कोरोना वायरस : वैक्सीन की ग़ुलामी से मुक्ति कब मिलेगी !
भारत में कोविड -19 के टीकाकरण का शुभारम्भ
कोरोना वायरस वैक्सीन भारत में लगनी शुरू हो गयी है . पहले चरण में वैक्सीन लगवाने का उत्साह कम था. बड़े राजनेता बच कर रहे , लेकिन एम्स के डायरेक्टर डा रणदीप गुलेरिया समेत कई बड़े डाक्टरों ने वैक्सीन लगवाकर लोगों में विश्वास जगाया है. वैज्ञानिक डा चंद्रविजय चतुर्वेदी का सवाल है कि मानव जीवन में हम कितनी वैक्सीन लगवायें ? क्या वायरस को नियंत्रित करने का और कोई उपाय नहीं ? वैक्सीन की ग़ुलामी से मुक्ति कब मिलेगी?
16 जनवरी 2021 उस शुभ दिन के रूप में याद किया जाएगा जब कोरोना वायरस संक्रमण के उन्मूलन के लिए भारत में कोविड -19 टीकाकरण अभियान प्रारंभ कर दिया गया।भारत सरकार ने आपातस्थिति के प्रयोग हेतु भारत बायोटेक के कोवाक्सिन तथा आक्सफोर्ड -अस्ट्रज़ेनिका के वैक्सीनकोविशील्ड को टीकाकरण हेतु उपयुक्त पाया.
इस अभियान के पहले दिन पूरे देश के 3006 केंद्रों पर कुल 165714 लोगों को टीका लगाया गया। कोरोना महामारी से झूझने के लिए ये वैक्सीन संजीवनी साबित होंगे ऐसा विश्वास डाक्टरों वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया ,यद्यपि दिल्ली के आर यम यल अस्पताल के डाक्टरों ने कोवाक्सिन पर संशय व्यक्त करते हुए टीकाकरण हेतु कोविशील्ड वैक्सीन की मांग की।
2020 के प्रारंभिक महीनो में कोरोना संक्रमण से देश प्रभावित हुआ। अबतक पूरे देश में कुल 1 करोड़ 5.42 लाख लोग संक्रमित हुए जिसमे एक लाख बावन हजार लोग कालकलवित हुए। अभी भी केरल और महाराष्ट्र में प्रतिदिन संक्रमित लोगों की संख्या अन्य प्रांतों की तुलना में सर्वाधिक रहती है। इम्युनिटी बढ़ाने ,बचाव ,लकडाउन ,पलायन आदि तमाम त्रासदी से जूझते हुए मानव को कोरोना से राहत के लिए जिस वैक्सीन की प्रतीक्षा थी उसका स्वागत अभिनन्दन सहज स्वाभाविक है।
विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण का शुभारम्भ करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य रक्षकों के प्रति आभार व्यक्ति करते हुए इस टीकाकरण को भारत की समर्थता का सबूत बताते हुए दवाई और कड़ाई के प्रण का उल्लेख किया।
कोरोना वायरस वैक्सीन लगवाने वाले पहले व्यक्ति …
अखिलभारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान –एम्स केसफाई कर्मी श्री मनीषकुमार वह पहले भाग्यशाली व्यक्ति हैं जिन्हे भारत के स्वास्थमंत्री डा हर्षवर्धन की उपस्थिति में कोविड -19 वैक्सीन प्रदान किया गया। एम्स के डायरेक्टर डा रणदीप गुलेरिया ने भी कोविड -19 वैक्सीन ग्रहण किया। पहले चरण में सरकार का संकल्प है की कुल तीन करोड़ लोगों का मुफ्त में टीकाकरण किया जायेगा।
टीकाकरण के इस अभियान ने निश्चित रूप से जन मानस के असहायपन की चिंता को दूर किया है। क्या वैज्ञानिको और शोधकर्ताओं के समक्ष यह यक्ष प्रश्न नहीं है की मानव का जीवन वैक्सीनमय होता जा रहा है और जीवन का प्राणदाता वैक्सीन ही है अन्य कोई भी उपाय कारगर नहीं है।
कोरोना वैक्सीन को लेकर संशय और सचाई(Opens in a new browser tab)
इस सन्दर्भ में हम दृष्टिपात करें की शिशु के जन्म लेते ही लालन पालन ,जीवन वैक्सीनों के सुपुर्द हो जाता है —
–जन्म के समय –बीसीजी ,ओरल पोलियो वैक्सीन ,हिपेटाइटिस -बी—छह सप्ताह बाद —डीटीपी -1 ,इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन ,हेपेटाइटिस बी की बूस्टर डोज ,हिमोफिलस इन्फ्लून्जा टाइप -बी ,रोटावायरस -1 ,न्यूमोकॉकल कंजुगेट वैक्सीन —दस सप्ताह पर –डीटीपी -2 ,हिमोफिलस इन्फ्लून्जा टाइप -2 ,इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन ,हेपटाइटिस -बी ,रोटावायरस -2 —चौदह सप्ताह पर –डीपीटी -3 ,हिमोफिलस इन्फ्लूंजा टाइप बी ,इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन ,हेपटाइटिस बी ,रोटावायरस-3 ,न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन -3 –छह माह पर –टाइफाइड कंजुगेटेड वैक्सीन–नौ माह पर –मीजल्स –मम्स -रूबेला यम यम आर -1–एकवर्ष पर –हेपटाइटिस ऐ ,इन्फ्लून्जा वैक्सीन–पंद्रह माह की उम्र में –यम यम आर -2 ,वेरिसिला –1 ,इन्फ्लून्जा वैक्सीन वार्षिक ,पीसीबी वार्षिक–सोलह से अठारह माह की उम्र में –डिप्थीरिया -पेरुसिस -टिटनिस –डीपीटी बी 1 ,इनएक्टिवेटेड पोलियोवैक्सीन ,हेपटाइटिस -ए ,हिमोफिलस इन्फ्लून्जा टाइप बी–चार से छह साल की उम्र में –डीपीटी बी 2 ,वेरिसिला -2 यम यम आर -3–नौ से चौदह साल की उम्र में –टीडैप ,ह्यूमन पिपीलोमा वायरस ,एच पी वि 1 ,2 3
क्या विश्व के वैज्ञानिक मानव को वैक्सीन की गुलामी से मुक्ति का कोई पथ स्टेम सेल या जीन के वैज्ञानिक जगत में नहीं ढूंढ पा रहे है ?क्या मानव वायरस के आतंक में जीने के लिए बाध्य रहेगा।?कब मिल सकेगा इन प्रश्नों का उत्तर।