पेंगोंग इलाके से चीन हटने को तैयार नहीं

(मीडिया स्वराज डेस्क)

भारत में चीन के राजदूत, सुन विडोंग ने भारत के इस दावे से साफ इंकार किया है कि पेंगोंग त्सो झील समेत LAC पर किसी भी इलाके का चीनी सेना ने अतिक्रमण किया है। पेंगोंग झील के उत्तरी किनारों पर, जहां चीन की सेना 8 किमी भारत के क्षेत्र में आज भी मौजूद है, को ‘परंपरागत रूप’ से चीन का भाग बता कर राजदूत ने इस जगह पर अपनी सेना के अतिक्रमण को उचित ठहराने के प्रयास भी किया है।

कोर कमांडर स्तर की अगली बैठक

चीनी राजदूत का यह बयान उस वक़्त आया है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव को देखते कोर कमांडर स्तर की बातचीत अगले कुछ दिनों में संभावित है।

इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज द्वारा आयोजित एक वर्चुअल गोष्ठी में बोलते हुए उन्होंने भारत के उस आरोप को गलत बताया जिसमे कहा गया था कि चीन विस्तारवाद की नीति अपना रहा है। उन्होंने भारतीय सेना को LAC का सम्मान करने और सभी द्विपक्षीय समझौतों का पालन करने की नसीहत भी दे डाली।

अपने बयान में उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के साझा प्रयासों से सीमा पर ज्यादातर जगहों पर तनाव कम हो रहा है। डिस इंगेजमेंट और डी एसकेलेशन की प्रक्रिया जारी है।

भारत की प्रतिक्रिया

चीनी राजदूत की इन बातों पर भारत की ओर से भी प्रतिक्रिया आयी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि डिस इंगेजमेंट की प्रक्रिया अभी तक पूरी नही हुई है, और दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडर अगली बैठक में इस पर बात करके जल्द ही इसको सुनिश्चित करेंगे।

श्री श्रीवास्तव ने कहा, ‘सीमा पर शांति की बहाली दोनों पक्षों के आपसी संबंधों का आधार है। इसलिए भारत यह आशा करता है कि चीन इस संबंध में गंभीरता से विचार करेगा और जल्द से जल्द सीमा पर से अपने सैन्य जमावड़े को हटाएगा’।

उम्मीद की जा रही है कि कोर कमांडर स्तर की अगली बैठक में पेंगोंग झील के आसपास चीनी सैन्य जमावड़ा बड़ा मुद्दा रहने वाला है।

तनाव को कम करने के बहाने भारत को कड़े संदेश

इसके पहले चीनी राजदूत ने माहौल को शांत करने के उद्देश्य से इस बात पर जोर दिया कि चीन भारत का सामरिक शत्रु नही है। वह चीन और भारत के आर्थिक सहयोग की चर्चा करते हुए कहते हैं कि दोनों देश एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों को साथ मिल कर साझा प्रयास करने चाहिए जिससे दोनों ही आर्थिक परिस्थितियों का फायदा उठा सकें। एक दूसरे से दूरी दोनों देशों के लिए नुकसानदेह है।

चीन के आंतरिक मामलों से भारत दूर रहे

भारत को नसीहत देते हुए चीनी राजदूत ने कहा कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए। उनके अनुसार ताइवान, शिनजियांग, हांगकांग और दक्षिणी चीन सागर समेत कई मुद्दों पर भारत के ताजा रुख से वह ‘परेशान’ हैं। उन्होंने बताया कि यह सब चीन के आंतरिक मुद्दे हैं और इन पर भारत समेत कोई भी बाहरी हस्तक्षेप उचित नही है।

गौरतलब है कि इन सभी इलाकों में चीनी सरकार द्वारा मानव अधिकारों के उल्लंघन का भारत समेत समूचे विश्व ने संज्ञान लिया है और चीन को इन हरकतों से बाज आने को कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button