ईरान के ओपनहाइमर की हत्या
वह शुक्रवार 27 नवंबर के अपराह्न दो बजे का वक्त था ।ईरान की राजधानी तेहरान से अस्सी किलोमीटर पूर्व में स्थित पहाड़ी शहर अब्सर्ड के बाहर दोनों ओर पेड़ों की कतारों से सजी सड़क पर तीन कारों का क़ाफ़िला दौड़ता जा रहा था।
उसमें एक काले रंग की एस यू वी भी थी। जिसमें एक थुलथुल शरीर वाला व्यक्ति बैठा हुआ था जिसके सिर के बाल धूसर रंग के थे। उसने तार के किनारों वाला चश्मा पहन रखा था।
उस व्यक्ति का नाम डॉ. मोहसिन फखरीजादेह था। 59 वर्षीय फखरीजादेह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के अध्यक्ष थे जिसका नाम है अमाद। जिसका मतलब होता है उम्मीद।
वे ईरान के शीर्षस्थ परमाणु विज्ञानी तो थे ही प्रतिष्ठित इस्लामी रिवोल्यूशनरी गार्ड कौर्प्स (आई आर जी सी) में उनका दर्ज़ा ब्रिगेडियर जनरल का था।हालांकि ईरान सरकार का कहना है कि फखरीजादेह तेहरान स्थित इमाम हुसैन विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र के प्रोफेसर और ईरानी रक्षा विभाग के उच्च अधिकारी थे।
कारों का कारवां शहर के बाहर ही था कि अचानक सड़क के पास शोरगुल के आवाजहोने लगी।फ़ख़रीज़ादेह की कार के सामने विस्फोटकों से भरा एक निसान पिकअप ट्रक खड़ा होकर शोले बरसाने लगा, और उधर ही बैठे घात लगाये अनजान लोगों ने डॉ मोहसिन की कार पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।
उन लोगों ने शहर जाने वाली बिजली के तार को भी उड़ा दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पहले तो विस्फोट और उसके बाद मशीन गन चलने की आवाज हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि इस हत्याकांड में रिमोट कंट्रोल से गोली चलाने वाले इन का इस्तेमाल हुआ था।
फिर वे कहां गायब हो गए इसका पता नहीं चला। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि फखरीजादेह के अंगरक्षकों और हमलावरों के बीच जबरदस्त गोलाबारी हुई जिसमें तीन-चार हमलावर भी मारे गये।
वह यात्रा डॉ मोहसिन के लिये अंतिम यात्रा साबित हुई । आधे घंटे के अंदर उन्हें हेलीकाप्टर से घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। उन्हें बचाने की कोशिश में उनका एक बॉडीगार्ड भी मारा गया।
डॉ मोहसिन की हत्या इस वर्ष जनवरी में जनरल क़सीम सुलेमानी की बगदाद में हुई हत्या के बाद दूसरी हाई प्रोफाइल हत्या है। सुलेमानी आई आर जी सी के कुद्स फ़ोर्स के कमांडर थे।
पिछले दस वर्षों में ईरान के कम से कम छह वैज्ञानिकों की हत्या हुई है। जिनके नाम हैं मसूद अल मोहम्मदी, मजीद शहरियारी, फरीदुन अब्बासी दवानी, दानौश रेजइ, मुस्तफा अहमदी-रोशन और अब मोहसिन फखरीजादेह।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ का कहना है कि इस बात के पूरे आसार हैं कि इस हत्याकांड में इसराइल की एजेंसी कुख्यात मोसाद का हाथ है।अमरीकी मीडिया में गुप्तचर सूत्रों के हवाले से खबरें प्रकाशित हो रही हैं कि इस हत्याकांड में इस्राइल का हाथ है।
इस्राइल की तीन जासूसी एजेंसियों में से एक है मोसाद। बाकी दो हैं अमान (सैन्य गुप्तचरी के लिए) और शिन बेत (आंतरिक सुरक्षा के लिए)। मोसाद के जिम्मे गुप्तचर के अलावा छुपी कार्रवाई और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करना है।
संडे टाइम्स लंदन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अगर इस्राइल ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया है तो उसके पीछे मोसाद की कीडोन टीम का हाथ होना चाहिये। उसके सदस्यों को इस्राएली सेना के कमांडो दस्ते से चुना जाता है। उन्हें लोचामिम यानी योद्धा कहा जाता है।
उसकी स्थापना सन 1972 में प्रधानमंत्री गोल्डा मायर ने की थी जब म्युनिक ओलंपिक्स में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के ब्लैक सितम्बर दस्ते ने इस्राएली ओलंपिक टीम के 11 सदस्यों की हत्या कर दी थी। कीडोन ने ब्लैक सितंबर गिरोह को नेस्तनाबूद कर दिया था।
