संसद में किसान आंदोलन का नारा “काले कानून रद करो, रद करो, रद करो” लगना आंदोलन की जीत
भारतीय किसान यूनियन प्रेस विज्ञप्ति 235वां दिन, 19 जुलाई 2021 गाजीपुर बॉर्डर
प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी सांसदों पर महिलाओं, वंचित समाज और किसानों के खिलाफ होने का आरोप लगा कर बरगलाने का प्रयास अनुचित
दिल्ली पुलिस द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के संसद विरोध मार्च की योजना को “संसद घेराव” बताना सोचा-समझा झूठ है.
एसकेएम आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश वाले सोशल मीडिया पोस्ट से खुद को दूर करता है
आज संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने इससे पहले सभी विपक्षी सांसदों को एक पीपुल्स व्हिप जारी किया था और एसकेएम के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कई सांसदों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी। विपक्षी सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में उन मुद्दों को उठाया जिन्हें किसान आंदोलन कई महीनों से उठा रहा है। प्रधानमंत्री ने विपक्षी सांसदों के नारों के जवाब में आरोप लगाया कि विपक्षी दल महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित समुदायों और किसानों के बच्चों को मंत्रियों के पद पर पदोन्नत करने का समर्थन नहीं कर रहे हैं। श्री नरेंद्र मोदी का बयान (एक लोक-विरोधी सरकार का बचाव करने के लिए, जिस पर कई मोर्चों पर उसकी विफलताओं के लिए हमला किया जा रहा है और जिसे इस संसद सत्र में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा), वास्तव में निरर्थक है क्योंकि संसद भवन में गुंज रहे नारे किसान आंदोलन से सीधे संसद पहुंचे थे। जो नारे लगाए जा रहे थे, वे हाशिए के नागरिकों के थे, जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सरकार के अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कानूनों और नीतियों का सामना करना पर रहा है। एसकेएम प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहता है कि महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, किसानों और ग्रामीण भारत के अन्य लोगों सहित देश के हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सच्चा सम्मान तभी मिलेगा जब उनके हितों की वास्तव में रक्षा की जाएगी। इसके लिए सरकार को तीन किसान विरोधी कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द करने और ईंधन की कीमतों को कम से कम आधा करने के अलावा सभी किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांगो पर अमल करना चाहिए। अन्यथा बचाव के लिए खोखले शब्द अर्थहीन हैं।
संसद के घेराव की योजना नहीं , जंतर मंतर ज़रूर जायेंगे
22 जुलाई से किसानों की संसद घेराव की कोई योजना नहीं है दिल्ली पुलिस इस संबंध में भ्रामक प्रचार कर रही है किसानों का जत्था जंतर मंतर पर जाकर किसान संसद का आयोजन करना चाहता है जो प्रत्येक दिन नया जत्था जाएगा और जंतर-मंतर पर किसान संसद लगाएगा इसकी जानकारी हम ने दिल्ली पुलिस को दे दी है अगर अगर दिल्ली पुलिस इस मामले को संसद घेराव से जोड़ती है तो वह बिल्कुल निरर्थक है हमारा कार्यक्रम पूर्व घोषित है और हम किसान संसद के लिए जंतर-मंतर जरूर जाएंगे.
भारत सरकार ने मानसून सत्र के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक 2021 (फिर से जारी किए गए अध्यादेश को बदलने के लिए) के साथ-साथ विद्युत संशोधन विधेयक 2021 को विधायी व्यवसाय के तहत सूचीबद्ध किया है। एसकेएम ने सरकार को इन मामलों पर 30 दिसंबर 2020 को प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति की गई प्रतिबद्धता से मुकरने के खिलाफ चेतावनी दी है।
विभिन्न सीमाओं पर किसानों का विरोध कैंप लगातार बारिश से जूझ रहा है। यहां के किसान बहादुरी और बिना शिकायत के कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। दरअसल वे बारिश पर खुशी जाहिर कर रहे हैं, क्योंकि यह बोई गई खरीफ फसलों के लिए अच्छा है।
भारतीय संसद की घेराबंदी की मांग करने वाले कुछ सोशल मीडिया पोस्टरों की संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा कड़ी और स्पष्ट निंदा की जाती है। जैसा कि 14 जुलाई 2021 को पहले ही कहा जा चुका है, एसकेएम स्पष्ट करता है कि इस तरह की सभी कॉल, असली या नकली, किसान विरोधी हैं, और चल रहे किसान आंदोलन के हित के खिलाफ हैं। एसकेएम इसकी कड़ी निंदा करता है। एसकेएम और प्रदर्शन कर रहे किसानों का इस तरह के कॉल या ऐसे किसी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। किसानों और उनके शांतिपूर्ण विरोध को किसी भी तरह से भटकाने और मोड़ने से रोकने के लिए कार्रवाई की मांग करता है। यह देश के किसानों के लिए जीवन और मृत्यु का संघर्ष है और इसे पटरी से उतारने की किसी भी कोशिश की निंदा की जाती है।
धर्मेन्द्र मलिक ,मीडिया प्रभारी भाकियू