चैनल खुद बन रहे व्यवस्था का हिस्सा
चैनल दम भरते हैं पत्रकारिता का, लेकिन क्या यह सत्य है?
इनकी दलील ये है कि वे वही दिखाते हैं जो आप देखना चाहते हैं हालाँकि ये पत्रकारिता नहीं है।
पत्रकारिता आपको वह बताती है जो आपको नहीं पता, और जो आपको जानना ज़रूरी है।
पत्रकारिता का काम है सत्ता और व्यवस्था की ख़ामियाँ सामने लाना – जनता को बताना।
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जब जनता ख़ुद सत्ता और व्यवस्था से उन ख़ामियों को ठीक करने को कहे तो उसकी आवाज़ को ताक़त देना, माध्यम देना और उसकी माँग को व्यवस्था तक पहुँचाना काम होता है पत्रकार का।
पर यहाँ तो चैनल ख़ुद व्यवस्था का हिस्सा हो रहे है। भोंपू बन रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अरुण अस्थाना की वीडियो रिपोर्ट