India Gate पर हुआ अमर जवान ज्योति से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ज्योति का मेल मगर केंद्र और विपक्ष रहे बेमेल
अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में हुआ विलय
शुक्रवार दोपहर India Gate स्थित अमर जवान ज्योति का 400 मीटर दूर स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में विलय हो गया। हालांकि, इससे पहले इस मुद्दे को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार और विपक्षी दल, विशेषकर कांग्रेस पार्टी के बीच रार बनी रही। यानी कह सकते हैं कि ज्योति से ज्योति का मेल तो हो गया मगर केंद्र और विपक्ष अंत तक बेमेल ही रहे। क्या था यह पूरा मामला, आइये जानते हैं…
मीडिया स्वराज डेस्क
इंडिया गेट (India Gate) के नीचे जलने वाली अमर जवान ज्योति का आज शुक्रवार दोपहर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) में जल रही लौ में विलय कर दिया गया। कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी पार्टियों के विरोध को देखते हुये आज सवेरे केंद्र सरकार ने यह साफ कर दिया था कि इंडिया गेट पर लौ बुझाई नहीं जा रही है, केवल उसके एक हिस्से का विलय किया जा रहा है। जैसा कि केंद्र सरकार ने कहा था, अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा नेशनल वॉर मेमोरियल के अमर चक्र में जलने वाली लौ से मिला दिया गया।
मशाल में समेटा गया ज्योति का अंश
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में पहले अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण किया गया। फिर, चारों लौ से एक मशाल जलाई गई और उसे एक छोटी मशाल में समेटा गया। फिर, यही मशाल नेशनल वॉर मेमोरियल ले जायी गयी। इस समारोह की अध्यक्षता एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण ने की। इस दौरान इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति की चारों लौ भी रौशन थीं।
बता दें कि इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से यह अमर जवान ज्योति जल रही है। 25 फरवरी, 2019 को नेशनल वॉर मेमोरियल में अमर जवान ज्योति प्रज्ज्वलित की गई थी। इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति से मशाल प्रज्ज्वलित कर उसे वहां से करीब 400 मीटर दूर पर बनाये गये नेशनल वॉर मेमोरियल ले जाया गया।
वॉर मेमोरियल पर प्रज्ज्वलित की गई मशाल
इस बीच एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर माल्यार्पण किया। कुछ ही देर में अमर जवान ज्योति की लौ को यहां की लौ से मिला दिया गया। एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण के हाथों मशाल प्रज्ज्वलित की गई। उन्होंने नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में अमर जवान ज्योति से लाई लौ को मिलाया। …और इस तरह अमर जवान ज्योति की लौ का नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में विलय कार्यक्रम संपन्न हुआ।
गुरुवार को मीडिया में जब यह खबर आयी कि शुक्रवार को अमर जवान ज्योति को नेशनल वार मेमोरियल की ज्योति में विलय किया जायेगा, तभी से विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर केंद्र की बीजेपी सरकार की तीखी आलोचना शुरू कर दी। बता दें कि दिल्ली में इंडिया गेट पर बीते पाँच दशकों से जल रही ‘अमर जवान ज्योति’ को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस पार्टी ने एक ट्वीट कर लिखा- “अमर जवान ज्योति को बुझाना, उन वीरों के साहस और बलिदान का अपमान है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे। वीरता के इतिहास को मिटाने की भाजपाई साजिश को कोई देशभक्त बर्दाश्त नहीं करेगा। शहीदों के अपमान का मोदी सरकार का ये रवैया बहुत घृणित है।”
कुछ लोग देश प्रेम और बलिदान को कभी नहीं समझ सकते हैं। इससे ज्यादा दुख की बात और क्या हो सकती है कि जो अमर ज्योति जलती थी, आज उसे बुझा दिया जाएगा। अमर जवान ज्योति को बुझाना, उन वीरों के साहस और बलिदान का अपमान है, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे। वीरता के इतिहास को मिटाने की भाजपाई साजिश को कोई देशभक्त बर्दाश्त नहीं करेगा। शहीदों के अपमान का मोदी सरकार का ये रवैया बहुत घृणित है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर इसकी आलोचना की और साथ ही कहा कि इसे दोबारा जलाया जाएगा।
कांग्रेस पार्टी के नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया,
स्वतंत्रता संग्राम के रणबाँकुरों और देश की सुरक्षा में शहीद हुए लाखों सूरमाओं के बीच कोई विवाद या प्रतिस्पर्धा हो ही नहीं सकती। ये बहस उत्पन्न करना ही व्यर्थ एवं दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि सभी का योगदान माँ भारती के लिए अमूल्य व अमिट है। शहीदों व सेनानियों की क़ुर्बानी की प्रतीक “अमर जवान ज्योति” की आभा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के साथ और सुशोभित होती।
आज़ाद हिंद फ़ौज और आज़ाद भारत के सैनिकों की क़ुर्बानी की ख़ुशबू मिल कर देश की आबोहवा को और सुगंधित करती। इसमें “एक हो या दूसरा हो” का विकल्प केवल वो ढूँढते हैं जिन्हें देश की हर बात को “स्वार्थ सिद्धि और वाद-विवाद के एजेंडा” में बदलना है। इस मुद्दे पर TV पर कोई भी बहस करना व्यर्थ है। हम इस प्रायोजित एवं कृत्रिम वाद-विवाद की निंदा करते हैं।
वहीं, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया कि अमर जवान ज्योति को बुझाना इतिहास को मिटाने जैसा है।
मनीष तिवारी ने लिखा- “अमर जवान ज्योति उन 3,483 बहादुर सैनिकों का सम्मान करती है जिन्होंने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बाँटकर बँटवारे के बाद दक्षिण एशिया का नक्शा फिर से बनाय। ये विडंबना है कि बांग्लादेश की आज़ादी के 50वें वर्ष में सरकार जी-जान से स्वाधीनता के बाद के भारतीय इतिहास के इस शानदार दौर को मिटाने में जुटी है। अमर जवान ज्योति हमारी राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा है। एक अरब लोग इसे पूजते हुए बड़े हुए हैं। भारत में दो ज्योतियाँ क्यों नहीं हो सकतीं? अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय समर स्मारक।”
मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ‘शेखी’ बताते हुए कहा कि इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति को बुझाना ‘अपराध से कम नहीं’।
Extinguishing Amar Jawan Jyoti tantamounts to extinguishing history
For it commentates sacrifice of those 3,483 brave soldiers who cleaved Pakistan into 02 parts & redrew map of South Asia post partition
It is ironical that in 50 th year of liberation1/1
1/2 of Bangladesh Government seems to be working overtime to erase India’s finest hour in Post Independent History. Amar Jawan Jyoti is imbued in the National Consciousness. A billion people have grown up venerating it . Why can’t India have two eternal flames? Amar Jawan Jyoti &
1/3 National War Memorial . Redeveloping the Central Vista was hubris enough but extinguishing the eternal flame at India gate is nothing short of a crime. I am surprised that the nation is silent as a national icon would be snuffed out in the project to re-write History.
Dear
@PMOIndia
The world respects & regards Neta ji Subhash Chander Bose’s contribution in the struggle for India’s liberation from the yoke of British Imperialism. Decision to put up his statue at India Gate is appreciable but why extinguish the Amar Jawan Jyoti concurrently?
कांग्रेस के अलावा भी विपक्ष के कई नेताओं ने अमर जवान ज्योति विवाद पर मोदी सरकार की आलोचना की।
राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा- “मैं मानता हूँ कि हिंदुस्तान के गौरवशाली इतिहास में आपका कोई योगदान नहीं रहा, इसकी वजह से एहसास-ए-कमतरी भी होता होगा, मगर इसका मतलब ये तो नहीं कि 50 वर्ष से जो लौ जल रही थी उसको बुझा देंगे?”
मनोज झा ने आगे कहा, “ऐसी सलाह आपको कौन देता है? आप कौन सी परंपराएँ छोड़ के जा रहे हैं, इतिहास कैसे आपको स्मरण करेगा? समकालीन की बात मत करें, वो ताली बजा देंगे, लेकिन इतिहास ताली नहीं बजाएगा। मैं आपको आगाह कर रहा हूँ, आग्रह कर रहा हूँ।”
सरकार और बीजेपी ने कहा:
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने विपक्ष के आरोप को बेबुनियाद बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा तो सरकार ने अपना पक्ष रखा। आइये जानते हैं विस्तार से :
केंद्र सरकार का कहना था कि वह अमर जवान ज्योति को बुझा नहीं रही है, बल्कि उसका कुछ ही दूरी पर बनाए गए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्वाला में विलीन किया जा रहा है। केंद्र ने कहा कि अमर जवान ज्योति के स्मारक पर 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है, लेकिन उनके नाम वहां नहीं हैं। इंडिया गेट पर केवल कुछ शहीदों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी। यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।
सात दशक तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाने वाले मचा रहे शोर
ज्योति के ज्योति में विलय पर बवाल मचा रहे कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को जवाब देते हुए केंद्र ने कहा कि 1971 और उसके पहले और बाद हुए युद्धों समेत सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित किए गए हैं। इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी। विडंबना यह है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब शहीदों को स्थायी व उचित श्रद्धांजलि देने पर हंगामा कर रहे हैं।
समारोहपूर्वक होगा विलय
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में शुक्रवार को समारोहपूर्वक विलय किया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टाफ प्रमुख एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्णा द्वारा की जाएगी। इंडिया गेट का निर्माण अंग्रेज सरकार ने 1914 से 1921 के बीच शहीद ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की याद में किया था।
इंडिया गेट से 400 मीटर दूर है युद्ध स्मारक
सेना के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया था कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा। यह स्मारक इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमर जवान ज्योति को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है बल्कि इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ के साथ मिलाया जाएगा। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। इस पर गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ शहीद जवानों के भी नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं।
ज्योति के विलय पर न हो राजनीति : ले. जन. जेबीएस यादव
उधर, 1971 के युद्ध के नायकों में शामिल रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने कहा है कि जोत के विलय पर राजनीति नहीं होना चाहिए। केंद्र के हर फैसले के विरोध की प्रवृत्ति बन गई है। अमर जवान जोत का युद्ध स्मारक की जोत में विलय होना चाहिए। देश में सिर्फ एक युद्ध स्मारक होना चाहिए।
इंदिरा गांधी ने 1972 में किया था अमर जवान ज्योति का उद्घाटन
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था।
कांग्रेस ने इसे लेकर मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला और इसे बीजेपी की एक साज़िश क़रार दिया. जब विपक्ष और मोदी सरकार के बीच इंडिया गेट पर 70 के दशक से जल रही अमर जवान ज्योति को लेकर टकराव की स्थिति पैदा हो गई है, तब जाकर पीएम मोदी ने ट्वीट करके यह जानकारी दी कि इंडिया गेट पर नेताजी की मूर्ति का अनावरण किया जायेगा.
