जन गण मन के अंतस की भाषा है हिंदी

जन गण मन के

अंतस की भाषा है हिंदी

सहज सुबोध सरल भावों को

मुखरित करती हिंदी

आजादी की चेतना हिंदी

वर्ग धर्म जाति पंथ को

पास पास लाती है हिंदी

जीवन की हर व्यथा

कथा है हिंदी

अभिजात्य अहम्

अभिमान न हिंदी

विनयशील संस्कार है हिंदी

श्रमिक किसान मजूरों के

श्रमबूंदों की भाषा हिंदी

कोस कोस की बोली भाषा की

सखी सहेली हिंदी

क्षेत्र क्षेत्र के प्रान्त प्रान्त के शब्दबोध को

सीने से चिपटाये हिंदी

राष्ट्र चेतना के शिशुओं का

पालन पोषण करती

माँ भारती हिंदी

वंदन  अभिनन्दन जननी हिंदी

डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी, प्रयागराज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button