नेपाल के पर्यटन उद्योग पर कोरोना की मार

सन्नाटे में पसरा है रात भर जागने वाला थमेल

यशोदा श्रीवास्तव, काठमांडू

कोरोना की वजह से पड़ोसी देश नेपाल की हालत काफी खराब हो रही है।

इस नन्हें राष्ट्र में कोरोना पाजिटिव की संख्या में भी हर रोज बढ़ोत्तरी हो रही है।

अभी यह संख्या 50 हजार के करीब तक है लेकिन नेपाल की आबादी के लिहाज से यह संख्या भयावह है।

सतर्कता के बावजूद मरीजों में बढ़ोतरी

नेपाल में कोरोना पाजिटिव की यह बढ़त तब है जब उसने काफी पहले से सतर्कता बरतते हुए सारे अंतरराष्ट्रीय उड़ान रद कर रखी हैं।

साथ ही भारत नेपाल की खुली हुई पूरी सीमा सील कर रखी है।

चीन,जहां से इस वायरस का जन्म हुआ, नेपाल ने सबसे पहले इस देश से आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था।

बावजूद इसके कोरोना मरीजों की बढ़ोत्तरी चिंता जनक है।

इसे काबू करने के लिए नेपाल ने भी वही सारे उपाय किए जो इससे प्रभावित अन्य देशों ने किया। यानी लाकडाउन!

यह लाकडाउन नेपाल पर भारी पड़ने लगा है।

नेपाल घोर आर्थिक तबाही के कगार पर है, व्यापारी अपनी प्रतिष्ठानों की बंदी से आक्रोशित हो रहे हैं।

भारत व अन्य देशों की तर्ज पर लाकडाउन से मुक्ति की गुहार करने लगे हैं।

पर्यटन उद्योग हुआ बेहाल

नेपाल का मुख्य आर्थिक स्रोत पर्यटक उद्योग है।

बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी सहित नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित कई सारे बुद्ध स्मारक प्रमुख पर्यटन केंद्र है।

यहां से प्रतिदिन विदेशी करोड़ो रुपये का आय होती है, यह उद्योग पूरी तरह बंद है।

कैसिनो से भी नेपाल को भारी विदेशी मुद्रा अर्जित होता था,अब यह भी बंद है।

काठमांडू वैली में सन्नाटा पसरा

काठमांडू वैली के बहुत सारे दर्शनीय स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

काठमांडू का थमेल विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता था।

यहां रात भर चलने वाले डांस बार रात होने का जरा भी एहसास नहीं होने देते।

काठमांडू के इस अकेले वार्ड में प्रतिदिन करोड़ों का वारा न्यारा होता था। अब यहां सन्नाटा पसरा है।

थमेल पर्यटक विकास परिषद के उपाध्यक्ष भवि शर्मा के अनुसार इस क्षेत्र में करीब दस हजार लोग विभिन्न व्यवसाय से जुड़े हैं।

अधिकांश के व्वयसायिक प्रतिष्ठान किराए पर हैं जिन पर प्रतिमाह करीब दस करोड़ रूपये भाड़ा की चपत पड़ रही है।

कोरोना के कारण हाल यह हो गई है कि कइयों को भाड़ा चुकाने के लिए अपना घर मकान बेचने की नौबत आ गई है।

सवा लाख टैक्सियों के पहिये थमे

इसी क्षेत्र में  टूरिस्ट बसों, कार, रेस्टोरेंट-होटल आदि की अधिकता है, इस व्यवसाय का बुरा हाल है।

काठमांडू के करीब सवा लाख टैक्सियों के पहिए थम गए हैं और इससे जुड़े परिवारों का बुरा हाल है।

सबसे बुरे दौर से काठमांडू जाने वाले रास्तों के ढाबे और छोटे रोजगार से जुड़े लोग गुजर रहे हैं।

आवागमन ठप होने से अधिकांश तो भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।

नेपाली कांग्रेस सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने नेपाल के पर्यटक उद्योग को बचाने के लिए इन्हें राहत पैकेज की मांग की है।

उन्होंने सरकार से अपील की है कि कुछ जरूरी शर्तों के साथ अब भारत नेपाल सीमा से आवाजाही की छूट दे दी जानी चाहिए।

यशोदा श्रीवास्तव, नेपाल मामलों के विशेषज्ञ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button