लोग क्यों ज्वार – बाजरा जैसे मोटे अनाज पर आ रहे वापस
मोटे अनाज खासकर बाजरा के फायदे
लोग क्यों ज्वार – बाजरा जैसे मोटे अनाज खाना फिर से पसंद कर रहे हैं। खान पान के मामले में अब उच्च वर्ग अपनी भारतीय संस्कृति और पारंपरिक भारतीय भोजन, खासकर मोटे अनाज की ओर लौट रहे हैं, जिसे उनके स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर कहा जा सकता है।
मोटे अनाज खासकर ज्वार बाजरा के फायदे: Millet Benefits for Health: यकीनन समय के साथ लोगों के खान पान में काफी बदलाव आया है। बदलते समय के साथ लोग फास्ट फूड पर पूरी तरह से निर्भर हो गए हैं। यही वजह है कि सेहत को लेकर लोग तमाम समस्याएं झेल रहे हैं। लेकिन एक बार फिर लोगों में जागरुकता बढ़ी है और अब वे मोटे अनाजों की ओर लौट रहे हैं। वर्तमान में दानेदार अनाजों का प्रचलन जोरों पर है। लोग बाजरा, जौ और जुआर जैसे अनाजों को अपने दैनिक खान पान में शामिल कर रहे हैं।
मोटे अनाज खासकर बाजरा के फायदे: Millet Benefits for Health: उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पुराने समय में बाजरे के दानेदार अनाजों से मोटी रोटियां बनायी जाती थीं। हरितक्रांति के पहले लोग दानेदार अनाजों का ही सेवन किया करते थे, पर इस क्रांति में सरकार ने कई ऐसे उच्च उपज वाले गेहूं और धान के बीजों को बढ़ावा दिया, जिससे भारत खाद्य पर्याप्तता में सक्षम बन पाये और देश से भुखमरी को मिटाया जा सके। पर एक बार फिर स्वास्थ्य के लिहाज से आधुनिकता बदल गई है और लोग अब गेहूं के अनाज का उपयोग कर रहे हैं।
आइए जानतें हैं आखिर मोटे अनाज या दानेदार अनाजों के फायदे…
अंतराष्ट्रीय अनाज अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर जनरल डॉ. जैक्लिन ह्यूजेस के अनुसार मोटा अनाज, खासकर बाजरे का अनाज अन्य अनाजों के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक होता है। शोध में पाया गया कि बाजरा डायबिटीज को कम करता है, कोलेस्ट्रॉल में सुधार लाता है, साथ ही शरीर में कैलशियम, जिंक और आयरन की कमी को भी पूरा करता है। ये ग्लूटेन फ्री होते हैं।
डॉ. ह्यूजेस के अनुसार बाजरे को स्मार्ट फूड केवल खाने वालों के लिए ही नहीं बोला जाता है बल्कि यह किसानों और पृथ्वी के लिए भी लाभकारी है। बाजरे की खेती में बहुत कम पानी लगता है और यह ऊंचे तापमान में भी ऊगाया जा सकता है। यह फसल रोग प्रतिरोधी होता है इसलिये कई बीमारियों या महामारी रोगों से बचाता है। ये सभी खूबियां किसानों को यह फसल उपजाने में मदद करती हैं।
बाजरे को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों में नई उम्मीद
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञ बाजरे में इनती रुचि क्यों दिखा रहे हैं। भारत में 8 करोड़ डायबिटीज मरीज हैं। हर साल 1 करोड़ 70 लाख से भी ज्यादा लोग दिल की बीमारी से मर जाते हैं और 30 लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जिनमें आधी संख्या तो गंभीर रूप से संक्रमित लोगों की है। ऐसे में बाजरे का अनाज विशेषज्ञों के अनुसार मरीजों को ठीक करने में काफी हद तक कारगर सिद्ध हो सकता है।
पीएम मोदी ने भी देश से कुपोषण को मिटाने के लिए मिलेट क्रांति या कहें कि बाजरा क्रांति पर बात की है। बता दें कि भारत 1 करोड़ 60 लाख टन मिलेट के वार्षिक उत्पाद के साथ विश्व में शीर्ष स्थान पर है। लेकिन बीते 50 सालों में इस क्षेत्र में भारी कमी देखने को मिली है।
भारतीय मिलेट अनुसंधान क्रेंद के डॉयरेक्टर विलाश टोनापी के अनुसार मिलेट खेती की भूमि 38 मिलियन हेक्टेयर से घटकर 13 मिलियन हेक्टेयर हो चुकी है। साल 1960 से 2015 तक गेंहू के उत्पादन में तीगुने से ज्यादा की वृद्धि हुई है जबकि चावल 800% तक बढ़ा है।
वहीं मिलेट यानि बाजरे का उत्पादन इन दोनों की तुलना में काफी कम रहा है। जबकि मिलेट यानि बाजरा की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए इसे सुपरमार्केट और ऑनलाइन स्टोर्स पर कुकीज, चिप्स, पफ और अन्य स्वादिष्ट रूपों में बेचा जा रहा है। सरकार भी एक रुपये प्रति किलो की दर से लाखों किलो मोटा अनाज, जैसे- चावल, गेहूं और बाजरा लोगों में बांट रही है। मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में भी मिड डे मील में इसे शामिल किया गया है।
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