असम में बाढ़ का प्रकोप अपने चरम पर
कभी अपने एक सींग वाले गैंडों के लिए पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाले असम का काजीरंगा नेशनल पार्क इन दिनों एक अलग वजह से सुर्खियों में है. वह वजह है असम में आई भयावह बाढ़. इस बाढ़ से राज्य के गोलाघाट औऱ नगांव जिलों में फैले काजीरंगा नेशनल पार्क का लगभग 90 फीसदी हिस्सा पानी में डूब गया है और 120 जानवरों की मौत हो चुकी है. इनमें एक सींग वाले दस गैंडे भी शामिल हैं.
विश्व धरोहरों की सूची में शुमार इस पार्क की जैविक विविधता और चारागाहों को बचाने के लिए बाढ़ जरूरी है. लेकिन बीते दो-तीन वर्षों से जितनी बाढ़ आ रही है उससे फायदे की बजाय नुकसान ही ज्यादा हो रहा है. दुनिया भर में एक सींग वाले गैंडों की एक-तिहाई आबादी इसी पार्क में रहती है. इसी वजह से इसे इन गैडों का सबसे बड़ा घर भी कहा जाता है. इसके अलावा सैकड़ों जानवर बाढ़ के पानी के कारण बेहाल हो गए हैं. कई जानवर तो जान बचाने के लिए पार्क से निकलकर सड़क पर आ गए हैं.
बाढ़ से जानवरों की हो रही मौतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला किया है. केंद्र ने पार्क में 32 किलोमीटर का एक कृत्रिम ऊंचाई वाला स्थान बनाने के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. पार्क के निदेशक पी शिवकुमार ने बताया है कि मानसून का मौसम खत्म होने के बाद इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
निदेशक पी.शिवकुमार बताते हैं कि इस पार्क का अस्तित्व ही बाढ़ पर टिका है. इसके बिना पार्क की जैविक औऱ प्राकृतितक विविधता बनाए रखना संभव नहीं है. पहले दस साल में ऐसी बाढ़ आती थी. लेकिन अब यह सालाना दस्तूर बन गई है. इस वजह से पार्क, इसमें रहने वाले जानवरों और वनस्पतियों को काफी नुकसान हो रहा है.
1 जून 1905 में 232 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को काजीरंगा प्रस्तावित रिजर्व फ़ॉरेस्ट बनाया गया था. इसके बाद इसे वर्ष 1908 में रिज़र्व फ़ॉरेस्ट घोषित कर दिया गया था. तब इसका नाम बदलकर 1916 में काज़ीरंगा गेम रिज़र्व रख दिया गया. बाद में वर्ष 1950 में इस पार्क को काजीरंगा वन्यजीव अभयारण्य बना दिया गया. वर्ष 1968 में असम राष्ट्रीय उद्यान अधिनियम पारित हुआ और काजीरंगा को नेशनल पार्क घोषित कर दिया गया. 11 फरवरी 1974 इस पार्क को भारतीय सरकार से आधिकारिक मान्यता मिली.