अक्तूबर से धरती को मिलेगा दूसरा चांद
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चांद खरबों वर्ष से अकेला ही धरती का चक्कर लगा रहा है और हर किसी का प्यारा है। किंतु अब वह अकेला नहीं रहेगा। अक्तूबर से अगले वर्ष की मई तक उसे एक जोड़ीदार मिलने वाला है।
एक पुरानी फिल्म बरखा का यह गीत “एक रात में दो दो चांद खिले ” कुछ अविश्वसनीय सा लगता था । महज़ कवि की कल्पना लगता था ।
हालांकि उस गाने में दूसरा चांद नायिका का चेहरा था। हमारी पृथ्वी की कक्षा में प्रायः ग्रहिकाएं प्रवेश करती रहती हैं।
वे थोड़े समय के लिये रहती हैं और फिर अंतरिक्ष के बियाबान में खो जाती हैं।
अंतरिक्ष वैज्ञानिक उन्हें लघुचंद्र कहते हैं। लेकिन सिर्फ दो को ही पकड़ा जा सका है।
इनके नाम हैं 2006 RH120, जो 2006 तथा 2007, और 2020 में CD3, जो धरती की कक्षा में 2018 से 2020 तक रहीं।.
नया चांद
अब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की कक्षा में आ रही एक नयी वस्तु को देखा है, जिसका नाम 2020 SO, रखा गया है।
वह धरती की कक्षा में दो लग्रांज बिंदुओं से प्रवेश करेगी और बाहर भी निकल जायेगी।
2020 SO को अपोलो ग्रहिका कहा गया है। उसकी गति धीमी है।
अंतरिक्ष पुरातत्व विज्ञानी ऐलिस गोरमैन के अनुसार उसकी गति चांद की गति से भी धीमी है। वह अंतरिक्ष का कूड़ा है।
नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के पौल चौडस के अनुसार वह संभवतः सितंबर 1966.में चांद के लिये प्रक्षेपित सर्वेयर 2 रौकेट के परित्यक्त सेंटौर का पेलोड है।
नासा के डेटाबेस के अनुसार वह वस्तु 6.4 और 14 मीटर यानी (21 और 46 फ़ीट) लंबी है।
सेंटौर की लंबाई 12.68 मीटर (41.6 फ़ीट ) होती है।
फिर से इस्तेमाल होने वाला रॉकेट अपेक्षाकृत नया आविष्कार है।
पहले होता यह था कि इस्तेमाल करने के बाद रौकेट के पेलोड को अंतरिक्ष में फेंक दिया जाता था जो मलबा बन जाता था।
2020 SO 1 दिसंबर 2020 को धरती से 50,000 किलोमीटर (31,000 मील) की दूरी पर आ जायेगा।
2 फरवरी 2021तक यह 220,000 किलोमीटर पर चक्कर लगायेगा।
तो अगले आठ महीने तक आसमान में एक नहीं दो चांदों के दर्शन का लुत्फ उठायें।