उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर जनपद ‘गोरखपुर’ को कितना जानते हैं आप?

गोरखपुर को जानें करीब से

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 अक्टूबर को गोरखपुर पहुंचकर वहां के विकास की बातें कीं. अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए सीएम योगी ने रविवार, 24 अक्टूबर 2021 को अपने गृहनगर जनपद गोरखपुर में ₹142 करोड़ लागत की 358 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया. साथ ही ₹38.22 Cr. की लागत से निर्मित मल्टीस्टोरी पार्किंग का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने गोरखपुर में पिछले 30 सालों में हुए विकास कार्यों पर भी काफी कुछ कहा. तो आइए, जानते हैं गोरखपुर को करीब से…

सुषमाश्री

यह क्षेत्र, जिसे आज गोरखपुर जनपद कहा जाता है, वह कभी आर्य संस्कृति और सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था. आधुनिक गोरखपुर में बस्ती, देवरिया और आज़मगढ़ के अलावा कभी नेपाल के कुछ जिलों को भी शामिल किया गया था.

सन् 1801 में अवध के नवाब ने ईस्ट इंडिया कंपनी को इस क्षेत्र के हस्तांतरण के बाद से ही गोरखपुर के आधुनिक काल को चिह्नित किया था. इसके साथ ही, गोरखपुर को एक ‘जिलाधिकारी’ दिया गया था. यहां का पहला कलेक्टर रूटलेज था. 1829 में, गोरखपुर को इसी नाम के एक डिवीजन का मुख्यालय बनाया गया था, जिसमें गोरखपुर, गाजीपुर और आज़मगढ़ के जिले शामिल थे. आर.एम. बिराद को पहली बार यहां का आयुक्त नियुक्त किया गया था.

1865 में, गोरखपुर में एक नया जिला, बस्ती बनाया गया. फिर 1946 में देवरिया और 1989 में जिला महाराजगंज बनाया गया.

असहयोग आंदोलन से सं​बंध

इनके अलावा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 4 फरवरी, 1922 की ऐतिहासिक ‘चौरी चौरा’ घटना के कारण भी गोरखपुर को याद किया जाता है. पुलिस की अमानवीय बर्बरता और अत्याचारों के कारण गुस्से में आकर स्वयंसेवकों ने चौरी-चौरा पुलिस थाने को जला दिया था, जिससे वहां मौजूद 19 पुलिसकर्मियों की हत्या हो गई थी. इस हिंसा के बाद, महात्मा गांधी ने 1920 में शुरू हुए असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया था.

1865 में, गोरखपुर में एक नया जिला, बस्ती बनाया गया. फिर 1946 में देवरिया और 1989 में जिला महाराजगंज बनाया गया.

इसके अलावा गोरखपुर से जुड़ी एक अन्य घटना भी महत्वपूर्ण है. 23 सितंबर, 1942 को दोहरिया में (सहजनवा तहसील में) 1942 के प्रसिद्ध भारत छोड़ो आंदोलन के जवाब में, दोहरिया में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करने के लिए एक बैठक आयोजित की गई, लेकिन बाद में हिंसक घटना में वहां नौ लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए. उनकी याद में आज भी वहां एक शहीद स्मारक है. इसके अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू को 1940 में यहीं चार साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी.

राजवंश की कहानी

एक समय गोरखपुर कौशल के प्रसिद्ध राज्य का हिस्सा था. अयोध्या में अपनी राजधानी के साथ इस क्षेत्र में सबसे पहले इच्छवाकु राजवंश का शासन था, जिसमें एक भगवान राम भी थे. इस वंश के राजाओं ने ही कभी क्षत्रिय के सौर वंश की स्थापना की थी. तभी से यह मौर्य, शुंग, कुशना, गुप्ता और हर्ष राजवंशों के पूर्व साम्राज्यों का एक अभिन्न अंग बना रहा.

