CBSE सेकेंडरी का नया एग्जाम पैटर्न
अभिभावकों को भी बहुत कुछ जानना ज़रूरी है।
कोरोना काल ने जो कुछ बदल दिया है, उसमें शिक्षा और स्कूल के तौर तरीकों को भी बदल कर रख दिया है। जिन छात्रों के सीबीएससी के सेकेंडरी या सीनियर सेकेंडरी के एग्जाम होने हैं, उनको और उनके माता-पिता व अभिभावकों को इस पैटर्न और उससे जुड़ी बातों को समझना बहुत ज़रूरी है। यदि इसमें ज़रा भी चूक हुई तो बच्चों के साल बर्बाद होने का खतरा हो जाएगा।
इस्लाम हुसैन
कोरोना काल ने जो कुछ बदल दिया है, उसमें शिक्षा और स्कूल के तौर तरीकों को भी बदल कर रख दिया है। इस बार सीबीएससी ने अपनी परीक्षा का पैटर्न भी पूरी तरह बदल दिया है। इस बदले हुए पैटर्न को बताने और समझाने के लिए स्कूल, छात्रों और अभिभावकों के लिए अलग अलग मीटिंग आयोजित कर रहे हैं। ताकि बदले हुए पैटर्न के अनुसार छात्र एग्जाम की तैयारी कर सकें और अभिभावक यह सब समझते हुए अपने बच्चों की मदद कर सकें।
जिन छात्रों के सीबीएससी के सेकेंडरी या सीनियर सेकेंडरी के एग्जाम होने हैं उनको और उनके माता-पिता व अभिभावकों को इस पैटर्न और उससे जुड़ी बातों को समझना बहुत ज़रूरी है,। यदि इसमें ज़रा भी चूक हुई तो बच्चों के साल बर्बाद होने का खतरा हो जाएगा।
सबसे पहले तो अभिभावकों को बच्चों के रोज मोबाइल चैक करना बहुत ज़रूरी है। 2020 से पहले बच्चों के साथ में मोबाइल होना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी,लेकिन कोरोना काल में आनलाइन शिक्षा के कारण बच्चों को मोबाइल देना एक मजबूरी हो गई । लेकिन इससे भी ज्यादा ज़रूरी यह बात है कि छात्रों का मोबाइल का ज़्यादा और गैर ज़रूरी इस्तेमाल पर रोक होनी चाहिए।
बच्चों के मोबाइल को रोज़ चैक करना बहुत ज़रूरी है पहला तो यह कि आनलाइन पढ़ाई और एग्जाम के सभी ज़रूरी नोटिस, सूचनाएं स्कूल से मोबाइल में ही आ रही हैं जिनके बारे में अभिभावकों को भी जानना ज़रूरी है दूसरे यह कि कहीं बच्चा पढ़ाई के अलावा मोबाइल में न फंसा रहे।जैसा कि पता चला है कि सेकेंडरी के एग्जाम नवम्बर के आखिरी दिनों से शुरू हो हो रहे हैं ऐसे में अभिभावकों के लिए स्कूल से मोबाइल में आने वाले नोटीफिकेशन की जानकारी बहुत ज़रूरी है।
इस बार एग्जाम का पैटर्न पूरी तरह से बदला हुआ है, इस बार एग्जाम दो पार्ट में होंगे पहले पार्ट में आधा कोर्स आएगा। और दूसरे पार्ट में बाकी आधे कोर्स से प्रश्न आएंगे। दूसरे पार्ट का एग्जाम फरवरी में/के बाद होगा।यह दोनों एग्जाम बोर्ड के ही होंगे। एग्जाम डेटशीट छात्र के मोबाइल में आजाएगी, एग्जाम के पहले पहले पार्ट की डेट शीट आ गई है। अच्छा होगा कि अभिभावक एग्जाम डेटशीट को प्रिंट कराकर उसे घर में चिपका दें ताकि हर एग्जाम की जानकारी घर के सभी लोगों को रहे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार एग्जाम में छात्रों को अपनी आन्सर शीट में कुछ भी लिखना नहीं है। सभी प्रश्नों वस्तुनिष्ठ/ओबजेक्टिव होंगे जिनके उत्तर ओएमआर शीट में बने गोले को नीले या काले बाल पैन से भरा जाना है। एक उत्तर को चुनकर उसके गोले को भरने के बाद यदि छात्र को बाद में यह समझ में आता है कि उसका दिया हुआ उत्तर सही नहीं है तो वह अपना उत्तर सुधार सकता है, लेकिन वह अपने पहले के बारे गोले में तो कोई छेड़छाड़ करें और न उसे काटे, वह सही उत्तर का नम्बर साथ में दिए गए चौकोर बाक्स में लिख दे, यही पर्याप्त होगा।
