आठ सौ साल बाद दो विशाल ग्रहों का महामिलन
— पंकजप्रसून
कोई आठ सौ साल बाद बृहस्पति और शनि ग्रह मिलने जा रहे हैं। ये दोनों सौर मंडल के विशाल ग्रह हैं।
खगोलीय महामिलन तब होता है जब धरती से देखने पर ऐसा लगता है कि अंतरिक्ष में मौजूद दो खगोलीय पिंड एक दूसरे से मिल रहे हैं।
बृहस्पति और शनि के परिक्रमा पथ थोड़ा अंडाकार हैं।
धरती से देखने पर ऐसा लगेगा कि दोनों ग्रह अपने परिक्रमा पदों को छोड़कर बेताब प्रेमियों की तरह एक दूसरे से गले मिल रहे हैं। जबकि वास्तव में दोनों के बीच की दूरी 73 करोड़ किलोमीटर है।
अमेरिकन म्यूजियम औफ नेचुरल हिस्ट्री के खगोल शास्त्री जैकी फैहरटी के अनुसार दूरबीन से देखने पर शनि के वलय और बृहस्पति के गैलीलियन चांद एक साथ जुटे हुए नजर आयेंगे।
पिछली बार 16 जुलाई1623 को ये दोनों ग्रह एक दूसरे के करीब आये थे जब गैलीलीयो जीवित थे और दस साल पहले अपनी दूरबीन से बृहस्पति के चार विशाल चंद्रमाओं को देखा था। वैसे तो हर बीस साल बाद दोनों ग्रहों का महामिलन होता है लेकिन इस बार जो महामिलन नज़र आने वाला है वैसा 4 मार्च 1226 को नज़र आया था। ह्यूस्टन स्थित राइस विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री पैट्रिक हार्टीगन के अनुसार ‘ तब एशिया में चंगेज खान का राज चल रहा था।’
महामिलन के साथ कई बड़ी घटनाएं संबद्ध रही हैं। योहानेस के केपलर ने हिसाब जोड़ कर अनुमान लगाया था कि मैथ्यू के गौसपल के अनुसार जो बेथेलहम का तारा था जिसने पूरब के तीन बुद्धिमान लोगों को ईसामसीह के जन्म स्थान तक पहुंचाया था। क्योंकि 7 ईसापूर्व में महामिलन हुआ था।
वर्तमान महामिलन के ख़त्म होने के बाद अगला महामिलन 15 मार्च 2080 को होना संभावित है।
न्यूटन और आइंस्टाइन ने कहा था कि कोई भी ग्रह अपने परिक्रमा पथ को कभी भी नहीं छोड़ता है।इसलिये यह सोचना भी गलत है कि दोनों ग्रह एक दूसरे के करीब आ रहे हैं।