परंपरा के अनुसार, थारू राजा, मदन सिंह के मोगेन (900-950 ए.डि.) ने भी गोरखपुर शहर और आस-पास क्षेत्र पर शासन किया था. मध्ययुगीन काल में, जब पूरा उत्तरी भारत मुस्लिम शासक मुहम्मद गोरी के समक्ष पराजित हो गया तो गोरखपुर क्षेत्र में लंबे समय तक कुतुब-उद-दीन ऐबक से लेकर बहादुर शाह जफर तक, कई मुस्लिम शासकों ने शासन किया.

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

गोरखपुर जनपद, बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध से जुड़ा है, जो 600 ई.पू. रोहिन नदी के तट पर अपने राजसी वेशभूषाओं को त्याग कर सच्चाई की खोज में निकल पड़े थे.

यह जनपद 24वें तीर्थंकर और जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर के नाम से भी जुड़ा है. गोरखपुर में मौजूद उनकी समाधि आज भी हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को यहां आने को मजबूर करती है.

कबीर के दोहों में आज भी शांति और धार्मिक सद्भाव का संदेश साफ झलकता है. मगहर स्थित ‘समाधि’ और ‘मकबरा’ के सह-अस्तित्व में मौजूद उनकी कब्र आज भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

मध्ययुगीन काल के रहस्यवादी कवि और प्रसिद्ध संत कबीर वाराणसी में पैदा हुए, लेकिन उनका कार्यस्थल मगहर था, जहां उनकी सबसे खूबसूरत कविताओं का निर्माण किया गया था. आज भी कबीर के दोहे जगह जगह अपनी छाप छोड़ जाते हैं.

कबीर के दोहों में आज भी शांति और धार्मिक सद्भाव का संदेश साफ झलकता है. मगहर स्थित ‘समाधि’ और ‘मकबरा’ के सह-अस्तित्व में मौजूद उनकी कब्र आज भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

प्रसिद्ध गीता प्रेस और गीता वाटिका

गीता वाटिका

रेलवे स्टेशन से गीता वाटिका 3 किमी दूर पिपराईच रोड पर स्थित है. शायद यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां देवी ‘राधा’ और भगवान कृष्ण के दिव्य प्रेम के लिए 24 घंटे की प्रार्थना होती है. इस जगह का मुख्य आकर्षण राधा और कृष्ण का मंदिर है. गीता वाटिका का निर्माण धार्मिक पत्रिका “कल्याण” के संस्थापक संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार ने किया था. इस कैंपस में 24 घंटे हरे राम हरे कृष्ण का मंत्र 1968 में शुरू हुआ और आज भी दिन और रात बिना किसी व्यवधान के जारी है.

गीता प्रेस

गीता प्रेस रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर रेती चौक पर स्थित है. यहाँ “श्री महाभागवत गीता” के सभी 18 भाग संगमरमर की दीवारों पर लिखे गए हैं. अन्य दीवारों पर भगवान राम और कृष्ण के जीवन की घटनाओं को प्रकट करती पेंटिंग्स हैं. कम दरों पर हिंदू धार्मिक किताबों और हैंडलूम-वस्त्रों के सभी प्रकार यहां बेचे जाते हैं.

गीता प्रेस रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर रेती चौक पर स्थित है. यहाँ “श्री महाभागवत गीता” के सभी 18 भाग संगमरमर की दीवारों पर लिखे गए हैं. अन्य दीवारों पर भगवान राम और कृष्ण के जीवन की घटनाओं को प्रकट करती पेंटिंग्स हैं. कम दरों पर हिंदू धार्मिक किताबों और हैंडलूम-वस्त्रों के सभी प्रकार यहां बेचे जाते हैं.

गोरखपुर में दर्शनीय स्थल

गोरखपुर की भूमि अनेक ऐतिहासिक एवं मध्यकालीन धरोहरों, स्मारकों/ मंदिरों के साथ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. हालांकि आज यहां स्थित गोरखपुर वायु सेना का मुख्यालय भी देखने योग्य है, जो कोबरा स्क्वाड्रन के नाम से जाना जाता है.

