जम्मू-कश्मीर विधान सभा चुनाव लड़ने को अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती साथ हुए


चंद्र प्रकाश झा *


जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव  साथ लड़ने के लिए दो प्रमुख दलों – जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस यानि एनसी और जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानि पीडीपी ने हाथ मिलाने की घोषणा कर भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा को कुछ चौंका दिया है. दोनों के बीच पहले कभी कोई चुनावी गठबंधन नहीं रहा।

यह  घोषणा सोमवार को श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री एवं एनसी नेता डा. फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने की है. अभी श्रीनगर से ही लोकसभा सदस्य डॉ अब्दुल्ला ने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा, “ हम एक साथ चुनाव लड़ेंगे। एक राजनीतिक दल है, जिसने कहा कि उसने गठबंधन छोड़ दिया है।सच्चाई यह है कि वे कभी हमारे गुपकार गठबंधन का हिस्सा नहीं थे। वे हमें भीतर से तोड़ने आए थे।”
गुपकार गठबंधन यानि पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार  डेकलेरेशन (पीएजीडी) एनसी , पीडीपी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया  मार्क्सिस्ट यानि सीपीएम , दिवंगत भीम सिंह की पैन्थर्स पार्टी और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट समेत कई दलों का राजनीतिक गठबंधन है। इसमें भाजपा और कांग्रेस शामिल नहीं है।

यह गठबंधन तब बना जब मोदी सरकार ने संसद में 5 अगस्त 2019 को एक अधिनियम पारित कर जम्मू कश्मीर को संविधान की धारा 370 और धारा 35 ए के तहत विशेष राज्य का मिला दर्जा खत्म कर उसे राज्य से केंद्र शासित बना
दिया और पहले उसमें शामिल लद्दाख क्षेत्र को अलग केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया।

राज्य से धारा 370 हटने से एक दिन पहले यानी 4 अगस्त 2019 को श्रीनगर में गुपकार रोड पर डा. फारूक अब्दुल्ला के निवास पर उनकी ही अध्यक्षता में कायम इस गठबंधन की पहली बैठक में  महबूबा मुफ्ती के अलावा पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन, पीपुल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर, सीपीएम नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के
उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह ने भी भाग लिया था।

सोमवार की इस घोषणा के मौके पर मौजूद महबूबा मुफ्ती ने कहा, ” हम जम्मू कश्मीर की खोई हुई गरिमा की बहाली के लिए मिलकर प्रयास करेंगे।हमारा एकसाथ चुनाव लड़ने का इरादा है। यह लोगों की इच्छा है ” ।

इस अवसर पर मौजूद डा अब्दुल्ला के पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार जब चाहे चुनाव करा ले। उन्होंने कहा कि जब बाढ़ आई थी तब चुनाव हुए थे। अब चुनाव क्यों नहीं हो सकते? सवाल यह है कि वे चुनाव कैसे लड़ना चाहते हैं।

उधर , निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का डीलीमिटेशन आयोग द्वारा नए सिरे से निर्धारण करने का काम पूरा हो जाने पर अब 31 अक्टूबर तक जम्मू -कश्मीर की मतदाता सूचियों का फायनल प्रकाशन कर देगा।

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

इधर , जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को कांग्रेस नेता कर्ण सिंह के सार्वजनिक  अभिनंदन की सभा में कहा विधानसभा चुनाव निश्चित रूप से मतदाता सूचियों के रिवीजन के बाद कराये जाएंगे। उनके मुताबिक चुनाव के बाद केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर उचित समय पर विचार कर सकती है। उन्होंने जम्मू कश्मीर में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष शासन व्यवस्था बहाल हो जाने का दावा कर कहा है कि यह प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशन में हो सका है।

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इस मौके पर कर्ण सिंह ने काहा ठीक वैसे जैसे भाजपा कश्मीर में लागू धारा 370 को अस्थाई मानती रही है हम मानते हैं कि जम्मू कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश होने की मौजूदा स्थिति भी अस्थाई ही है। उन्होंने श्रीनगर की डल झील को बेहतर बनाने के काम के लिए उपराज्यपाल की सराहना की.

इस बीच , दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आगामी चुनाव की तैयारी के लिए अपनी आम आदमी पार्टी यानि आप की जम्मू -कश्मीर इकाई को नए सिरे से गठित करने उसकी मौजूदा इकाई भंग कर दी है। यह जानकारी पार्टी के जम्मू -कश्मीर प्रभारी और दिल्ली के खाध एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन ने अपने ट्वीट में दी है।

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा के 2014 में हुए पिछले चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। तब भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। पीडीपी नेता मुफ़्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। उनके निधन के बाद उनकी पुत्री महबूबा मुफ़्ती 4 अप्रैल 2016 को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की दूसरी सरकार की मुख्यमंत्री बनीं। दोनों दलों के बीच कभी कोई चुनावी गठबंधन नहीं रहा। दोनों ने सिर्फ राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनाव-पश्चात गठबंधन किया। यह गैर-चुनावी गठबंधन अगले
चुनाव के पहले ही टूट गया।

जम्मू कश्मीर में पिछले चुनाव का दृश्य ( फ़ाइल फ़ोटो)

जम्मू -कश्मीर की भंग विधानसभा में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। विधान सभा की कुल 89 सीटें हैं। सदन में बीजेपी के 25 , नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15, कॉंग्रेस के 12 और जम्मू -कश्मीर  पीपल्स कॉन्फ्रेंस दो विधायकों के अलावा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और जम्मू -कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के एक-एक और तीन अन्य अथवा निर्दलीय सदस्य भी हैं। दो सीटें महिलाओं के मनोनयन के लिए भी हैं। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। राज्य के भारत के संविधान से अलग, अपने संविधान के प्रावधानों के तहत वहाँ विधानसभा चुनाव छह बरस पर कराये जाते हैं।

*सीपी नाम से चर्चित पत्रकार,यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से दिसंबर 2017 में रिटायर होने के बाद बिहार के अपने गांव में खेतीबाडी करने और स्कूल चलाने के अलावा स्वतंत्र पत्रकारिता और पुस्तक लेखन करते हैं. कश्मीर पर लिखी उनकी किताब शीघ्र प्रकाश्य है।

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