मेडिकल कालेजों में भ्रष्टाचार और टीचर्स की कमी
AIIMS में कुल 62,021 पदों में से 18,786 (30.3%) वैकेंट हैं
मीडिया स्वराज डेस्क
प्रतिष्ठित मेडिकल मैगज़ीन — The Lancet की रिपोर्ट में भारत के मेडिकल कॉलेजों में भारी भ्रष्टाचार और फैकल्टी की कमी बताई गयी है, जो वाकई चिंताजनक है।
लैंसेट रिपोर्ट
The Lancet रिपोर्ट में CBI द्वारा 5 राज्यों में फैकल्टी एवं NMC अधिकारियों पर ब्राइबरी का आरोप आरोपित किया गया है।आरोप है: निरीक्षण के दौरान नकली शिक्षकों की तैनाती और ₹5–5.5 लाख रिश्वत का प्रयोग किया गया।
फैकल्टी यानी टीचर्स की कमी
सबसे चिंताजनक तथ्य — शिक्षकों की कमी:
• AIIMS में कुल 62,021 पदों में से 18,786 (30.3%) वैकेंट हैं ।
• 20 AIIMS संस्थानों में लगभग 39% फैकल्टी पद अभी भी खाली हैं ।
• महाराष्ट्र के 25 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से 10 कॉलेजों में 50% से कम शिक्षकों की तैनाती हुई है ।
• यूपी के 13 कॉलेजों में 30% शिक्षण पद खाली हैं ।
तो सवाल उठता है: जब शिक्षकों की कमी हो, तो ये कॉलेज किस तरह के डॉक्टर तैयार करेंगे?
विद्यार्थियों पर असर
टीचर्स की कमी से जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टरों को ही पढ़ाना पड़ रहा है, क्योंकि असिस्टेंट/फुल प्रोफेसर ही मौजूद नहीं ।
Bombay हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि विदर्भ के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 550 पद खाली हैं, जिससे मरीजों और छात्रों दोनों की गुणवत्ता प्रभावित होती है ।
गुणवत्ता बनाम संख्या
सरकार ने बढ़ाई लाखों MBBS सीटों की संख्या — लेकिन क्या शिक्षकों के बिना शिक्षा अधूरी नहीं रह जाएगी?
डॉ. उमेश कपिल कहते हैं: “संख्याबढ़गई, परगुणवत्तापरक्याध्यानहै?”
सुधार की ज़रूरत
केवल कॉलेज खोलना ही नहीं, 50%–99% तक खाली फैकल्टी पदों को भरना भी उतना ही ज़रूरी।
यदि NMC और राज्य सरकारें इन पदों को जल्द नहीं भरतीं, तो ये मेडिकल शिक्षा का एक बड़ा संकट बन सकता है।
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