विष्णु मंदिर

यह असुरन चौक के पास मेडिकल कॉलेज रोड पर स्थित है. भगवान विष्णु को समर्पित, इस मंदिर की उत्पत्ति 12वीं शताब्दी में पाल राजवंश द्वारा की गयी थी. मंदिर के चारों कोनों में देवता जगन्नाथपुरी, बद्रीनाथ, रामेश्वरम और द्वारिका की मूर्तियाँ स्थापित हैं. मंदिर में कसौटी (काले) पत्थर से बने भगवान विष्णु की एक बड़ी मूर्ति है. दशहरा त्यौहार पर यहाँ राम लीला का मंचन होता है. दूर-दूर से लोग रामलीला की झांकी की भव्यता देखने के लिए इस दौरान यहाँ आते हैं.

आरोग्य मंदिर

1940 में बिटठल दास मोदी द्वारा स्थापित, यह प्राकृतिक चिकित्सा के लिए जाना जाता है. यहाँ पर मरीजों को प्राकृतिक उपचार दिया जाता है. संस्थान उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है. प्राकृतिक और वैकल्पिक उपचार के अग्रणी संस्थान निम्नलिखित विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित करते हैं: (क) नियमित (ख) पत्राचार (ग) कैंप (घ) इंटरनेट. कोई भी अपने निकटतम आरोग्य मंदिर में रियायती मूल्य पर कंपनी द्वारा निर्मित एक्यूप्रेशर यंत्र प्राप्त कर सकते हैं. सुंदर इमारत और इसके हरे रंग के परिसर की चमक भी देखने लायक हैं.

इमामबाड़ा

1717 ई0 में हाजरत संत रोशन अली शाह द्वारा निर्मित किया गया था. यह सोने और चांदी के ताजिया के लिए प्रसिद्ध है. सूफी संत मृत्यु के बाद एक धुनी (धुआं आग) लगातार बनाए रखा जाता है.

सीएम योगी आदित्यनाथ, जिस गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं, वह मंदिर, गोरखपुर रेलवे स्टेशन से करीब 4 किमी दूर नेपाल रोड पर स्थित है. यह मंदिर महान योगी गोरखनाथ को समर्पित है. यह इस क्षेत्र के सबसे प्रमुख और शानदार मंदिरों में से एक है. यहां हर साल एक महीने लंबा चलने वाला ‘मकर संक्रांति मेला’ 14 जनवरी को शुरू होता है.

गोरखनाथ मंदिर

सीएम योगी आदित्यनाथ, जिस गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं, वह मंदिर, गोरखपुर रेलवे स्टेशन से करीब 4 किमी दूर नेपाल रोड पर स्थित है. यह मंदिर महान योगी गोरखनाथ को समर्पित है. यह इस क्षेत्र के सबसे प्रमुख और शानदार मंदिरों में से एक है. यहां हर साल एक महीने लंबा चलने वाला ‘मकर संक्रांति मेला’ 14 जनवरी को शुरू होता है. कई लाख तीर्थयात्री और पर्यटक विशेष रूप से इस मेले का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से इस दौरान यहां पहुंचते हैं.

रामगढ़ ताल

रामगढ़ ताल 1700 एकड़ में फैली एक विशाल और प्राकृतिक झील है. इसकी सुंदरता व वातावरण को देखने के लिए सुबह व शाम युवाओं की भीड़ लगी रहती है. इसके सुन्दरीकरण का कार्य चल रहा है, जिसमें मल्टीमीडिया सतरंगी फाउन्टेंन, बोट राइडिंग शामिल है.

पुरातात्विक संग्रहालय

पुरातात्विक संग्रहालय, यह भी पता है कि बौद्ध संग्रहालय रेल विहार चरण -3 के पास स्थित है. यहाँ भारतीय इतिहास, प्राचीन मूर्तियों और चित्रों का एक अच्छा संग्रह है.