इस पैटर्न पर पहली बार एग्जाम देने वाले छात्रों को और उनके अभिभावकों को यह जानना समझना बहुत ज़रूरी है। हालांकि स्कूल इस पैटर्न की प्रैक्टिस करा रहे हैं फिर भी बच्चों को आन्सर लिखने की प्रैक्टिस घर पर ही कराना और बार बार याद दिलाना बहुत ज़रूरी है। फिर सेकेंडरी स्तर के बच्चों का एग्जाम में नर्वस होने का ख़तरा रहता है। ऐसे में मां-बाप/अभिभावक बच्चों को एग्जाम से पहले आसानी से बात समझा सकते हैं।
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ओएमआर शीट में पहले से छात्र का रौल नम्बर प्रिंट होगा इसलिए ओएमआर शीट पर छात्र को अपना नाम/नम्बर नहीं लिखना है। इस बार एग्जाम दिन में 11.30 से होंगे, एग्जाम सेंटर पर छात्रों को सुविधानुसार कम से कम आधा घंटा पहला पहुंचना चाहिए, किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सेकेंडरी एग्जाम देने वाले बच्चों के अभिभावक स्वयं बच्चों को एग्जाम सेंटर पर पहुंचाकर आएं तो अच्छा रहेगा। अभिभावक बच्चे के एग्जाम सेन्टर में अंदर जाने तक वहां रुके रहे ताकि किसी ज़रुरत पर अभिभावक मदद कर सकें।
हर छात्र को अपने साथ 6 चीजें लानी होंगी। एडमिट कार्ड, आधार कार्ड, काला या नीला बाल पेन, अपना मास्क, सेनीटाइजर और वाटर बोटल साथ ले जाए। यह तो रही एग्जाम और एग्जाम सेंटर की बात, परीक्षा का माहौल आरम्भ होते बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। बच्चों का खाना पौष्टिक होना चाहिए उसमें दूध और अगर वह खाते हों तो अंडा होना चाहिए, एग्जाम में जाने से पहले ठीक नाश्ता/खाना खाया होना चाहिए।
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एग्जाम की तैयारी में बच्चों को लगातार एक घंटे से अधिक नहीं पढ़ने देना चाहिए। बच्चों की गतिविधियों और दोस्ती पर नज़र तो रखनी चाहिए लेकिन उन पर हैलीकॉप्टर की तरह मंडराना नहीं चाहिए। घर का माहौल शान्ति का और पढ़ाई का होना चाहिए। ताकि बच्चों पर किसी तरह का तनाव या दबाव न रहे।
स्कूल में आनलाइन पढ़ाई के तौर तरीकों ने एजूकेशन का माहौल बदल दिया है इसलिए बच्चों और उनके मां-बाप और अभिभावकों को भी इसी के अनुरूप अपने को ढालना पड़ेगा। इस बदले हुए माहौल में बच्चों को अच्छी तरह एग्जाम की तैयारी कराइए ताकि बच्चों का रिजल्ट बच्चों की प्रतिभा और मेहनत के अनुसार आए।
(लेखक इस्लाम हुसैन काठगोदाम, नैनीताल से हैं और यह लेख उन्होंने बीयरशिबा स्कूल हल्द्वानी नैनीताल के प्रधानाचार्य और उपप्रधानाचार्य से वार्ता के आधार पर लिखा है)