व्यापार संगठनों ने श्रम क़ानून स्थगित करने का स्वागत किया

उद्योग  एवं व्यापार संगठनों कारोबार से संबंधित 30 से ज़्यादा कठिन श्रम क़ानूनों से राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का आभार व्यक्त किया है।

देश में उद्योगपतियों के प्रमुख संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने व्यापारियों की व्यवहारिक समस्याओं को हल करने की प्रभावी पहल की है। योगी सरकार के इस फ़ैसले से न केवल कारोबार को मंदी से उबारने में मदद मिलेगी बल्कि बढ़ती बेरोज़गारी पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।

पीएचडी चैंबर के नेशनल प्रेसिडेंट डा. डी के अग्रवाल, यूपी चेयरमैन मनोज गौड व मेंटॉर ललित खेतान समेत प्रमुख पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से योगी सरकार के इस फ़ैसले का आज स्वागत किया व मुख्यमंत्री योगी सहित औद्योगिक विकास मंत्री महाना का भी आभार व्यक्त किया। 

पीएचडी चैंबर यूपी के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में अभी करीब 40 श्रम कानून हैं जिनमें से मज़दूरी के भुगतान, समान पारिश्रमिक, बंधुआ मज़दूरी, बाल श्रम, मातृत्व अधिनियम व मुआवजा जैसे अनेक जरूरी क़ानूनों को सरकार ने बरक़रार रखा है। इससे श्रमिकों के व्यापक हित सुरक्षित रहेंगे। साथ ही ग़ैरज़रूरी प्रावधानों के निलंबित होने से कारोबार को गति मिलेगी और मौजूदा नौकरियों पर छाए संकट से भी कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी। 

खेमका ने कहा अर्थव्यवस्था या स्टेट जीडीपी के लिहाज़ से उप्र भारत का पाँचवा सबसे बडा राज्य है। लेकिन आबादी के लिहाज़ से यह देश में पहले स्थान पर है। अत: मंदी की वजह से देश के सबसे अधिक बेरोज़गार उत्तर प्रदेश में होंगे। जिसे सिर्फ जीडीपी के आँकड़ों से नहीं समझा जा सकता। फ़रवरी 2020 में उप्र सरकार के पोर्टल पर 34 लाख बेरोज़गार दर्ज थे। कोरोना काल में यह संख्या बढ़कर दोगुनी से भी ज़्यादा हो सकती है। अत: योगी सरकार का यह दूरदर्शी फैसला व्यापक जनहित में कारगर साबित होगा जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी व औद्योगिक विकास मंत्री महाना बधाई के पात्र हैं।

दूसरी ओर मज़दूर संगठनों ने अधिकांश श्रम क़ानून तीन साल के निलम्बित करने के सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published.

nine − 5 =

Related Articles

Back to top button