मोदी सरकार द्वारा देश में थोपा जा रहा है कॉर्पोरटीकरण

उमेश तिवारी सीधी (म.प्र.)

किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने संयुक्त किसान मोर्चा ने दिया धरना।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति व संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी विरोध के आवाहन पर आज संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा गल्ला मंडी से कलेक्ट्रेट तक किसान मार्च निकाल कर कलेक्टरेट पर धरना देकर राष्ट्रपति को कलेक्टर सीधी के माध्यम से ज्ञापन सौंप कर किसान आंदोलन का समर्थन किया गया और केंद्र शासन द्वारा जबरन थोपे गये तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने के की मांग की गई।

धरना आंदोलन को संबोधित करते हुए टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि आज देश के किसान जान चुके हैं कि कॉरपोरेटस-राजनेताओं के गठजोड़ और साजिशों से शिक्षा और स्वास्थ्य को व्यापार बनाने में कामयाब हो चुके है इन क्षेत्रों में कॉर्पोरेटस की मुनाफ़ाखोरी हावी हुई है। अब किसान अपने सख्त और सशक्त विरोध से कॉर्पोरेट की ताकत का आक्रमण खेती पर नहीं होने देंगे। केंद्र शासन द्वारा थोपे जा रहे तीन क़ानूनों का मकसद बड़ी कंपनियों को मुनाफा काटनेऔर लूट की छूट देने का है उन्हें छूट दी गई है कॉन्ट्रैक्ट खेती की, जिसमें फंसाए जाने पर किसानों को न्यायालय में जाने से भी मना किया गया है निजी मंडीयों को टैक्स फ्री कर सरकारी मंडियों को धीरे धीरे बंद कर न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म कर दिया जाएगा।

उपज का सही मूल्य के लिए क़ानून क्यों नहीं ? इसलिए कि खेती घाटे का सौदा रहने से उसे खरीदना, छीनना, पूंजीपति, उद्योगपतियों के लिए आसान होगा। जमाखोरी की छूट देकर, 1955 से लगे प्रतिबन्ध को हटाए जाने से बड़ी कंपनियाँ सस्ते में अनाज खरीदकर महंगे दाम पर बेचेगी और गरीबों की अन्नसुरक्षा छीनी जाएगी। फसल बीमा के नाम पर भी मोदी सरकार ने बीमा कंपनियों को हजारों  करोड रूपये का फायदा पहुंचाया।

किसानों को गांव गांव से लाखों रूपये भरने के बावजूद किसी प्राकृतिक आपदा से हुई नुकसान की भरपाई नहीं मिली। यह भी कार्पोरेटीकरण का ही नतीजा है। इन तीन कानूनों से नुकसान भुगतेंगे किसान – मजदूर, खेतीहर और उनसे जुड़े कारीगर और छोटे उद्योग। करोडपति, अरबपति बनेगी कंपनियाँ अंबानी, अडानी, जिंदल, मित्तल, टाटा, बिरला जैसे मुट्ठी भर कॉरपोरेट। खेती में ठेका पद्धति से शिकार हुए किसान कंपनी की धोखाधड़ी के खिलाफ न्यायालय में जाने से भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग / ठेकाखेती के क़ानून में अमान्य किया गया है।

धरना आंदोलन को इन्होंने भी संबोधित किया द्वारिका प्रसाद बैस राष्ट्रीय किसान महासंघ, लालजी बैस भारतीय किसान यूनियन, रामचरण सोनी सामाजिक कार्यकर्ता, सरोज सिंह एकता परिषद, रामविशाल विश्वकर्मा सामाजिक कार्यकर्ता, शिव कुशवाहा ओबीसी महासभा, गजेंद्र सिंह भारतीय किसान यूनियन, विनायक पटेल कुर्मी क्षत्रिय महासभा, जयवीर सिंह, उमाकांत पांडेय, मृगेंद्र पटेल, छोटेलाल सिंह, शिवकुमार सिंह क्रांतिकारी मोर्चा, महावीर यादव, घनश्याम जी, बग्घा जी आदि।
राष्ट्रीय किसान महासंघ के जिलाध्यक्ष ददन सिंह धरना आंदोलन का सफल संचालन किया।

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