आम आदमी की आवाज़ थे जसपाल भट्टी
पंकज प्रसून
आठ साल पहले आज ही के दिन एक दर्दनाक सड़क दुघर्टना में जसपाल भट्टी की मौत हो गयी थी। उस वक्त उनकी उम्र 57 साल की थी। वे आम आदमी की आवाज थे।
1990 के दशक में दूरदर्शन पर उनका एक सुपर हिट कार्यक्रम प्रसारित होता था जिसका नाम था फ्लाप शो।जो दर्शकों में तो बहुत लोकप्रिय था।
उसमें सामाजिक और सरकारी व्यवस्थाओं पर व्यंग्यात्मक लहजे में भट्टी करारा प्रहार करते थे जिसके कारण उनके शो को राजनीतिक दबाव झेलना पड़ गया।
इस वजह से इस शो को 10 एपिसोड के बाद ही बंद करने की नौबत आ गई।
शो बंद होने के बाद जसपाल भट्टी फुल टेंशन, हाय जिंदगी बाय जिंदगी और थैंक्यू जीजाजी जैसे अन्य धारावाहिकों में नज़र आए।
उन्होंने फना, हमारा दिल आपके पास है’, ‘आ अब लौट चलें’, ‘इकबाल’, ‘कारतूस’ जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया था. उन्हें मरणोप्रांत 2013 में पद्म भूषण से नवाज़ा गया था।
उन्हें आम आदमी की आवाज़ माना जाता था. वे अपने शो में हंसते-हंसाते, समाज, व्यवस्था और राजनीति के समीकरणों पर ऐसे कटाक्ष करते थे कि दर्शक उनकी वाहवाही करते नहीं थकते थे।
इसी वजह से वे ‘किंग ऑफ कॉमेडी’ और ‘किंग ऑफ सटायर’ के नाम से भी मशहूर हो गए थे ।भट्टी ने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी।
पढ़ाई के दिनों में ही कॉमेडी में उनकी रुचि हो गयी थी जिसकी वजह से उन्होंने नॉन सेंस क्लब की स्थापना की और कई नुक्कड़ नाटक भी किए। जो लोगों को बेहद पसंद आए। फिर उन्होंने चंडीगढ़ के एक जाने-माने अखबार में कार्टूनिस्ट की नौकरी की।
कार्टूनों के माध्यम से उन्होंने आम आदमी से जुड़ी समस्याओं, समाज और व्यवस्था पर कटाक्ष करना शुरू किया और सुर्खियों में आ गए।
इसके बाद दूरदर्शन के शो ‘उल्टा-पुल्टा’ शो की बदौलत उन्हें बेहद कामयाबी मिली. उस मिनी कैप्सूल के जरिए उन्होंने सरकारी लाल फीताशाही और भाई भतीजावाद पर व्यंग्यात्मक लहजे में करारा प्रहार किया था।