क्या मोदी 75 की उम्र में सत्ता छोड़ेंगे?
भागवत के बयान ने बढ़ाई हलचल
मीडिया स्वराज डेस्क
“75 की उम्र होने के बाद दूसरों को मौका देना चाहिए। जब आपको शॉल ओढ़ाई जाती है तो समझिए कि उम्र हो गई है और अब थोड़ा किनारे हो जाना चाहिए।”यह बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 9 जुलाई को राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक मोरोपंत पिंगले पर लिखी किताब के विमोचन के दौरान दिया।
भागवत ने भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नहीं लिया, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे तुरंत मोदी से जोड़ दिया। शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने तंज कसते हुए कहा:“मोदी ने आडवाणी, जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को 75 के बाद जबरन रिटायर किया। अब देखते हैंकि क्या मोदी खुद इस पर अमल करेंगे।”
क्या भागवत का बयान मोदी के लिए संकेत है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भागवत का बयान एक “सॉफ्ट मैसेज” है, जो केवल सामान्य नैतिक शिक्षा नहीं बल्कि संगठन के भीतर नेतृत्व परिवर्तन पर चर्चा का संकेत भी हो सकता है।हालांकि, आरएसएस और भाजपा के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह बयान मोदी पर लक्षित नहीं था, बल्कि यह एक सामान्य विचार था।
मोदी और आरएसएस में खटास है?
मार्च 2025 में प्रधानमंत्री मोदी नागपुर गए थे। कहा गया कि यह दौरा संघ नेतृत्व के साथ “पैचअप” के लिए था।लेकिन क्या खटास खत्म हो गई? संघ का मानना है कि भाजपा “व्यक्ति आधारित पार्टी” बन गई है, जो संगठन के सिद्धांतों के खिलाफ है।वहीं, मोदी ने अपनी लोकप्रियता और मजबूत पकड़ से भाजपा को लगातार दो चुनावों में ऐतिहासिक जीत दिलाई।इस बैलेंस के चलते दोनों के बीच एक “साइलेंट टेंशन” बना हुआ है।
अगर मोदी हटते हैं तो उनका उत्तराधिकारी कौन?
मोदी के बाद भाजपा में तीन बड़े नाम चर्चा में हैं:
अमित शाह – मोदी के सबसे करीबी और संगठन पर मजबूत पकड़। लेकिन विपक्षी गठबंधन के लिए इनका आक्रामक स्टाइल चुनौती हो सकता है।
राजनाथ सिंह – वरिष्ठ और सर्वस्वीकार्य चेहरा। लेकिन युवा कार्यकर्ताओं में उतनी अपील नहीं।
योगी आदित्यनाथ – हिंदुत्व का उग्र चेहरा। आरएसएस का एक वर्ग इन्हें पसंद करता है, लेकिन उनका “संत” वाला व्यक्तित्व संगठनात्मक ढांचे से मेल नहीं खाता।
अगर मोदी हटते हैं तो भारतीय राजनीति कैसे बदलेगी?
भाजपा के भीतर संघर्ष: मोदी की गैर-मौजूदगी में नेतृत्व को लेकर खींचतान संभव।
विपक्ष को बढ़त: कांग्रेस और INDIA गठबंधन मोदी के जाने को भाजपा की कमजोरी बता सकते हैं।
आरएसएस की भूमिका: संघ नेतृत्व नए प्रधानमंत्री पर अधिक नियंत्रण रख सकता है।
भाजपा का आधिकारिक स्टैंड क्या है?
अमित शाह और जेपी नड्डा दोनों साफ कर चुके हैं कि “भाजपा संविधान में 75 की उम्र का कोईप्रावधान नहीं है। मोदी 2029 तक देश का नेतृत्व करेंगे।”लेकिन 2014 से अब तक आडवाणी, जोशी, सुमित्रा महाजन, आनंदीबेन पटेल जैसे कई नेताओं को 75 पार करते ही मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया।
अन्य बड़े सवाल
क्या 2024 की जीत के बाद भाजपा अब “पोस्ट-मोदी युग” की तैयारी कर रही है?
क्या भागवत का बयान संगठन के भीतर युवाओं को मौका देने का इशारा है?
क्या मोदी खुद ही 2029 तक के बाद सक्रिय राजनीति से अलग होने का रोडमैप बना रहे हैं?
भागवत का बयान फिलहाल सिर्फ एक विचार लग सकता है, लेकिन भाजपा और संघ के भीतर नेतृत्व के भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। मोदी हटेंगे या नहीं, यह आने वाले एक साल में साफ होगा।
क्या मोदी 75 की उम्र में सत्ता छोड़ेंगे?