आपको बता दें कि इंडिया गेट पर इस रविवार 23 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक विशाल मूर्ति का अनावरण करेंगे. नेताजी की 125वीं जयंती पर यह राष्ट्र की कृतज्ञता का एक प्रतीक होगी. हालांकि, मुद्दा यह नहीं है.
वहीं, केंद्र सरकार के शहरी विकास राज्य मंत्री कौशल किशोर अमर जवान ज्योति पर लिए गए फ़ैसले की पुष्टि करते हुए इसे एक उचित क़दम बताया।
कौशल किशोर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा,”इंडिया गेट पर जो अमर जवान ज्योति जलती थी, अब वहाँ (राष्ट्रीय समर स्मारक) जलेगी, जहाँ देश के तमाम लोग, चाहे वो आज़ादी का आंदोलन हो, या देश की सुरक्षा के लिए युद्ध हुआ हो, वहाँ जब ज्योति जलेगी और जब देश के लोग आएँगे, और उनलोगों के नाम पढ़ेंगे, तो एक राष्ट्र भावना जागृत होगी और मैं समझता हूँ कि ये अच्छा क़दम है।”
वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा,
बदलेगी इंडिया गेट की पहचान..
गुलामी की मानसिकता से नहीं..
आजादी के सच्चे हीरो से चमकेगा इंडिया गेट।
जय हिन्द!
बहरहाल, इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कई ट्वीट किये,
संबित पात्रा ने इस मुद्दे पर सफ़ाई जारी करते हुए कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने कहा कि अमर जवान ज्योति को लेकर बहुत सारी ग़लत जानकारियाँ फैलाई जा रही हैं।
संबित पात्रा ने लिखा, “अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा है। उसे राष्ट्रीय समर स्मारक की ज्योति में मिला जा रहा है। ये बात अटपटी थी कि अमर जवान ज्योति 1971 और दूसरे युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए लगी थी, मगर उनमें से किसी का नाम वहाँ नहीं लिखा था।”
1971 और इसके पहले और बाद के सभी युद्धों के शहीदों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पर लगे हैं इसलिए उन्हें सच्ची श्रद्धाँजलि देने के लिए वहाँ ज्योति जलनी चाहिए।
पात्रा ने कहा कि ये विडंबना है कि जिन लोगों ने सात दशकों तक राष्ट्रीय समर स्मारक नहीं बनाया, वो इसे लेकर हंगामा कर रहे हैं।
अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय समर स्मारक
बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना दिसंबर 1971 में राजपथ पर इंडिया गेट के पास हुई थी और 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। जबकि राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फ़रवरी 2019 को किया था। यह स्मारक इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर दूर है।
ये दोनों ही स्थान इंडिया गेट परिसर में आते हैं। आपको यह भी बता दें कि इंडिया गेट 1931 में उन भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था, जो ब्रिटिश शासनकाल में सेना के साथ जंग लड़ते हुए मारे गए थे।
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क्यों खास है अमर जवान ज्योति?
अमर जवान ज्योति दिल्ली की सबसे मशहूर जगहों में से एक, इंडिया गेट के नीचे स्थित है। भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध खत्म होने के बाद, शहीदों की याद में स्मारक बनाने का फैसला हुआ। जगह चुनी गई इंडिया गेट। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को (भारत का 23वां गणतंत्र दिवस) अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया।
अमर जवान ज्योति एक काले मार्बल का फलक है जिसके चारों तरफ स्वर्णाक्षरों में ‘अमर जवान’ लिखा हुआ है। इस फलक के चारों तरफ कलश रखे हुए हैं, जिनमें से एक में ज्योति 1971 से जली आ रही है। यूं तो चारों कलशों में ज्योति जलती है मगर पूरे साल भर चार में से एक ही ज्योति चलती रहती है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर चारों कलशों की ज्योति जलाई जाती है।
फलक के ऊपर एक L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल रखी है और उसपर एक सैनिक का हेलमेट किसी मुकुट की तरह रखा गया है। 1972 से 2006 के बीच, ज्योति जलाने के लिए LPG का इस्तेमाल होता था। उसके बाद से पीएनजी इस्तेमाल की जाने लगी।