसी दिन अर्थात 6 दिन के उपवास के तीसरे दिन भारत सरकार ने घोषणा कर दी कि पाकिस्तान के बकाया 55 करोड़ रुपये उसे दे रहे हैं। असल में यह रुपया रिजर्व बैंक के रुपए के बंटवारे का पाकिस्तानी हिस्सा था जो अंतरराष्ट्रीय नियम से देना ही था। जब बापू को यह बताता गया तो उन्होंने संतोष व्यक्त किया और दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरेंगे। इसके बाद भी बापू ने उपवास नहीं छोड़ा क्योंकि वे तो दिल्ली में हो रहे। साम्प्रदायिक दंगो से व्यथित हो कर उपवास कर रहे थे और फिर 18 जनवरी को शांति हुई तब उपवास छोड़ा।