जयप्रकाश और सहभागी लोकतंत्र

डॉ. चन्द्रविजय चतुर्वेदी

11 अक्टूबर लोकनायक जयप्रकाश जी की जयंती है। इस अवसर पर थोड़ी चर्चा सहभागी लोकतंत्र की कर ली जाय।

1959 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बारह वर्षों बाद नेहरू जी को अनुभव हुआ की विकास कार्यक्रमों में जनता का आपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।

नेहरूजी ने जेपी के पंचायती राज की अवधारणा को स्वीकार किया।

क्रियान्वयन के स्तर पर पंचायती राज की सरकारी योजना और जेपी की अवधारणा में बुनियादी अंतर रहा जो आगे भी बना रहा।

सरकारी व्यवस्था में ग्राम पंचायत ,पंचायत समिति और जिला परिषद् के माध्यम से संसदीय व्यवस्था से पंचायती राज का उपक्रम किया गया जब की जेपी की अवधारणा में पंचायतीराज के द्वारा सामुदायिक राज्य व्यवस्था की नीव डालनी थी।

सिर के बल खड़े राजसत्ता के पिरामिड को उलट कर उसे चौड़े आधार पर प्रतिष्ठित करना था।

जेपी की अवधारणा में पंचायती व्यवस्था सहभागी लोकतंत्र –पार्टिसिपेटिंग डिमॉक्रेसी का आधार है।

इस सम्बन्ध में जेपी ने कहा –पंचायती राज के लिए जो पहल की गई है वह हमारे लोकतंत्र के आधार को व्यापक बनाने अथवा जिसे मैंने सहभागी लोकतंत्र कहा है, उसकी नींव डालने के राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित होकर नहीं बल्कि इस उद्देश्य से की गई है कि विकास कार्यक्रमों में पूर्ण जनसहयोग प्राप्त हो सके।

जेपी का मत था की विकास की गति प्रशासनिक अधिकारी द्वारा प्रदान नहीं की जा सकती जबतक सक्रिय जनसहभागिता नहीं होती। जेपी ने सहभागी लोकतंत्र के लिए कुछ शर्तें बताई —

1 -व्यापक अर्थ में जनता का शिक्षण,

2 -संगठित राजनीतिक दल पंचयतिराज्य के संगठनो में हस्तक्षेप न करें

3 -सत्ता का वास्तविक विकेन्द्रीकरण होना चाहिए

4 -प्रत्येक स्तर पर स्थानिक सत्ता के हाथ में कम से कम अपने कुछ साधन होना चाहिए

5 -पंचायती राज यथा शीघ्र ही इस योग्य बने की अपने अधीनस्थ सेवकों पर वास्तविक नियंत्रण रख सके

6 -पंचायती राज के त्रिस्तरीय ढांचे के ग्राम पंचायत जीवंत और शक्तिमय हों

सहभागी लोकतंत्र के लिए जेपी ने लोकसभा और विधानसभा के निर्वाचन के लिए निर्वाचक मंडल या निर्वाचक परिषद् के गठन का सिद्धांत दिया जो सर्वानुमति से या डिस्कार्ड विधि से निर्मित होगी।

यह परिषद् ग्राम स्तर पर गठित होगी जिसका कार्य होगा लोकसभा,विधानसभा के लिए प्रत्याशी चुनना।

सहभागी लोकतंत्र के माध्यम से जेपी की परिकल्पना में आज की राजनीती के शुद्धिकरण का भाव रहा है।

सम्पूर्ण क्रांति के महानायक को कोटि कोटि नमन।

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