चंपारण में गांधी का अपमान: महात्मा के प्रपौत्र को सभा से निकाला

बिहार में नफरत की राजनीति पर सवाल

मीडिया स्वराज डेस्क

यह वही चंपारण है, जहां 1917 में महात्मा गांधी ने किसानों के अत्याचार के खिलाफ सत्याग्रह का बिगुल फूंका था। यह वही बिहार है, जहां 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह का भव्य आयोजन किया और महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी समेत तमाम गांधीवादियों बुलाकर सम्मानित किया । लेकिन 13 जुलाई 2025 को, उसी गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी को उनकी पार्टी के नेताओं ने मोतिहारी के तुरकौलिया में बोलने से रोका गया और कार्यक्रम बीच में ही छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया।

घटनाक्रम का सिलसिला

तुषार गांधी ने अपनी बिहार यात्रा की शुरुआत भितिहरवा आश्रम से की। यह यात्रा “बिहार बदलो सरकार नारे” के साथ हो रही है। साथ ही चंपारण सत्याग्रह की स्मृतियों को संजोने और गांधीवादी विचारधारा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से भी थी। तुरकौलिया में उन्होंने गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और नीम के उस ऐतिहासिक पेड़ के नीचे संवाद करना चाहा, जहां महात्मा गांधी ने किसानों के दर्द को सुना था।

सभा पंचायत भवन में शिफ्ट हुई। वहां के मुखिया विनय कुमार साह, जो भाजपा नेता बताए जाते हैं, ने अचानक उन्हें बोलने से रोक दिया। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब तुषार गांधी के एक सहयोगी ने नीतीश कुमार सरकार पर आलोचनात्मक टिप्पणी की। मुखिया ने सभा रोक दी और तुषार गांधी को वहां से चले जाने के लिए कह दिया। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करने की कोशिश की, लेकिन मुखिया अड़ा रहा। आखिरकार तुषार गांधी को सभा कहीं और करनी । वे मुजफ्फरपुर होते हुए दरभंगा के लिए रवाना हो गए।

तुषार गांधी: गांधी के विचारों के संवाहक

तुषार गांधी, महात्मा गांधी के प्रपौत्र और अरुण मणिलाल गांधी के पुत्र हैं। उनका जन्म 17 जनवरी 1960 को महाराष्ट्र के शेगांव में हुआ। वे लेखक, शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

• उन्होंने 1998 में वडोदरा में महात्मा गांधी फाउंडेशन की स्थापना की।

• वे 1996 से लोक सेवा ट्रस्ट का नेतृत्व कर रहे हैं।

• 2005 में उन्होंने ऐतिहासिक दांडी मार्च की 75वीं वर्षगांठ पर पुनर्निर्माण यात्रा का नेतृत्व किया।

• वे फिल्म Hey Ram (2000) में भी नजर आए।

• उनकी पत्नी सोनल देसाई हैं और उनके दो बच्चे—विमान और कस्तूरी—हैं।

गांधीवादी और समाजवादी नेताओं की प्रतिक्रियाएं

डा चंद्र विजय चतुर्वेदी, प्रयागराज 

चंपारण आजादी की लड़ाई का एक प्रमुख स्थान है जहां से गांधी जी ने सत्याग्रह का एक मानक रखा और अंग्रेज सरकार को बाध्य होकर गांधी को चंपारण जाने दिया यह स्थान है जहां गांधी गुजराती वेशभूषा में गए थे और जब कई कई माह के बाद वहां से लौटे तो अपने एक एक धोती लपेटे हुए जो महात्मा गांधी का प्रतीक बन गया और आजादी का ब्रह्मास्त्र हो गया चंपारण दुनिया की क्रांति का वह स्थान है जिसने सत्याग्रह का एहसास सारी दुनिया को कराया विश्व के समाचार पत्रों में चंपारण छा गया था बड़े-बड़े अखबारों में चंपारण की सत्याग्रह पर लेख लिखे गए। चंपारण से जुड़ी हुई तमाम ऐसी घटनाएं हैं जिसने तात्कालिक राजनीति को को एक दिशा दी। गांधी लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर राजनीति में आए नीतीश जी को शर्म आनी चाहिए। उन्हें प्रायश्चित करना चाहिए। तुषार जैसे विचार पुरुष को अपने अभिव्यक्ति से रोकना राजनीतिक इतिहास में एक शर्मनाक घटना है। इनको सद्बुद्धि दे भगवान यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह क्या कर रहे हैं .

प्रो. राजकुमार जैन (वरिष्ठ समाजवादी नेता):

“तुषार गांधी को न बोलने देने का अर्थ है कि गांधीवादियों, समाजवादियों, नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों के लिए यह एक चुनौती है… जिस जगह बोलने से रोका गया, वहीं सत्याग्रह के रूप में दोबारा सभा होनी चाहिए… जेल जाने, मार खाने की मानसिकता के साथ ही इस इम्तिहान में एकजुट होना होगा।”

प्रो. सुदर्शन अयंगर (पूर्व कुलपति, गुजरात विद्यापीठ):

“2 अक्टूबर के दिन गांधीजन सभा वहीं तुरकौलिया में होनी चाहिए… विनम्रता से सरपंच को इतिहास बतायें… हां, अब सर फूटे या माथा, सभा वहीं होगी। नैतिक हिम्मत जुटानी होगी।”

अन्य गांधीवादी कार्यकर्ता का कहना है कि तुषार गांधी को वहीं रुककर या लौटकर सभा करनी चाहिए थी।

राजनीतिक विश्लेषण

2017 में नीतीश कुमार ने चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी को गांधीवाद के उत्सव में बदल दिया था। आज वही नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन में हैं और उसी बिहार में गांधी के प्रपौत्र को अपमानित किया जा रहा है।

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि बिहार में भी गांधीवाद को हाशिए पर धकेलने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है।

चंपारण की धरती पर गांधी के वंशज को बोलने नहीं देना एक गंभीर संकेत है कि अब गांधीवाद की विचारधारा को पुनर्जीवित करने के लिए सत्याग्रह और साहसिक कदमों की जरूरत है।

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