जिबूती : भारत के सामने पैर जमाए रखने की चुनौती
–दिनेश कुमार गर्ग
अरब सागर में सऊदी अरब व अफ्रीका को अलग करने वाले गल्फ आफ अदन के तट पर एक छोटा सा अफ्रीकी राष्ट्र है जो हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। जिबूती से भारत के संबन्ध हमेशा से प्रगाढ़ रहे हैं परन्तु चीन की सूदखोरी और उसके माध्यम से रचे जाने वाले ऋणजाल के सूत्र जबसे जिबूती पर कसने लगे हैं , भारत के कान खडे़ हो गये हैं। चीन की वर्ष 2016 में वहां धमाकेदार एण्ट्री हुई है , जब उसने पोर्ट जिबूती के समवर्ती नये पोर्ट डोरेला का अधिग्रहण कर लिया और प्रतिस्पर्धी देश को भौंचक करते हुए वहां अपना आधार क्षेत्र बना लिया ।
जिबूती को चीन ने बेल्ट ऐन्ड रोड इनीशिएटिव बी आर आई का हिस्सा बना लिया । बी आर आई का सहभागी बनकर जिबूती अब चाइना-अफ्रीका समिट 2018 में जिबूती के लिए ज्ञापित 8 बी आर आई विकास कार्यों की प्रतीक्षा कर रहा है।जिबूती चीन के बीआर आई विकास कार्यों के लिए बहुत ज्यादा उतावला दिखता है और तभी उसके राष्ट्रपति इस साल जनवरी सहित पिछले कुछ समय से चीन के दौरे पर दौरे करते जा रहे हैं ।चीन के वित्त मंत्री भी पिछले 3 वर्षों से जिबूती का हर साल दौरा करते आ रहे हैं। उनका वादा है कि वे जिबूती को क्षेत्रीय लाॅजिस्टिक व वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में विकसित करेंगे। इसके लिए चीन ने जिबूती में सौ वर्ष पुराने रेलको आधुनिक रेलवे सेवा में बदलने का काम शुरू कर दिया है।इसके अलावा पोर्ट और फ्री इकाॅनाॅमिक जोन बनाने का काम भी कर रहा है।
जिबूती में भारत ने भी निवेश कर रखा है । वहां के सीमेण्ट उद्योग को संभालकर भारत ने जिबूती का एक बडा़ दर्द दूर किया है। वहां जिबूती युवाओं के प्रशिक्षण हेतु भारत ने महात्मा गांधी सेण्टर फाॅर लीडरशिप एन्ड आन्त्रेप्रेन्योरशिप की स्थापना वर्ष 2018 में की है। जिबूती का महत्व भारत के लिए कितना है इसका पता वर्ष 2015 में यमन संकट के समय चला जब तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने वहां फंसे भारतीयोंके उद्धार का काय जिबूती को केन्द्र बनाकर किया । कृतज्ञ भारत ने राष्ट्रपति गुएल्ला को पद्मश्री से अलंकृत किया ।2019 में भारत ने वहां दूतावास भी खोला है।
दरअसल हिन्द महासागर में जिबूती का रणनीतिक महत्व है। संघर्षरत अरब विश्व के कारण अदन की खाडी़ के इस फांस प्रभाव वाले देश का महत्व और बढ़ जाता है । लाल सागर और अरब सागर को जोड़ने वाली खाडी़ के इस देश में फ्रांस का थ्री स्टार वाले जनरल स्तर का अधिकारी तैनात रहता है।यहां जापान अमरीका व चीन भी जमे हुए हैं । चीन ने यहां 26000 लोगों को तैनात कर रखा है और अनेक तरह के सामुद्रिक क्रिया कलापों में व्यस्त है। चीन यहा हर साल 20 मिलियन डालर , जापान 30 मिलियन डालर, और अमरीका 63 मि डालर की सहायता देते हैं जो जिबूती की जीडीपी का 5 प्रतिशत होता है। कुल मिलाकर भारत के लिए जिबूती के स्टेज में बडी़ भूमिका ग्रहण करने में काॅम्पिटीशन बहुत टॅफ है।