इलाहाबाद हाईकोर्ट :अभी एक और जज के ख़िलाफ़ महाभियोग लंबित

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में जले अधजले नोट बरामद होने के कारण उनके खिलाफ संसद में महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो गयी है . लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही एक और जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव अभी विचाराधीन है . ये हैं जस्टिस शेखर यादव।

जस्टिस शेखर यादव 12 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 26 मार्च 2021 को स्थायी न्यायाधीश। उनका कानूनी करियर इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकील और सरकारी वकील के रूप में रहा है। 

जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ सबसे प्रमुख विवाद उनके दिसंबर 2024 में किये गए एक सार्वजनिक भाषण को लेकर उत्पन्न हुआ, जिसमें उन्होंने बहुसंख्यक समुदाय (मुख्यतः हिंदू) के अनुसार देश को संचालित करने की बात कही और मुसलमानों को “कठमुल्ला” जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया।

8 दिसंबर 2024 को प्रयागराज में विश्व हिन्दू परिषद यानी वीएचपी की एक बैठक में, जस्टिस यादव ने कहा:

“यह हिंदुस्तान है… यह देश बहुसंख्यक की इच्छानुसार चलेगा… जो बहुसंख्यक (majority) का कल्याण और सुख सुनिश्चित करता है, वही स्वीकार्य होगा।”

उन्होंने मुसलमानों का संदर्भ देते हुए “कठमुल्ला” जैसे शब्दों का प्रयोग किया, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अपमानजनक माना जाता है। 

इस भाषण के तुरंत बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इसे संज्ञान में लिया और इलाहाबाद HC से विस्तृत रिपोर्ट मांगी।  

एनजीओ तथा वरिष्ठ अधिवक्ताओं, जैसे कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने CJI से इन-हाउस जांच की मांग की। 

विपक्ष के कई सांसदों TMC, AAP, RJD, कांग्रेस, DMK आदि ने राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस पर हस्ताक्षर किए — लगभग 54 सांसद इस पर सहमत थे। 

UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और वीएचपी नेताओं ने जस्टिस यादव का बचाव करते हुए इसे बहुसंख्यक की भावनाओं की रक्षा बताया। 

17 जनवरी 2025 को, जस्टिस यादव को Ram Mandir से संबंधित एक सम्मेलन से हटना पड़ा क्योंकि विवाद के चलते उनकी उपस्थिति विवादास्पद बन चुकी थी। 

जस्टिस शेखर यादव की कई अन्य कई टिप्पणियाँ भी विवादास्पद रही हैं: गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और गौ रक्षा को हिंदुओं के लिए मौलिक अधिकार बनाने की वकालत

धार्मिक ग्रंथों जैसे गीता, रामायण को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव।

सुप्रीम कोर्ट की ने उनकी उपस्थिति में हुई भाषण सामग्री पर आपत्तियाँ जताई और उन्हें चेतावनी दी कि सार्वजनिक मंचों पर संवेदनशील मामलों पर बोलते समय अधिक सावधानी बरतें।  

जस्टिस यादव ने कहा है कि उन्होंने किसी भी न्यायिक सिद्धांत का उल्लंघन नहीं किया, और उनके विचारों को विकृत यानी तोड़ा मरोड़ा जा रहा है . 

महाभियोग की प्रक्रिया

13 दिसंबर, 2024 को 55 राज्‍यसभा सदस्यों ने इलाहाबाद HC के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया। धनखड़ ने उस दिन इसे सामंजस्यपूर्वक पाया और ये स्वीकार करने की प्रक्रिया चालू की थी   ।जून 2025 में कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने उन्हें याद दिलाया कि यह प्रस्ताव पिछले छह महीनों से लंबित है   

श्री धनखड़ ने मौखिक रूप से बताया कि जस्टिस यादव के महाभियोग प्रस्ताव में एक सदस्य का दो बार हस्ताक्षर पाया गया था, जिससे कुल 55 की बजाय केवल 54 सही सदस्य ही मान्य बने। इस पर वे सत्यापन कर रहे हैं  ।

वर्मा और यादव दोनों के खिलाफ प्रस्ताव साथ-साथ 

विपक्ष ने न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ प्रस्ताव भी रखा। सभापति धनखड़ ने उस पर भी आगे की कार्रवाई की संभावना जताई—जिससे केन्द्र सरकार असहज महसूस की।  

धनखड़ का अचानक इस्तीफ़ा

इसी राजनीतिक-संवैधानिक तनाव के बीच, 21 जुलाई 2025 की रात उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफ़ा दे दिया

अगला कदम अब कौन तय करेगा?

• चूंकि धनखड़ राज्‍यसभा अध्यक्ष नहीं हैं, अब नए अध्यक्ष (जो उपराष्ट्रपति पद प्राप्त करेंगे) यह तय करेंगे कि

1. प्रस्ताव “स्वीकार” (admitted) होते हैं या नहीं,

2. सत्यापन, समिति गठन, और आगे की कार्यवाही कैसे होगी।

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