नक्षत्रशाला

वीर बहादुर सिंह प्लेनेटरीम जीडीए, गोरखपुर के पास स्थित है और इसे तारामंडल भी कहा जाता है. हमारे ब्रह्मांड के साथ बातचीत करने और ब्रह्मांड की सुंदरता महसूस करने के लिए यह एक अच्छी जगह है. यहां 45 मिनट का एक शो दिखाया जाता है, जिसमें आकाश और हमारे सौर मंडल के इतिहास के बारे में बताता है. सूर्य, मंगल, पृथ्वी, बृहस्पति और अन्य ग्रह कैसे बने, इस रहस्य से भी यहां परदा उठा सकते हैं. यहां कोई भी अलग-अलग ग्रहों पर अपना वजन देख सकता है. फॉर्मूला आदि की मदद से व्यावहारिक रूप से दो ग्रहों के बीच की दूरी भी देख सकते हैं.

रेल संग्रहालय

यह गोरखपुर रेलवे स्टेडियम कॉलोनी के पास स्थित है. सोमवार को छोड़कर संग्रहालय सप्ताह के हर दिन खुला होता है. इसमें बच्चों के लिए टॉय ट्रेन की सवारी उप्लब्ध है. कई गैलरी हैं, जिनमें रेलवे सिस्टम का इतिहास और नयी जानकारी शामिल है. इसमें प्राचीन क्रेन, एक स्टीम इंजन (1874), सड़क रोलर्स इत्यादि देखे जा सकते हैं. यहां एक छोटा सा पार्क है और बच्चों के मनोरंजन लिए छोटी राइड भी है.

इंदिरा बाल विहार

यह शहर के बीच गोलघर में है, जहाँ बच्चों के लिए कई प्रकार के झूले, बच्चों को अच्छा मनोरंजन प्रदान करते हैं.

कुसुम्ही विनोद वान

यह राष्ट्रीय राजमार्ग -28 से 9 किमी पर स्थित है. रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर स्थित यह एक पिकनिक स्थान है और बच्चों के आकर्षण का केंद्र भी है. यहां कुछ जानवरों के साथ एक छोटा चिड़ियाघर भी मौजूद है.

प्रेमचंद पार्क

अलहादपुर में स्थित जहां प्रसिद्ध लेखक ‘प्रेमचंद’ रहते थे. पार्क में बगीचे के हर हिस्से पर ध्यान केंद्रित करने वाली बिजली की रोशनी के साथ तीन फव्वारे हैं, जो सुखद दिखते हैं. यह झूला खेलने के लिए बहुत से बच्चों को आकर्षित करता है. लैंडस्केप और सुंदर हरियाली इसे आकर्षक बनाते हैं.

सरकारी वी-पार्क

विंध्यवासिनी पार्क शहर के बीचों-बीच रेलवे कार्यालय के पास स्थित है. मॉर्निंग वॉक पर जाने वाले लोगों के लिए यह पार्क एक स्वर्ग है. इसमें पौधों, पेड़ और फलों की अच्छी से अच्छी किस्में शामिल हैं. यहाँ कई रंगों के गुलाब की किस्में विकसित की जाती हैं.

1600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है 2000 साल पुराना मां बम्लेश्वरी देवी शक्तिपीठ मंदिर

नेहरू मनोरंजन पार्क

लाल्डिगी शहर में फैले बच्चों, पुस्तकालय, एक्वेरियम और नेहरू के जीवन की तस्वीरें यहां के मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. यह वह क्षेत्र है, जहां पं. नेहरू को 1937 में गिरफ्तार किया गया था.

पं. दीनदयाल उपाध्याय पार्क

गोरखपुर विश्वविद्यालय के सामने स्थित, यह पार्क अपनी हरी भरी छटा को बिखेरता हुआ एक सुंदर पार्क है. सुबह के समय आसपास के लोगों के लिए यह मॉर्निंग वॉक के लिए बेहतरीन जगह है.

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