काला नमक धान की कलम से होती है रोपाई
ब्रज लाल, पूर्व महानिदेशक, उत्तर प्रदेश पुलिस।
जैसे आम, अमरूद, लीची आदि की कलम तैयार करके लगायी जाती है, उसी तरह हमारे जनपद सिद्धार्थनगर में विश्वप्रसिद्ध काला नमक धान की कलम लगायी जाती है।
मेरा छोटा भाई गोविंद लाल फ़ॉरेस्टर और परिवार के लोगों ने मेरे जन्मदिन 8-8-20 को काला नमक धान की कलम उखाड़ी और पुनः रोपाई की।
कलम
किसी भी धान की कलम लगायी जा सकती है। जून में धान की नर्सरी डाली गयी।
फिर 25-30 दिन दिन बाद रोपाई कर दी गयी है। 25-30 दिन बाद उसको पुनः उखाड़ा गया।
काला नमक के पौधे बड़े होते हैं, इसलिए ऊपर की पत्तियाँ काट दी गयीं जिससे वज़न के कारण रोपाई के दौरान न गिरें।
अन्यथा पत्तियाँ सड़ जायेंगी। उखाड़ने और पत्तियों की कटिंग के बाद खेत में रोपाई कर दी गयी।
हमारे यहाँ रोपाई करते समय महिलायें गीत गाती है । मनोरंजन के अलावा थकान से ध्यान बट जाता है ।
सरकार ने मेरे गृहजनपद सिद्धार्थनगर के लिए काला नमक धान को चुना है।
आजादी से पहले काला नमक की खेती
स्वतंत्रता के पहले नेपाल के सटे जिलों सिद्धार्थनगर( तत्कालीन बस्ती ), गोरखपुर में अंग्रेजों ने खुद ज़मींदारी की।
वे इस चावल को सिद्धार्थनगर की पहाड़ी ‘ कूड़ा नदी ‘ से पाल वाली नावों से बड़हल गंज भेजते थे ।
वहाँ से कलकत्ता होता हुवा शिप से लंदन भेजा जाता था।
सबसे बड़े ज़मींदार H W पेपे थे , जिनके नाम पर पीपीगंज रेल्वे स्टेशन है।
कैंपियर गंज , फरेंदा, बृजमन गंज( Mr Bridgeman ) के नाम पर है ।
सिद्धार्थनगर का ब्लांक बर्डपुर William Bird के नाम पर है जो काला नमक चावल का मुख्य केंद्र है ।
अंग्रेजों द्वारा बनायी गयी नेपाल सीमा पर कृत्रिम झीलों और नहरों का रख- रखाव नही हो पाया।
इससे पर्याप्त पानी न मिलने के कारण किसान इसकी खेती से विमुख हो गये।
काला नमक की नर्सरी, रोपाई और बढ़त में गर्म और उमस भरे मौसम की ज़रूरत होती है ।
यह लगभग 180 दिन की फसल है ।
जब बालियाँ आती है , उस समय ठंढा मौसम ज़रूरी है , ज़िससे ख़ुशबू सेट हो सके।
खेत में 3-4 इंच पानी हमेशा चाहिये ।
खेत में हरी कई जम जाती है जो पौधों और चावल की ख़ुशबू के लिए आवश्यक है ।
जब फसल कटनी होती है , तब दो हफ़्ता पहले पानी निकाल दिया जाता है ।
कृपया वीडियो देखें https://youtu.be/uDd269vrDEc
गिरई, चरगाँ , सिधरी मछली भी इन खेतों में खूब मिलती है ।
मैंने मुख्यमंत्री जी को काला नमक की महत्ता पर एक पत्र लिखा था जिस पर शासन के प्रमुखसचिव नवनीत सहगल सिद्धार्थनगर गये थे।
आज़ादी के पहले जिस तरह काला नमक अंग्रेज ज़मीदारों ने पैदा किए , उसी तरह पुनः इसकी खेती के लिए पुराने झीलों / नहरों के सफ़ाई आदि की व्यवस्था की जा रही है ।
उम्मीद है कि मेरे ज़िले का काला नमक चावल पुनः अपनी गौरवशाली इतिहास को दोहरायेगा।