किसान आंदोलन से भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं
किसान आंदोलन के चलते पंजाब शहरी चुनाव में हार के बाद हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की चिंता और मुश्किलें बढ़ रही हैं. पंजाब मे नगर निगम व नगर निकाय के चुनावों मे भाजपा को मिली कारारी हार ने किसान आंदोलन के व्यापक असर को स्पष्ट कर दिया है .
अब कॉंग्रेस पार्टी किसान राजनीति व किसानों के मुद्दों पर अपनी पुनस्थापना का मंत्र खोज रही है.
हरियाणा में भाजपा के बहिष्कार की घोषणा
अब हरियाणा मे खाप पंचायतों ने भी भाजपा के बहिषकार की घोषणा कर दी है . जाट नेतृत्व व जाट बहुल जनाधार के महत्व को अब भाज पा समझ रही है .
पंजाब हरिय़ाणा , पश्चिमी उतर प्रदेश , राजस्थान व देश के अन्य राज्यों मे किसान कामगार मजदूर मूलत गांवों .मे ही बसते हैँ ! ग्रामींण क्षेत्रों मे हो रही किसान महापंचयतों मे समाज के अन्य वर्गों समुदायों के शामिल होने के साथ अग्रणी किसान जातियों के मुखर होने से वार्तमान सरकार को गंभीर स्थिति मे ला खड़ा किया है ! ऐसे में किसान आंदोलन से भाजपा की चिंता बधना स्वाभाविक है.
हरिय़ाणा व उतर प्रदेश सरकार की चिंतायें व परेशनियां किसान आंदोलन ओर महापंचायतों के साथ ही बढती जा रही हैँ ! भाजपा सरकार व पार्टी प्रदेशों मे अपने ठोस जनाधार को संभालने के भरसक प्रयासों मे लगी हैं ! इन प्रदेशों मे भाजपा अपने किसान नेताओं के साथ बैठकों करके नयी रणनीति से समाधान खोजने मे लगी है !
हरियाणा मे भाजपा द्वारा 14 ज़िलों मे निकाली गयी तिरंगा य़ात्रा भी लगभग असफल साबित हुई है ! प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस स्थिति को भाजपा के पक्ष मे लाने को लेकर अपनी असमर्थता जता चुके हैँ !
आंदोलन को सभी जातियों का सहयोग
आज 18 फरवरी को हरियाणा के हिसार जिला के दो अलग अलग गावों मे किसान महापंचायत होने वाली है ! खरक पूनिया , बालसमन्द गावों मे जिसमे भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत भी किसानो को सम्बोधित करेंगे !
खरक पूनिया एक छोटा सा गांव है जिसकी आबादी 1800 के करीब है ! गांव मे गिनती की जातियां हैँ , जनसंख्या के आधार पर 80.4% जाट ,10% खाती (बढ़यी ), 4% लोहार ,2 % नायिक ,1.5% कुमहार ,1% बालमिकी , 0.5 % बोरी , 0.5% झीमर हैँ ! आसपास के 14 गांवो के लोग एकत्र होंगे ,
खरक पूनिया गांव से जो प्रतिनिधि बोलने के लिये चुना गया है वह 1% जनसंख्या वाले बाल्मीकि वर्ग से है !
अब ये कैसे कहा जा सकता है के केवल जाटों द्वारा ही आंदोलन मे भागीदारी है , या केवल जाट समुदाय ही आंदोलन कर रहा है . ग्रामींण समाज मे सभी जातियों का परस्पर सहयोग है ! यही कारण है किसान आंदोलन के विस्तार ओर प्रभाव का !
जगदीप सिंह सिंधु , वरिष्ठ पत्रकार, गुड़गाँव से
Former Group GM Haribhoomi , Former GM Peoples Samachar (MP , CG) , Mahakushal Hindi Daily, Chhattisagrh, Former Station Head Radio Tarang 104FM