कांग्रेस पंजाब में अपने जनाधार को बचाने के लिये संघर्षरत

जगदीप सिंह  सिंधु
जगदीप सिंह सिंधु , वरिष्ठ पत्रकार

आजादी के बाद से देश में  सत्ता के शीर्ष व वर्चस्व पर रहने वाली कांग्रेस पार्टी वर्तमान में  पंजाब में अपने जनाधार को बचाने व पुन:स्थापित करने के लिये संघर्षरत है . उत्तर  भारत की  पश्चिमी  सीमा से लगते पंजाब प्रदेश में  पिछले  दिनों की उथल- पुथल के बाद नयी सरकार अस्तित्व में आ गयी . प्रदेश की परिस्थितियों को आने वाले विधानसभा के चुनावों के परिप्रेक्ष्य में देखते हुये चुनाव से केवल चार महीने पहले मुख्यमंत्री को बदल कर पार्टी ने एक जोखिम भरा निर्णय लिया है . 

समाज के वंचित वर्ग से आये नेता चरणजीत चन्नी को प्रदेश की कमान सौंप कर अपनी परम्परागत  राजनीति  से विपरीत एक शुरुआत की कोशिश की है , जिससे विरोधी राजनीतिक दलों की जातिगत राजनीतिक चुनौतियों व समीकरणों को धराशायी किया जा सके.  कांग्रेस केंद्रीय  नेतृत्व पर विगत में बने अविश्वास व अक्षमताओं की धारणा को भी इस निर्णय ने लगभग साफ कर दिया है.  

क्षत्रपवादिता की संस्कृति

आम जनता के सरोकार को भूल कर सत्ता सुख तक सीमित हो जाने की प्रवृति व क्षत्रपवादिता की संस्कृति पार्टी को काफी समय से खाये जा रही थी. उसको तोड़ने की क्या भूमिका बनती है ये आनेवाले समय में साफ होगा . लेकिन कांग्रेस ने अपने फैसले से एक और जहां पुराने दिग्गज नेताओं को स्पष्ट संकेत दे दिये हैं वहीं दूसरी और अपनी भविष्य की राजनीति की एक लकीर भी खींच दी है जिसका असर अन्य प्रदेशों की राजनीति  के साथ साथ विपक्षी दलों की राजनीति  पर पड़ना निश्चित दिखायी देता है .

2017 में पंजाब विधानसभा चुनावों मे कांग्रेस को जो जीत मिली थी उसका श्रेय कै. अमरिन्दर को मिला था .लेकिन वास्तविकता मे पंजाब की जनता में अकाली दल की नीतियों के प्रति एक गहरा आक्रोश था . पंजाब मे अकाली दल द्वारा पंथक भावनाओं के निरादर , किसानों की समस्याओं की अनदेखी , नशे के बढते प्रकोप , अलग- अलग तरह के माफियों के संरक्षण से त्रस्त जनता ने कै. अमरिन्दर पर विश्वास जता कर जिन समाधानों के लिये सरकार को चुना था उनका कोई हल निकालने के लिये मुख्यमंत्री कै. अमरिन्दर ने कोई गंभीर प्रयास ही नहीं किये . बल्कि आम जनता के साथ- साथ अपने विधायकों से भी एक दूरी बना ली . कै. अमरिन्दर की कार्यशैली से प्रदेश में हर क्षेत्र में  उभरते असंतोष की गूंज से केंद्रीय नेतृत्व  भी असंतुष्ट था .

पंजाब में नयी बनी सरकार के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने जिस तरह अपनी प्राथमिकताओं को पहले ही दिन रेखांकित किया है वह कै . अमरिन्दर सिंह की कार्यशैली के विपरीत प्रदेश की जनता के प्रति जवाबदेही पर केन्द्रित है . 

यद्यपि समय की सीमित है  और सरकारी तंत्र की उदासीनता की बड़ी चुनौती विकराल रुप मे सामने खडी है . पार्टी में  धडेबंदी की रस्साकशी  से अलग सब को साथ लेकर चलने की मंशा को भी स्पष्ट किया है .

पारदर्शी सरकार दी जायेगी , किसी को भी अनावश्यक तंग नहीं किया जायेगा , संविधान सम्मत  कार्य होंगे .पुलिस की कार्यशैली को सुधारने को लेकर साफ किया कि  कोई थानेदार , मुंशी , किसी को तंग नहीं करेगा , बिना वजह किसी को थाने नहीं बुलायेगा .तहसीलों मे सही तरीके से काम होगा .मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों मे चेतावनी देते हुये कहा की या तो मैं रहूँगा या वो रहेंगे .

सरकारी तंत्र को दुरुस्त करने को लेकर जनसुनवाई को निश्चित करने व समस्याओं  के निदान के लिये सप्ताह में दो दिन आवश्यक रुप से कार्यालय में  उपलब्ध रहने को कहा .

बिजली के रेट में सुधार करके उपभोक्ताओं को राहत दी जायेगी .

सबसे महत्वपूर्ण गुरु साहेबान की बेअदबी मामले मे पूरा न्याय किया जायेगा .

पंजाब की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मुख्य कारक मानते हुये किसान आन्दोलन को खुला समर्थन और कृषि कानूनों  को वापिस करवाने के प्रयास को अपनी प्रतिबद्धता कहा .

इन सब बातों से मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने नये तरह के नेतृत्व  की परिभाषा गढ़ने की कोशिश की .

कांग्रेस के इस फैसले से पार्टी में  बहुप्रतिक्षित आशा का नया संचार भी हुआ है .

राजनीतिक विषेशज्ञ कांग्रेस के आकस्मिक फैसले का अचरज से आंकलन कर रहे हैं. 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

2 × five =

Related Articles

Back to top button