अमेरिका और इस्राइल के राडार पर फखरीजादेह काफी दिनों से थे। उनका मानना है कि फखरीजादेह ने 1990 और 2000 के दशकों में ईरान के गोपनीय परमाणु अस्त्र कार्यक्रम को निर्देशित किया। सन् 2018 में एक प्रेस कांफ्रेंस में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मोहसिन फखरीजादेह की तस्वीर दिखाते हुए कहा था कि इस आदमी को पहचानो। यही ईरान के परमाणु कार्यक्रम का सीक्रेट बॉस है। जिसके बारे में मोसाद के पास कोई पचपन हज़ार पन्नों और 183सीडी में जानकारी है। इन गोपनीय दस्तावेजों को तेहरान की एक जीर्ण शीर्ण इमारत से हासिल किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार 2 नवंबर तक ईरान के पास 2,442.9 किलो कम समृद्ध यूरेनियम है जबकि सिर्फ 202.8 किलो ही रखने की अनुमति है। फखरीजादेह की मृत्यु से नि:संदेह ईरान के गोपनीय परमाणु कार्यक्रम को जबरदस्त धक्का पहुंचा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार यह हत्या तब हुई है जब 20. जनवरी को वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प शासन से हटने वाले हैं।अख़बार के अनुसार 16 नवंबर को ट्रम्प ने अपने निकटवर्ती सहयोगियों से पूछा था कि पद त्याग करने से पहले ईरान पर बम से हमला करना कैसा रहेगा। इस पर उन लोगों ने ऐसा करने से मना किया।
तो 22 नवंबर कोअमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ इस्राइल गए और नेतन्याहू से मिले।फिर दोनों नेता सऊदी अरब के खूबसूरत शहर नेओम पहुंचे और वहां युवराज मुहम्मद बिन सलमान के साथ गुप्त मीटिंग की।अब यह कोई छुपी बात नहीं है कि ट्रम्प प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौते के नवीनीकरण के खिलाफ रहा है। क्योंकि ऐसा करने से ईरान पर से प्रतिबंध हटाने होंगे जिसके कारण वह मजबूत हो जायेगा।
जैसे ही इन तीनों की मीटिंग की खबर मीडिया तक पहुंची तभी से कयास लगाए जाने लगे थे कि पश्चिम एशिया में कुछ अनहोनी घटना होनेवाली है। और फखरीजादेह की हत्या ने इस विश्वास को पुख्ता कर दिया।
ईरान ने धमकी दी है कि वह इस हत्याकांड का गरजता हुआ बदला लेकर रहेगा। वहां देश भर में लोग विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और यह मांग कर रहे हैं कि इस हत्याकांड का बदला लो। लेकिन ईरान के पास सीमित विकल्प हैं। जब तक कि लेबनान स्थित शिआ मिलिशिआ-सह- राजनीतिक दल हिजबुल्ला दक्षिण लेबनान स्थित अपने ठिकानों से उत्तरी इस्राइल पर हमले करने के लिये तैयार नहीं होता।
यह भी ध्यान देने की बात है कि अमेरिकी प्रतिबंध लगाये जाने के कारण ईरान की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। और वह चीन के करीब होता जा रहा है। चीन ने ईरान में 400 खरब डालर की पूंजी लगाने का वादा किया है।
लेकिन वह कैसी जवाबी कार्रवाई कर सकता है यह ईरान ने सन् 2019 में ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के बाद होरमुज जलडमरूमध्य के गिर्द बसी सुन्नी राजशाही के तेल के टैंकरों पर उसने हमले कराये थे। लेकिन सुलेमानी की हत्या के बाद उसने बदले की कोई कार्रवाई नहीं की। सुलेमानी ईरान के प्रमुख रणनीतिकार थे।
उधर इस्राइल ने दुनिया भर में अपने दूतावासों की सुरक्षा बढ़ा दी है ।यरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के कई नेताओं ने बदले की कार्रवाई की धमकी दी है ।ईरान ने इस्राइल पर अपने इस परमाणु वैज्ञानिक की हत्या का आरोप लगाया है।
पिछले दस वर्षों से इस्राइल ने ईरान के विरुद्ध प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से युद्ध छेड़ रखा है। इस घटना के बाद इस्राइल ने यहूदी बहुल आबादी वाली जगहों पर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठाये हैं। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा है कि उनका देश वक़्त आने पर मोहसिन फखरीजादेह के कत्ल का इंतक़ाम लेगा।
ईरान के नेता अयोतल्लाह अली खामनेई ने भी अपने टॉप लेवल के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या की आलोचना की है। मोहसिन फखरीजादेह को ईरान का ओपनहाइमर माना जाता है। ओपनहाइमर को अमेरिका के परमाणु बम का पिता माना जाता है।